श्रम का सम्मान ठेंगडी जी को सच्ची श्रद्धांजलि- एम.वैंकेया नायडू

नई दिल्ली (13 नवम्बर): भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक श्री दत्तोपंत ठेंगडी की जन्म शताब्दी का दिल्ली में उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति श्री एम. वैंकैया नायडू ने कहा कि देश के लिए संपदा निर्माण करने वाले किसानों और मजदूरों के यदि स्वास्थ्य की हम अधिक चिंता करें तो वे और भी अधिक संपदा का निर्माण करेंगे। उन्होंने कहा कि ठेंगडीजी ने देश के श्रमिक आंदोलन को एक सकारात्मक दिशा दी और उसे आंदोलनों ओर हडतालों से बाहर निकालकर देश के रचनात्मक विकास में सहभागी बनने के लिए प्रेरित किया। यह ठेंगडीजी के श्रम का ही परिणाम है कि आज उनके द्वारा स्थापित भारतीय मजदूर संघ देश का सबसे बडा श्रम संगठन है।
खचाखच भरे मावलंकर सभागार में इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले, श्री दत्तोपन्त ठेंगडी जन्म शताब्दी समारोह समिति दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष एवं गुजरात के पूर्व राज्यपाल प्रो. ओमप्रकाश कोहली, भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सी.के. सजी नारायणन, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री श्री बद्रीनारायण एवं सुप्रसिद्ध स्वदेशी चिंतक, विचारक व गौतमबुद्ध विश्वविदयालय के उपकुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी एवं डा. कृष्ण गोपाल, अखिल भारतीय सहसम्पर्क प्रमुख श्री रामलाल, केन्द्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सत्यनारायण जटिया, भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री श्री दिनेश कुलकर्णी, स्वदेशी जागरण मंच से श्री सतीश कुमार व डॉ अश्वनी महाजन, एवं भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्र संगठन मंत्री श्री पवन कुमार भी उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ सहित उन सभी संगठनों, जिनकी ठेंगडीजी ने स्थापना की, का आहवान किया कि वे समाज के हर वर्ग को आर्थिक विकास की प्रक्रिया का हिस्सा बनायें। तभी ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ तथा ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का स्वप्न साकार होगा। साथ ही उन्होंने समाज का आहवान किया कि वह सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में सक्रिय सहयोग कर देश में परिवर्तन का एक बडा चित्र खडा करें। उन्होंने कहा, ‘हमेशा सरकार के भरोसे बैठे रहने से परिवर्तन नहीं होगा। समाज की जब तब सक्रिय भूमिका नहीं होगी देश में वांछित परिवर्तन नहीं होगा।’ साथ ही उन्होंने नयी तकनीक को सीखने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘जब तक हम नयी तकनीक में दक्षता हासिल नहीं करेंगे तब तक तीव्र गति से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ संतुलन स्थापित नहीं कर पाएंगे। इसलिए भारतीय मजदूर संघ एवं भारतीय किसान संघ मजदूरों एवं किसानों को नयी तकनीक सिखाने पर भी ध्यान केन्द्रित करें।
श्री नायडू ने कहा कि ठेंगडीजी एक दूरद्रष्टा थे और उनकी नेतृत्व क्षमता अद्वितीय थी। उसी क्षमता के बल पर उन्होंने शून्य से कई हिमालय खडे किये। ‘वे सर्वसमावेशी विचारक थे। इसीलिए संसार के हर वर्ग में उनका सम्मान था। एक समर्पित राष्ट्रनेता के रूप में उन्होंने राष्ट्रसेवा की। उनका जीवन अनुकरणीय था। एक श्रमिक नेता होने के बावजूद उन्होंने कभी भी श्रमिक आंदोलन को हिंसक नहीं होने दिया। इतने बडे नेता होने के बावजूद उनके पास न तो घर था और न ही कार अथवा मोबाइल फोन। यूनियन के एक छोटे से कमरे में ही उन्होंने अपना पूरा जीवन बिता दिया। ऐसे राष्ट्र नेता के श्रीचरणों में अपनी विनम्र श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि ठेंगडीजी कहा करते थे कि आधुनिकीकरण का अभिप्राय पश्चिमीकरण नहीं है। उन्होंने कहा, ‘ठेंगडी जी एक विचारक और संगठक दोनों थे। इसके अलावा वे एक श्रेष्ठ मानव व अभिभावक भी थे। सामान्य बीडी मजदूर की भी वे उसी प्रकार चिंता करते थे जिस प्रकार अन्य लोगों की। उनके जीवन काल में संगठन की ओर से उन्हें जो भी कार्य दिया गया उसे उन्होंने सफलतापूर्वक संपन्न किया। आपातकाल में उन्होंने भूमिगत आंदोलन का सशक्त नेतृत्व किया। वे एक विचारक के साथ-साथ अध्येता भी थे। अपने अनुभव वे पुस्तकों में संकलित किया करते थे। स्वतंत्र भारत में वे स्वदेशी आंदोलन के जनक थे। इसके माध्यम से उन्होंने देश में आर्थिक आजादी के आंदोलन की शुरूआत की। दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की उन्होंने बहुत ही स्पष्ट व्याख्या की।
प्रो. ओमप्रकाश कोहली ने कहा कि भारतीयता और राष्ट्रीयता ठेंगडीजी के चिंतन में दिखायी देती है। उन्होंने वर्ग संघर्ष के स्थान पर वर्ग सहयोग का मार्ग दिखाया। उनका स्पर्श जिन्हें मिला वह स्वयं को भाग्यशाली समझने लगता था। वे आत्मविलोपी थे, इसलिए सदैव स्वयं को पीछे रखते थे और साथ में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को आगे रखते थे। उनका प्रेरणादायी व्यक्तित्व आज भी प्रेरणा देता है। वे विलक्षण संगठक और अदभुत संगठन निर्माता थे।
प्रारंभ में प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने ठेंगडीजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे संगठन शिल्पी, राष्ट्रऋषि और राष्ट्र की समस्याओं के प्रति विचारवान थे। अपने मौलिक चिंतन के आधार पर उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना की। उन्होंने बताया कि ठेंगडीजी को संघ प्रचारक बनाने में उनकी मां का विशेष योगदान था। जब ठेंगडी जी संघ प्रचारक बने थे तो उनकी मां ने पूरे मोहल्ले में लोगों को भोज दिया था। उन्होंने बताया कि ठेंगडीजी की जन्म शताब्दी बनाने के लिए रारूट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक जन्म शताब्दी समारोह समितियों का गठन हुआ है और वे समितियां अपनी येाजना से देशभर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन वर्षभर करने वाली हैं।
कार्यक्रम के अंत में श्री बद्रीनारायण ने धन्यवाद प्रस्ताव किया। इस अवसर पर ‘आर्गेनाइजर’ के ठेंगडी विशेषांक का उपराष्ट्रपति एवं अन्य महानुभावों ने विमोचन किया।

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