Yog with Yog Guru Sunil Singh

योग गुरू सुनील सिंह पद्मासन में

देश के प्रसिद्ध योग गुरू सुनील सिंह आपको बता रहे हैं कि पद्मासन किस तरह से किया जाये और उसके करने के क्या लाभ हैं.

पद्मासन

इस आसन में शरीर की आकृति कमल के फूल के समान हो जाती है, इसलिए इसे कमलासन या पद्मासन भी कहा जाता है। इस आसन में साधक अपने चेतनारूपी कमल को विकसित करता है।

विधि : पहले ज़मीन पर सहजतापूर्वक बैठ जाएं, अब अपनी दाई टांग को घुटनों से मोड़ कर बांए पैर की जंघा पर रखें, अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दायें पैर की जंघा पर रखें, दोनों पैर की ऐड़ियां नाभि के पास होनी चाहिए, कमर, गर्दन और कंधे बिल्कुल सीधे रखकर बैठें और आंखें बंद करके दोनों हाथों को घुटने पर रखना ज्ञान मुद्रा (दोनों हाथों की तर्जनी उंगलियां अंगूठे के पोर (अग्रभाग) को स्पर्श करें) कहलाती है। चेहरे पर बिना तनाव लाए अपनी क्षमतानुसार इस आसन पर बैठें। नए साधक शुरू-शुरू में कम-से-कम 5 मिनट तक बैठने का अभ्यास करें और अभ्यस्थ होने पर धीरे-धीरे समय को बढ़ाते जाएं,ऐसा करते हुए श्वांस की गति सामान्य होनी चाहिए।

लाभ: कहा जाता है कि प्राणायाम बिना पद्मासन लगाए सिद्ध नहीं हो सकता है।
इस आसन के अभ्यास से कब्ज़, गैस व बदहज़मी की शिकायत दूर होती है और पाचन शक्ति तेज़ होती है। इस आसन से ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थी और संन्यासियों को समान रूप से लाभ मिलता है। इस आसन में ज्ञान मुद्रा के अभ्यास से चित्त की चंचलता, क्रोध और मानसिक तनाव कम हो जाते हैं। यह मुद्रा हमारे आज्ञाचक्र को भी विशेष रूप से प्रभावित करती है। स्मरण शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि होती है, नशा करने वाले व्यक्ति को यदि इस मुद्रा में रोज़ बैठाया जाए, तो वह नशे का परित्याग कर देता है।

सावधानियां : साईटिका और कमज़ोर घुटने वाले व्यक्ति इस आसन का अभ्यास न करें।

विशेष: प्रत्येक पैर को मोड़ने का अभ्यास धीरे-धीरे करें।रात में सोते वक्त अपने पैरों की एड़ियां व घुटनों की मालिश सरसों के तेल से करें।

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