फिल्म निर्माण कार्यशाला: युवाओं ने सीखा फिल्म बनाने का कौशल

पटना। पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय फिल्म निर्माण कार्यशाला का उद्घाटन भारतीय चित्र साधना के न्यासी व जाने-माने फिल्म समीक्षक अरुण अरोड़ा तथा पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी के अध्यक्ष व सेंसर बोर्ड के पूर्व सदस्य आनंद प्रकाश नारायण सिंह ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अरुण अरोड़ा ने कहा कि भारतीय सिनेमा में भारतीयता का बोध करने-कराने के उद्देश्य से भारतीय चित्र साधना की स्थापना हुई। उन्होंने कहा कि कला का उद्देश्य समाज को जोड़ना और समाज में प्रेम-सौहार्द बढ़ाना होता है। लेकिन, दुर्भाग्य से भारत में पिछले कई दशकों से ऐसी फिल्में बन रही है जो तथाकथित सच्चाई दिखाने के नाम पर नकारात्मकता का प्रसार कर रही है एवं समाज में कटुता, विद्वेष, घृणा, लोभ एवं ईर्ष्या आदि के भाव का महिमामंडन कर रही है। ऐसे मंे यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि सिनेमा के माध्यम से देश और समाज हित में सही विमर्श जन-जन तक पहुँचे। इसके लिए सुधि फिल्मकारों और फिल्म प्रेमियों की भावी पीढ़ी को सुसंस्कृत करने की आवश्यकता है। हाल के दिनों मंे देशप्रेम पर और अपनी गौरवशाली विरासत पर गर्व करने वाली फिल्में आयी। इनमें मणिकर्णिका, तान्हाजी-द अनसंग हीरो, बाहुबली, इत्यादि जैसी फिल्में शामिल हैं।

पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी के अध्यक्ष आनंद प्रकाश नारायण सिंह ने कहा कि सिने सोसाइटी के माध्यम से सारोकार आधारित सिनेमा को आम लोगों के बीच पहुँचाने और सही सिनेमा की परख बढ़ाने के प्रयास हो रहें हैं। यह फिल्म निर्माण कार्यशाला इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण पहल है। पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी के सचिव अभिषेक कुमार ने जानकारी दी कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में फिल्म आयाम के विभिन्न पक्ष जैसे कैमरा, प्रकाश व्यवस्था, पार्श्वध्वनि, पटकथा लेखन, सेट, कॉस्टयूम डिजाईन आदि के बारे में प्रतिभागियों को बताया जायेगा। इस कार्यशाला में बिहार एवं झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों व फिल्म संस्थानों से 40 प्रतिभागी भाग ले रहें हैं।

कार्यशाला के पहले दिन प्रसिद्ध फिल्म विश्लेषक प्रो. जय देव ने फिल्मों में उपलब्ध विभिन्न तत्वों जैसे फ्रेम, लाईट, ध्वनि, रंग, संवाद, सेट आदि से सम्प्रेषित होने वाले अर्थ को एक फिल्मकार की दृष्टि से समझने की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। सिनेमेटोग्राफर विवेक कुमार ने कैमरा के व्यवहारिक पक्षों पर प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। पटना वीमेंस कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रशांत रवि ने फिल्म प्रोडक्शन में परिस्थिति अनुसार प्रकाश संयोजन और किरदार के वस्त्र सज्जा के अनुरूप उसकी व्यवस्था के बारे में प्रतिभागियों के साथ अभ्यास कर प्रकाश संबंधी उपकरणों के महत्व को प्रदर्शित किया। फिल्म निर्माण में एडीटिंग के व्यवहारिक पक्ष को पटना वीमेंस कॉलेज में जनसंचार के शिक्षक अजय कुमार झा ने डेमो के माध्यम से बताया। फिल्मकार रीतेश परमार ने शूटिंग के लिए उपयोगी स्टोरी बोर्ड और शॉर्ट डिविजन के कौशल को समझाया। फिल्मकार प्रणव शाही ने डिजिटल युग में साउण्ड रिकार्डिंग और फिल्मों में उसके प्रयोग के बारे में उपकरणों की सहायता से बताया।

मंच संचालन सोसाइटी के संयोजक प्रशांत रंजन ने किया। इस अवसर पर पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार पाण्डेय, विश्व संवाद केंद्र के संपादक संजीव कुमार, वरिष्ठ रंगकर्मी संजय सिन्हा, शोधार्थी डॉ. गौरव रंजन समेत जनसंचार के विभिन्न संस्थानों के विद्यार्थी, शोधार्थी, शिक्षक एवं फिल्म प्रेमी उपस्थित थे।

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