जल्द होगा उर्दू में वाल्मीकि रामायण पर आधारित”हिंद के राम” का मंचन

उर्दू लेखक डॉ. मोहम्मद अलीम की लिखे वाल्मीकि रामायण पर आधारित उर्दू नाटक “हिंद के राम” की मंचीय प्रस्तुति निकट भविष्य में होने जा रही है। इस विषय में जानकारी देने एवं नाटक में हिस्सा लेने के इच्छुक नाट्यकर्मियो के साथ नाटक के निर्देशक श्री मुश्ताक काक (संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित), लेखक डॉ. मोहम्मद अलीम और निर्माता अतुल गंगवार ने एक लाइव सेशन में बातचीत की। गौरतलब है अभी कोरोना काल में सारी गतिविधियां ऑनलाइन हो रही हैं।डॉ. मोहम्मद अलीम की लिखी किताब जो की उर्दू और देवनागरी लिपि में हैं उसका विमोचन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जी ने किया था।

25 जुलाई, 2020 को, इसके निर्देशक, मुश्ताक काक द्वारा ज़ूम पर 4 बजे, अभिनेताओं, विशेषज्ञों और विद्वानों के साथ जुड़ने के लिए एक वेब इंटरैक्शन आयोजित किया गया था।

निर्देशक मुश्ताक काक ने विस्तार से बताया कि कैसे वह इस नाटक को यथार्थवादी और ठोस तरीके से मंच पर लाना चाहते हैं और जो पूरी तरह से दर्शकों के लिए एक नया अनुभव होगा। ये अनुभव अभी तक जिस तरह से रामलीला का मंचन किया जाता है उससे अलग होगा।

डॉ. मोहम्मद अलीम ने नाटक के बारे में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वह भगवान राम के आदर्श दृष्टिकोण को लाना चाहते हैं, जिसे महान महाकाव्य कवि वाल्मीकि ने मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में चित्रित किया है, जो हर दृष्टि से जनमानस के लिए आदर्श थे। वर्तमान काल में राम जी की प्रासंगिकता बढ़ी है। कोरोना काल में जिस तरह से रामायण के पुनर्प्रसारण को करोड़ों लोगों ने देखा वह राम जी के महत्व को दर्शाता है।

अतुल गंगवार ने इस महाकाव्य प्रस्तुति के निर्माता के रूप में अपने विचार रखे कि उन्होंने भारत और दुनिया के लोगों के सामने “हिंद के राम” को लाने की योजना बनाई है। उन्होंने बताया कि “हिंद के राम” का मंचन पूरे देश में किया जायेगा।

विषय पर एक विशेषज्ञ के रूप में वरिष्ठ पत्रकार रवि पाराशर ने नाटक के बारे में अपने अनुभव साझा किए, जो राम की कहानी के लोकप्रिय रूप से काफी अलग है, जिसे हम आमतौर पर राम लीला में देखते हैं।

जैसे ही सरकार कोविड काल के बाद सार्वजनिक प्रदर्शन की अनुमति देगी वैसे ही नाटक का मंचन प्रारम्भ कर दिया जायेगा।

अदबी कॉकटेल के तहत इस नाटक का मंचन किया जा रहा है। हिंद के राम नाटक को दर्शकों तक पहुंचाने का दायित्व रमा पायलट, अतुल गंगवार, अमरजोत भसीन और  राकेश योगी ने उठाया है। जनवरी 2021 में इसके मंचन का प्रयास है।

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