नक्सल फंडिग के कारण बस्तर की गलत तस्वीर रख रहे NGO: प्रशांत कुमार

बोल बिंदास

नक्सल संगठनो से फंडिग के कारण देश के अकादमिक क्षेत्र कुछ प्रोफेसर और NGO देश और विश्व में बस्तर की गलत छवि पेश कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत कुमार पटेल ने अपने बस्तर प्रवास के दौरान कही. वो रायपुर में एेक सेमिनार में भाग लेने के बाद बस्तर की यात्रा पर आये थे.

जगदलपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा दिल्ली में बैठे हुए जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ बु्द्धिजीवी नक्सलियों के लिए काम कर रहे हैं. मानवाधिकार के नाम पर नंदिनी सुंदर जैसे कुछ लोग देश और विदेश में इस प्रकार का माहौल बनाने का प्रयास कर रहें है कि बस्तर के आदिवासी ही नक्सली है और वो ही शासन के साथ संघर्ष कर रहे हैं. कुछ घटनाओं को बढ़ाचढ़ा कर पेश किया जाता है और सुरक्षाबलों की छवि को खराब करने का प्रयास किया जाता है. बस्तर में काफी संख्या में आदिवासी मारे जा रहे हैं पर उनके पक्ष में कोई आवाज नही उठा रहा है.

पटेल ने कहा कि उन्होंने कहा कि उन्होंने बस्तर में कुछ आदिवासी परिवारों और नक्सलियों से भी मुलाकात की. पटेल के अनुसार सोनी सोरी, बेला भाटिया, नंदिनी सुंदर जैसे लोग बस्तर और आदिवासियों के प्रतिनिधि नही हैं. बस्तर की समस्याओ के बारे में आवाज यहीं के लोगों को उठानी चाहिए. पटेल जेएनयू और देश में अन्य स्थानो पर जाकर बस्तर की वास्तविक स्थिति से लोगों को परिचित कराने का काम करेंगे. वो नक्सलवाद के विरूद्ध लोगों को जागरूक करेंगे.

यहां मौजूद अग्नि के सदस्य संपत झा ने कहा कि बस्तर के लोग लोकतंत्र के साथ है. लो लोग माओवाद नही चाहते. अब वक्त है कि बस्तर को लेेेेकर हो रहे नकारात्मक प्रचार के खिलाफ आवाज उठायी जाये.

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