बिहार में अब टोलों को जोड़ने के लिए बनेंगी 60000 किमी सड़कें : CM नीतीश

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में मुख्य सड़कों का निर्माण हो चुका है, अब सभी टोलों तक सड़कों की सुविधा मुहैया कराने के लिए बड़े स्तर पर कवायद शुरू कर दी गयी है. मुख्यमंत्री ग्रामीण टोला संपर्क योजना के तहत 60 हजार किमी सड़कें बनायी जायेंगी. गुरुवार को ग्रामीण कार्य विभाग की 4,773 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास व कार्यारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने विभागीय इंजीनियरों को ग्रामीण सड़कों की क्वालिटी को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया.

साथ ही उन्होंने अधिकारियों को कांट्रैक्ट की शर्तों के अनुरूप काम नहीं करनेवाले ठेकेदारों या निर्माण एजेंसियों पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री सचिवालय के संवाद कक्ष में आयोजित समारोह में इंजीनियरों से कहा, अापकी जरूरत को पूरा तो कर सकते हैं, लेकिन लालच को पूरा नहीं किया जा सकता है.

अब सोचने की क्या जरूरत है. सातवां वेतनमान लागू होने जा रहा है. पैसा बहुत बढ़ेगा. कितनी जरूरत पड़ेगी पैसे की? कोई व्यक्ति ज्यादा पैसे का क्या करेगा? लालच की कभी पूर्ति नहीं हो सकती और पैसे से कभी संतोष नहीं मिलता. किसी के कफन में जेब नहीं होती. गलत करनेवालों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई की जायेगी. सड़कों की सभी योजनाओं को गुणवत्ता के साथ कार्यान्वित करने का दायित्व आपका है.

100 की आबादीवाली बसावटें भी जुड़ेंगी सड़कों से
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग सभी गांव तो सड़क मार्ग से जुड़ गये हैं, लेकिन इनके आसपास मौजूद कई टोले खासकर एससी-एसटी वर्ग के टोले अब भी सड़क से महरूम हैं. सात निश्चय योजना के तहत 100 की आबादीवाली सभी बसावटों या टोलों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए ‘मुख्यमंत्री ग्रामीण टोला संपर्क निश्चय योजना’ तैयार की गयी है. इसके तहत सभी टोलों की सूची तैयार की गयी है. इसमें पीएमजीएसवाइ और मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से छूटी 60 हजार किमी से ज्यादा ग्रामीण सड़कों को शामिल किया गया है. ऐसी सड़कों की सूची तैयार कर ली गयी है. इस सूची को जल्द ही सभी विधायकों को दी जायेगी, ताकि वे अपने क्षेत्रों में ऐसे टोलों का मिलान करे लें. कोई टोला नहीं छूटना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए नाबार्ड से ऑफ बजट लोन लिया जा रहा है. इसकी ब्याज दर सामान्य लोन से ज्यादा होती है. फिर भी ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए यह पहल की गयी है. इसके अलावा 250 से 499 की आबादी वाली बसावटों को सड़क से जोड़ने के लिए विश्व बैंक से लोन लिया जा रहा है. इस लोन को प्राप्त करने के लिए 30% हिस्सेदारी राज्यांश के रूप में देनी है. इस पैसे की व्यवस्था के लिए ‘ब्रिक्स बैंक’ से लोन लेने के लिए आवेदन कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इंजीनियरों को नयी तकनीकों का उपयोग करके इन सड़कों का निर्माण करना है. इस नयी तकनीक से लागत 30% तक कम हो जाती है. कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार और स्वागत संबोधन विभागीय सचिव विनय कुमार ने की. इस मौके पर सीएम के प्रधान सचिव चंचल कुमार, सचिव मनीष कुमार वर्मा समेत अन्य मौजूद थे.

ग्रामीण सड़कें ठीक नहीं बनने पर होती है बदनामी
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में सड़क ठीक से नहीं बनने पर बदनामी होती है. गांव के लोग बोलते कम हैं, पर उनके मन पर इसका असर पड़ता है. सड़कों की क्वालिटी बनाये रखने के लिए निर्माण की व्यवस्था को विकेंद्रीकृत कर दिया गया है. अब वार्ड समिति के स्तर पर ही सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है. गांव के लोग ही मिल कर बनाएं, तो यह बेहतर बनेगा. इसमें तमाम तकनीकी सपोर्ट इंजीनियर विंग के स्तर पर होना चाहिए. तमाम निर्माण सामग्री की खरीद भी स्थानीय स्तर पर ही होगी. उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियां तो ठेका लेने के बाद पेटी कांट्रैक्ट दे देती हैं, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है. पीएमजीएसवाइ के अंतर्गत शुरुआत में जितनी भी सड़कें बनीं, सब की स्थिति इस वजह से ही खराब हो गयी.

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