आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत होंगे 71.80 लाख रोजगार सृजित-संतोष गंगवार

कोरोना काल में यूं तो सभी क्षेत्रों के लोगों ने संकट का सामना किया लेकिन अपनी जड़ों से कट कर विस्थापन का दर्द सबसे अधिक श्रमिक वर्ग ने झेला। कोरोना की पहली लहर में अपने अनिश्चित भविष्य से परेशान श्रमिकों के राज्यों से अपने गृह राज्य की ओर प्रस्थान के दृश्यों ने आम लोगों को विचलित कर दिया था। अंतहीन सड़कों पर अपने परिवार के साथ यातायात के साधनों के अभाव में पैदल अपनी मंज़िल की ओर बढ़ते ये श्रमिक, देश के भविष्य अपने बच्चों को अपने कंधों पर उठाये चले जा रहे थे। पहली बार जब इन दृश्यों को देखा तो देश के विभाजन के समय के दृश्य सिनेमा की रील की तरह आंखों के सामने दिखाई देने लगे। कुछ ऐसा ही मंजर उस समय भी था। कुछ राज्य सरकारों की नाकामी ने देश को खतरे में डाल दिया था। तत्कालीन लाभ की सोच ने लंबे समय के नुकसान को जन्म दिया। एक ओर सरकारें जहां कोरोना से मुकाबला कर रहीं थी वहीं इन मजदूरों के सुरक्षित घर वापसी, रोजगार की चिंता कर रहीं थी। साथ ही जहां जहां से मजदूरों का पलायन हो रहा था वहां के उद्योग धंधे स्थिति सामान्य होने पर किस तरह से दोबारा शुरु हो पायेंगे ये भी सरकार की चिंता का विषय था। ऐसे समय में देश का श्रम एवं रोजगार मंत्रालय नित नई चुनौतियों का मुकाबला कर रहा था। श्रमिकों के रोजगार जाने की समस्या, पात्र श्रमिकों के स्वास्थ्य की चिंता, आवश्यकता पड़ने पर EPFO के माध्यम से जरुरत मंद लोगों की आवश्यकताओं को तत्परता से पूरा करने की चिंता। साथ ही रोजगार खो चुके लोगों के लिए रोजगार के नए अवसरों के सृजन की योजना बनाना। देश का श्रम मंत्रालय लगातार कार्य कर रहा था। केन्द्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने पत्रकारों के साथ संवाद के कार्यक्रम में सरकार द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी को साझा किया।

इस दिशा में मंत्रालय ने एक बड़ी महत्वपूर्ण योजना के तहत असंगठित मजदूरों का डाटाबेस बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया। आजादी के 70 वर्षों तक असंगठित मजदूर महज आंकड़ों तक ही सीमित थे। आंकड़ों से हकीकत में बदलने का काम इस काल में शुरु हुआ। मोटे तौर पर ये माना जाता है असंगठित मजदूरों की संख्या देश में लगभग 40 करोड़ है। इन 40 करोड़ मजदूरों के भविष्य को ध्यान में रखकर इनका डाटा बेस बनाया जा रहा है जिससे सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से ये लोग लाभ उठा सकें। इसके साथ ही उन्होंने कर्मचारियों के लिए अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना एवं कोविड-19 रिलीफ स्कीम के बारे में भी जानकारी दी।

सरकार की नए रोजगारों के सृजन हेतु एक अत्यंत महत्वपूर्ण योजना जिसकी शुरुआत इस काल में हुई उसका नाम है “आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना” इस योजना की शुरुआत 1 अक्तूबर 2020 से हुई थी। इसके समाप्त होने की तारीख 30 जून 2021 थी लेकिन योजना को मिल रहे अच्छे प्रतिसाद को देखते हुए सरकार ने इस योजना की अवधि को 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया है। इस योजना के मुख्य उद्देश्य कोविड महामारी में औपचारिक क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा के लाभों के साथ नए रोजगार के सृजन के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करना और रोजगार की हानि का प्रतिस्थापन करना। कोरोना महामारी के प्रभाव को कम करना, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना। कामगारों की तकलीफ को दूर करना।

सरकार के दावों को माना जाए तो इस योजना के तहत 71.80 लाख रोजगार सृजित किए जायेंगे। इस योजना पर सरकार 31-03-2022 तक 22,098 रुपये व्यय करने वाली है। 30 जून तक 22 लाख से अधिक लाभार्थियों को 82,251 प्रतिष्ठानों के माध्यम से 950 करोड़ रुपये की राशि का लाभ दिया जा चुका है। इस योजना के तहत EPFO में पंजीकृत प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों की संख्या के आधार पर कर्मचारी का अंशदान (12%) और नियोक्ता का अंशदान (12%) दो वर्षों के लिए सरकार कर रही है। इसका लाभ पात्र कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं को पंजीकरण की तारीख से दो वर्षों तक मिल सकेगा।

केन्द्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बताया ESIC के अस्पताल कोरोना की तीसरी लहर के संभावित के खतरों से निपटने के लिए तैयार हैं। उन्होंने ESIC अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों एवं सहयोगी स्टाफ द्वारा कोरोना की दूसरी लहर से सफलता पूर्वक निपटने के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि वह स्वयं परिवार सहित कोरोना ग्रस्त हुए लेकिन ESIC अस्पताल के डॉक्टरों के प्रयास से इस आपदा से बचने में सफल हुए।

कुल मिलाकर इस संवाद का उद्देश्य सरकार की नीतियों एवं कार्यों को आम मजदूरों तक पहुंचाना था जिससे वह लोग इनसे परिचित हो सकें और आवश्यकता पड़ने पर इसका लाभ उठा सकें।

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