लॉक-डॉउन के दौरान परिवारों में ऊर्जा का संचार कर रहा है परिवार प्रबोधन

नई दिल्ली, 10 अप्रैल (इंविसंके) । कोरोना संक्रमण के चलते सारे देश में लॉक-डॉउन का मौहाल है। लाखों लोग अपने घरों में कैद हैं और लॉक-डॉउन के नियमों का पालन कर रहे हैं। ऐसे में लोगों को जरूरी वस्तुएं, भोजन और राशन प्रदान करने के काम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लाखों कार्यकर्ता जुटे हुए हैं। ऐसे समय में संघ परिवार के ही एक महत्वपूर्ण आयाम परिवार प्रबोधन और प्रादेशिक भाषा संवर्धन द्वारा लॉक-डॉउन से परेशान परिवारों के बीच नई ऊर्जा भरने का काम किया जा रहा है। देश में विघटित होते संयुक्त परिवार, पारिवारिक संस्कारों का पतन, माता-पिता की उपेक्षा, नैतिक संस्कारों त्याग, पारिवारिक मर्यादा का उलंघन और राष्ट्र प्रेम की भावना का ह्रास जैसे अनेक विषय है। जिनकी समृद्धि के लिए परिवार प्रबोधन निर्बाध गति से काम कर रहा है। परिवार प्रबोधन द्वारा युवा पीढ़ी को संयुक्त परिवार की महत्ता, राष्ट्र भक्ति की विशेषता, पारिवारिक संस्कारों की जरूरत और माता पिता के सम्मान जैसे विषयों पर एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल इन्हीं विषयों के पतन की वजह से हमारे पारंपरिक संस्कारों का खात्मा होता जा रहा है। लॉक-डॉउन की अवधि के दौरान परिवार प्रबोधन द्वारा दिल्ली में 5 अप्रैल को एक अनूठा कार्यक्रम किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लॉक-डॉउन की वजह से बुजुर्गों में आई उदासीनता और युवाओं में पैदा होने वाली नकारात्मकता को खत्म करना था। 5 अप्रैल को 11 बजे दिल्ली के 2150 परिवारों के 10125 सदस्यों ने एक साथ गायत्री मंत्र का जाप किया। महावीर स्वामी की आराधना की, जपुजी साहब का पाठ किया गया। इल दौरान 100 परिवारों ने हवन भी किया। इस अनूठे आयोजन में 3 लाख 13 हजार 875 गायत्री मंत्रों का जाप किया गया। परिवार प्रबोधन के इस कार्य से उन परिवारों में सकारात्मक शक्ति का संचार हुआ जो लॉक-डॉउन की वजह से तनाव और हताशा के माहौल में थे। दिल्ली प्रदेश परिवार प्रबोधन के संयोजक भगवान दास बताते हैं कि हमारा मुख्य उद्देश्य परिवारों में संस्कारों की स्थापना, राष्ट्रभक्ति का भावना का संचार, माता-पिता की सेवा, पारिवारिक मर्यादा की गरिमा और सनातन धर्म से जुड़े आध्यात्मिक मूल्यों का प्रसार करना है। इस दौरान हम जिस भी परिवार के बीच जाते है तो उनसे आग्रह किया जाता है कि दिन में एक बार परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठें, अपनी-अपनी बातें कहें, अपने दिनभर के अनुभव को बताएं और अपने ईष्टदेव का स्मरण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। इस दिनचर्या से परिवारों के बीच फैली नकारात्मकता खत्म होगी और हर परिवार में नई शक्ति और सकारात्मकता का संचार होगा जो राष्ट्र और समाज के लिए बहुत जरूरी है।
भगवान दास बताते हैं कि आगामी 11 अप्रैल के दिन रात 8 बजे दिल्ली के सवा लाख परिवारों के बीच श्री हनुमान चालिसा, जपुजी साहब का पाठ अथवा महावीर स्वामी जी की स्तुति का महाअभियान शुरू होगा। इस महाअभियान की जानकारी सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दी जाएगी। कार्यक्रम के बाद दिल्ली के सवा लाख परिवारों के सदस्य एक साथ कोरोना संक्रमण से देश की मुक्ति के लिए प्रार्थना करेंगे। इसके अतिरिक्त परिवार प्रबोधन के कार्यकर्ता उन परिवारों के बीच जा रहे है जो लॉक-डॉउन की वजह से चिंतित है और तनाव में है। ऐसे परिवारों के वरिष्ट सदस्यों को सत्संग, प्रार्थना, गुरुवाणी, सुंदर कांड और दुर्गा स्तुति के अध्याय सुनाकर उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार किया जा रहा है। परिवार प्रबोधन के कार्यकर्ता कोविड-19 के प्रति लोगों को जागरुक भी कर रहे है और उन्हें इस वातावरण से निकलने के तरीके बता रहे हैं। इसके साथ ही परिवार प्रबोधन द्वारा राजधानी में प्रादेशिक भाषा के संवर्धन का काम भी किया जा रहा है। इस कार्य के दौरान दिल्ली में रहने वाले तेलगू, मराठी, तमिल, मलयालम, बंगाली, गुजराती और कन्नड भाषियों को उन्हीं की भाषा में राष्ट्रीय महापुरूषों के विचारों वाला साहित्य प्रदान किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के चलते दिल्ली में रहने वाले मराठी, गुजराती, बंगाली, तेगलू, तमिल, कन्नड और मलयाली परिवारों के लिए भोजन और राशन की व्यवस्था भी की गई। इस दौरान 16950 भोजन के पैकेज, 1482 परिवारों को राशन की किट, 240 परिवारों को सेनेटाइजर और 450 परिवारों को मॉस्क का वितरण किया गया। राजधानी में कोरोना संक्रमण के चलते लॉक-डॉउन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हजारों कार्यकर्ता डब्ल्यूएचओ के मानकों को पूरा करते हुए लाखों परिवारों की सेवा में जुटे हैं। ऐसे वक्त में संघ परिवार के एक महत्वपूर्ण आयाम परिवार प्रबोधन द्वारा लोगों में उपजी नकारात्मकता को दूर करने के लिए अनूठा प्रयास किया जा रहा है जिसे दिल्ली के लाखों परिवार अपना रहे हैं।

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