प्रेस क्लब पर पत्रकारों का प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन

नई दिल्ली। कोरोना काल में मीडिया में छटनी,वेतन कटौती और पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज करने और कराने की घटनाओं के खिलाफ दिल्ली में वरिष्ठ पत्रकारों ने प्रेस क्लब के सामने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया। प्रेस क्लब पर जुटे इन पत्रकारों का कहना था कि कोरोना के संकटकाल में मीडिया बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। पत्रकारों के सामने रोजी रोटी का संकट खडा हो गया है। कई मीडिया घरानों ने अपने संस्थानों में न केवल पत्रकारों के वेतनमान में भारी कटौती कर दी है अपितु पत्रकारों को भी नौकरी से निकाला जा रहा है। पत्रकारों ने मीडिया में छटनी, वेतन कटौती और पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज करने और कराने की घटनाओं का देखते हुए सरकार से तत्काल दखल देने की मांग की है। प्रदर्शन में वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश आर्य,श्री मनोज वर्मा,श्री अनुराग पुनैठा,श्रीअशोक श्रीवास्तव,श्री अवधेश कुमार, श्री जितेंद्र तिवारी, श्री अतुल गंगवार, श्रीराज खुराना आदि ने भाग लिया।

कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन को सीमित रखा गया।लाकडाऊन के उपरांत विशाल विरोध प्रर्दशन का आयोजन किया जाएग। प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन का उदृेश्य बताते हुए  कहा कि मीडिया में छटनी,वेतन कटौती और पत्रकारों पर एफआईआर ऐसे मुदृे हैं जो सीधे सीधे पत्रकार और लोकतंत्र से संबंधित हैं इसलिए किसी पत्रकार संगठन के बैनर के बजाए पत्रकारों का प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन रखा गया। वरिष्ठ  पत्रकार मनोज वर्मा  ने कहा कि जब देश में कोरोना का संक्रमण हैं ऐसे समय में पत्रकार जोखिम उठाकर काम कर रहे हैं। मीडिया संस्थानों को और सभी सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए। पत्रकारों की रोजी रोटी और उनकी अभिव्यक्ति की आजादी दोनों की रक्षा होनी चाहिए है।वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि अर्नब गोस्वामी सहित कुछ पत्रकारों पर जिस तरह से हाल ही में अलग अलग राज्यों में एफआइआर दर्ज की गई हैं वह पत्रकारिता के लिए गंभीर संकट है। क्योंकि यदि इस तरह से पत्रकारों को दबाया जाएगा,उनका मुह बंद किया जाएगा तो पत्रकारों का बोलना या काम करना ही मुश्किल हो जाएगा।वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने पत्रकारों पर एफआईआर की घटनाओं का विरोध करते हुए प्रेस क्लब पर अकेले प्रदर्शन किया था।वरिष्ठ पत्रकार राकेश आर्य ने कहा कि पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज करने और कराने की घटनाएं गलत पंरपरा है। हम इसका विरोध करते हैं। वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी और सुधीर चौधरी जैसे वरिष्ठ पत्रकारों पर एफआइआर दर्ज करना सविधान का लोकतंत्र का अपमान है। कांग्रेस शासित महाराष्ट्र सरकार का रवैया गलत है जिस तरह से वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर देश भर में सौ दो एफआइआर दर्ज की गई हैं उसका विरोध किया जाना चाहिए क्योंकि एफआइआर के पीछे राजनीतिक दुर्भावना हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनैठा ने कहा कि हाल के वर्षो में यह देखने में आया है कि पत्रकारों पर हमले की घटनाएं बढी हैं यह अच्छा संकेत नहीं है। एफआईआर दर्ज करा कर पत्रकारों डराने धमकाने की पृवत्ति सही नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार अतुल गंगवार ने कहा कि सवाल चाहे रोजगार का हो या सुरक्षा का पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए समाज को भी आगे आना चाहिए और राजनीतिक दलों को भी। लेकिन दुख की बात है कि आज कुछ राजनीतिक दल पत्रकारों को खासकर टीवी चैनल के न्यूज एंकर्स को निशाना बना रहे हैं उन्होंने कानून का भय दिखाकर मुंह बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी आपातकाल वाली सोच का हम सभी विरोध करते हैं।

Advertise with us