माओवादी और मिशनरीज की रोटी पर पलता अग्निवेश फर्जी गेरुआधारी है: वस्तुतः ईसाई है: वेटिकन का प्यादा है अग्निवेश

मुरारी शरण शुक्ला

सोनियाँ सरकार में बड़ी दलाली का काम वही कर सकता था जो रोमन कैथोलिक ईसाई हो। आपको पता होना चाहिए कि सोनियाँ काँग्रेस के शासनकाल में सबसे बड़े लायजनर्स में अग्निवेश की गिनती होती थी। अग्निवेश सत्ता के गलियारे के चमकते सितारे थे उन दिनों। अग्निवेश की कृपा प्राप्त हो जाने पर सोनियाँ सरकार में बड़े से बड़ा काम करा लेते थे लोग।

अग्निवेश का जन्म हुआ आंध्रप्रदेश में। पले बढ़े पढ़े छत्तीसगढ़ में और जीवन भर काम किया मिशनरीज और माओवाद के लिए। विनायक सेन जैसे दुर्दांत माओवादी को सोनियाँ सरकार के सहारे फाँसी से बचा लेने का चमत्कार कर दिखाया था अग्निवेश ने। आज तक भी विनायक सेन की गर्दन फाँसी के फंदे तक न पहुँच सका। यह सोनियाँ की शक्ति नहीं है यह चर्च की शक्ति का परिणाम है।

अग्निवेश एक संगठन चलाता है सर्व धर्म संसद। उस संगठन की जहाँ भी बैठक होती है वहाँ सर्व धर्म के नाम पर केवल चर्च का बोलबाला होता है। और सनातन धर्म का स्वयंभू प्रतिनिधि हर बार अग्निवेश ही होता है। अर्थात यह सर्व धर्म संसद केवल चर्च की संसद बनकर रह गया है। या यूँ कहें कि चर्च के हितों को ध्यान में रखकर ही यह संगठन बनाया गया है।

19 जून 2009 को G8 सम्मेलन से ठीक पहले रोम में सर्व धर्म संसद का आयोजन हुआ। आयोजक अग्निवेश थे। चूँकि इस संगठन के सर्वेसर्वा अग्निवेश ही हैं। उस सम्मेलन से तीन दिन पहले सभी डेलीगेट्स भारी सुरक्षा व सुविधा के अंतर्गत भूकंप प्रभावित ला अकीला शहर में ले जाए गए। जहाँ वेटिकन के पादरियों द्वारा मृतकों के लिए सामूहिक प्रेयर का आयोजन हुआ। सारी व्यवस्था वेटिकन ने ही किया था। प्रेयर का आइडिया अग्निवेश का ही था। यदि तुम आर्य समाजी थे और सनातनी थे तो वहाँ वैदिक स्वस्तिवाचन व शांति पाठ भी करवा सकते थे। किन्तु चर्च का प्रेयर जिसको आनन्दित करता हो वह वैदिक शांति पाठ क्यों करेगा?

सर्व धर्म संसद का उद्घाटन संध्या 5 बजे रोम के प्रसिद्ध विला मडामा में हुआ। उद्घाटनकर्ता था कम्युनिटी ऑफ सेंट इडिगो का संस्थापक प्रोफेसर एंड्रिया रिकार्डी। एंड्रिया रिकार्डी चर्च के सम्बंध में ही पुस्तकें लिखता रहा है। इसी लेखन के कारण वह इतिहासकार कहा जाता है। चर्च के विश्वस्त लोगों में से एक वफादार है एंड्रिया रिकार्डी। वही व्यक्ति अग्निवेश के सर्व धर्म संसद का उद्घाटनकर्ता महापुरुष था। अग्निवेश के रिश्ते सम्बंधों को समझने के लिए यह लिंक महत्वपूर्ण है।

अपने वेटिकन के लिंक के कारण ही अग्निवेश लगातार हिन्दू धर्म के विविध तीर्थ, पर्व-उत्सवों और रीति नीति पर आक्रमण करता रहा है। अग्निवेश का माओवाद के साथ गहरा संबंध भी उसके हिन्दू विरोधी होने का एक प्रमुख कारण रहा है। अग्निवेश झारखंड और छत्तीसगढ़ के माओवादियों से बड़े निकट से जुड़ा रहा है। इन दोनों राज्यों के चर्च और मिशनरीज से भी अग्निवेश के बड़े गहरे संबंध रहे हैं। अग्निवेश इनके लिए अनेकों बार काम करता हुआ दिखाई देता है।

अभी की अग्निवेश की झारखंड यात्रा भी चर्च के लिए ही थी। अग्निवेश राँची के समीप खूँटी में वहाँ के सभी मिशनरीज के प्रमुख लोगों से मिलकर उनको साहस देने का काम किया। हीलिंग टच टू मिशनरीज। बच्चा बेचने वाली घटना में सिस्टर कोनसिलिया और सिस्टर मेरिडियन के पकड़े जाने और अपराध स्वीकार कर लेने के बाद राज्य सरकार द्वारा मिशनरीज ऑफ चैरिटी के ठिकानों पर पड़े छापे के बाद मिशनरीज की चूलें हिल गई हैं।

भारत का कैथोलिक विशप थियोडोर मैशकरेनहैस इस छापे के तुरंत बाद दिल्ली से दौड़ते हुए राँची पहुँचा था। किंतु उसके वहाँ जाने और दलाली के तमाम प्रयत्न विफल रहे तब दलाल शिरोमणि अग्निवेश को थियोडोर मैशकरेनहैस ने खूंटी भेजा। पाकुड़ यात्रा लोगों को भ्रमित करने के लिए आयोजित किया गया था।
किन्तु कुछ नौजवानों के आक्रामक रवैये ने सारा भ्रम निवारण कर दिया।

ये लेखक के अपने विचार हैं।

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