वुहान और चीन की साजिश-डॉ सीमा सिंह


डॉक्टर सीमा सिंह, सहायक प्रोफेसर, विधि विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

चीन के बुहान शहर से २०१९ एक वायरस निकला जो देखते देखे पूरी दुनिया में फैल गया। चीन के इस वाइरस से कितने लोग मरे ये तो पता नहीं पर चीन ने इसे पूरी दुनिया में फैला कर एक वैश्विक महामारी को अवश्य जन्म दिया। दुनिया के पास अभी तक इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि ये वाइरस वुहान की विरोलॉजी लैब में पैदा हुआ या वेट मार्केट से।
लेकिन इंग्लैंड के ‘दि सन’अख़बार के अनुसार २०१५ से चीन की सेना एक खतरनाक जैविक हथियार बनाने में लगी थी और तीसरा विश्व युद्ध इन्हीं हथियारों से लड़ने कि तैयारी में थी। चीन की महत्वकाक्षा बड़ी है और उसे हासिल करनी की जल्दी भी । चीन को एक आर्थिक और सामरिक महाशक्ति बनने की जल्दी है, फिर चाहे कीमत कुछ भी हो। चीन से निकले वायरस की त्रासदी अंततः पूरी दुनिया भुगत रही पर वुहान और पूरा चीन एकदम शांत और मस्त हैं।

स्थिति ये है कि चीन के वुहान से निकला कोरोना वायरस पूरी दुनिया में करोड़ों लोगो को अपना शिकार बना चुका है। लाखों लोग मर चुके हैं। पूरी दुनिया का स्वास्थ्य तंत्र और अर्थ तंत्र घुटनों पर है। अपनी स्वास्थ्य और अर्थ व्यवस्था पर गर्व करने वाले दुनिया के तमाम देश अपने लोगों को मरते देखने को मजबूर हैं। ११ ट्रिलियन डॉलर का नुकसान विश्व अर्थवयवस्था को हो चुका है। बहुत सारे देशों की आर्थिक हालत पतली है। लंबे लॉक डाउन से बेरोज़गारी बढ़ती जा रही पर चीनी अर्थव्यवस्था स्वस्थ है , फल- फूल रही, उन लाशों पर जो चीन ने बिछाई है।

सोचने के लिए बहुत सारी बाते हैं। जैसे कि अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संस्था भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर १२%, चीन की 8.4% और अमेरिका की 4.4% बताता है। पर देखते देखते सब एक पल में कैसे बदल जाता है।
दुनिया के अधिकांश देशों में चीनी वायरस की प्रथम लहर में वैक्सीन सप्लाई करने वाला भारत आज पूरी दुनिया से वैक्सीन मांगने को मजबूर है। अचानक फैले चीनी वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने भारतीय अर्थव्यवस्था की जड़ें हिला दी है। लाखों लोग मारे जा चुके हैं। पड़ोस के जिन देशों को भारत मदद पहुंचा रहा था आज वहां चीन घुस चुका है। चीन अब दुनिया का दादा बनन चाहता है। दूसरी लहर ने जहां पूरी दुनिया को हिला दिया वहीं चीनी अर्थव्यवस्था के लिए ये वरदान बन कर आई है।
वैसे भी कॉविड की पहली लहर के बाद भारत के बढ़ते कद और चीन के प्रति भारत की कठोर नीति चीन को रास नहीं आ रही थी। क्वाड पर चीन बिलबिला रहा। सिल्क रोड से दूर होते देश उसे निराश कर रहे । उसे अपनी धाक जमा कर रखनी है चाहे उसके लिए कितने ही पाप करने पड़े। भारत को उलझा कर अब वो छोटे छोटे देशों को धमका रहा। नेपाल, श्रीलंका,पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में चीन एक बुरी नीयत के साथ घुस चुका है। भारत को हर तरफ से घेरने कि तय्यारी है। अमेरिका के सामने भी चीन रूपी चुनौती खड़ी है। अब दुनिया के १०० देशों में चीन अपने विश्वविद्यालय खोलकर बौद्धिक रूप से भी दुनिया की सोच को नियंत्रित करना चाहता है। परन्तु सोचने के लिए दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि चीन की दादागिरी पर पूरी दुनिया शांत क्यूं है? कहीं से इक्का दुक्का कोई आवाज़ आती है, जैसे ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील। अब कुछ हद तक अमेरिका भी बोलने लगा है पर स्वर बहुत धीमा है। सबसे ज्यादा कलई दुनिया के कमजोर देशों पर धाक जमाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ , इंटरनेशनल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस, अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन की खुली है। सब चुप हैं। किसी की हिम्मत नहीं की चीन की करतूतों पर कुछ बोल दे।विश्व स्वास्थ्य संगठन चीन की गोदी में बैठा जान पड़ता है। वुहान लैब में उसे चीन के खिलाफ कुछ नहीं मिलता शायद एक भ्रम की स्थिति खड़ी कर दुनिया को चीनी वायरस के बारे में भटकाना चाहता है।

अब तक अगर किसी ने इस वायरस को बार- बार चीनी वायरस बोल कर चीन को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की तो वो हैं अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप । लेकिन चीन का मुखौटा उतारने की कोशिश की कीमत उन्हें चुकानी पड़ी। वास्तव में ये अमेरिका के लिए भी ये एक सुनहरा अवसर है। अमेरिका भी ये जानता है। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को दर किनार कर अमेरिका नए तरीके से जांच करना चाहता है। वो ये मानता है कि ये वायरस चीन के वुहान लैब से लीक हुआ। अगर वो ये साबित कर ले जाता है तो संभव है कि दुनिया के तमाम देश अमेरिका के पीछे खड़े दिखें। सभी इस वायरस से पीड़ित जो हैं। अभी भी चीनी वायरस की दूसरी तीसरी लहर से जूझते ज्यादातर देश अपने यहां कोरोना वाइरस से गिरती लाशों को गिनने में लगे हैं।

ये एक महामारी है। इससे लड़ना भी है और बच कर निकालना भी। इसीलिए अब विश्व के विकसित देश इस आपदा में अवसर भी तलाश रहे है।सिर्फ वैक्सीन चीनी वायरस से बचा सकती है अतः वैक्सीन का निर्माण और निर्यात ही अवसर है। वैक्सीन बनाने के साधन और संसाधन इन विकसित देशों के पास है। मार्केट बड़ी आबादी रखने वाले गरीब देशों के पास। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में अचानक आए संक्रमण की बाढ़ ने अमेरिका जैसे देशों को वैक्सीन व्यापार का सुनहरा अवसर दिया है।

अभी चुनौतियां बड़ी और लड़ाई लंबी दिखती है। चीनी वायरस की नई नई लहर पूरी दुनिया के लिए समस्या है।अब पता चल रहा नई लहर बच्चो पर हमलावर होगी। अब तक अमेरिका में ३०० और ब्राजील में २५०० बच्चों की मौत भी इस चीनी वायरस से हो चुकी है। सिंगापुर और ताईवान से भी ऐसी खबरे आ रही। दुनिया की छोटी आबादी वाले विकसित देश और भारत जैसे बड़ी आबादी वाले विकासशील देश के लिए ये लहर अगर आती है तो बेहद चुनौतीपूर्ण होगी।

फिलहाल चीन में चीनी वायरस के दूसरी लहर के बारे में कोई खबर नहीं है। शायद चीन ने पूरी दुनिया को असुरक्षित कर खुद को सुरक्षित कर लिया है। चीनी वायरस उनके घर की देन जो है। फिलहाल चीन के पास दुख का कोई कारण नहीं है। अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएं उसके नियंत्रण में दिखती है, विश्व स्वास्थ्य संगठन के टेड रॉस और चीन की नजदीकियां जग जाहिर हैं, चीनी अर्थव्यवस्था फल- फूल रही। अब तो चीन मंगल पर भी पहुंच चुका है। कुल मिलाकर दुनिया जमीन पर और चीन आसमान पर है। सब पर हावी। अभी उसको चुनौती देने वाला कोई नहीं दिख रहा। आखिर सवाल मानव जीवन का नहीं दुनिया के लिए आपदा खड़ी कर उसे खुद के लिए अवसर बनाने का है।
फिलहाल तो कुछ खास होता नहीं दिख रहा। सब मौन है और कुछ लाचार। लेकिन चीन के पास वायरस का अचूक जैविक अस्त्र हैं जो कभी भी नए वैरिएंट के साथ इस्तेमाल होगा। शायद चीन के हाथ लगा ये ब्रह्मास्त्र दुनिया को कभी भी घुटनों के बल ला सकता है, यदि उसके विरूद्ध दुनिया ने एक जुट होकर कुछ ना किया तो।
फिलहाल आज की परिस्थिति महाभारत की उस सभा की याद दिला रही जहां द्रौपदी के अपमान पर सब चुप थे, मौन थे। चीन की करतूतों पर भी सब चुप हैं। पर वहां भी सबका हिसाब हुआ था …यहां भी होगा…बात बस समय समय की है।

Advertise with us