गोरखपुर में 43 फीसदी और फूलपुर में 37.39 प्रतिशत डाले गये वोट

उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा संसदीय उपचुनाव के लिए हो रहे मतदान हुए. मतदान की प्रक्रिया काफी धीमी रही. गोरखपुर में 43 फीसदी और फूलपुर में 37.39 फीसदी लोगों ने वोट डाले. मालूम हो कि गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में जहां 10 प्रत्याशी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं फूलपुर में कुल 22 प्रत्याशी मैदान में हैं.

जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर में 43 प्रतिशत मतदान हुआ. इसके अलावा फूलपुर उपचुनाव में 37.39 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के एक प्राथमिक स्कूल पर मतदान करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में अपने उम्मीदवार की जीत की बात कही. उन्होंने कहा, ‘जनता का अपार समर्थन भारतीय जनता पार्टी को मिल रहा है, जनता भी इस बात को जानती है कि कि प्रधानमंत्री मोदी ने विकास और सुशासन का जो मंत्र दिया है, इसी में उसका कल्याण निहित है. सपा-बसपा की नकारात्मक राजनीति है, सौदेबाजी की राजनीति है, अवसरवादी की राजनीति है. प्रदेश इसके दुष्परिणामों को भुगत चुका है और आनेवाले समय में इस प्रकार की कोई स्थितियां पैदा न हो, इसके लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ वंशवाद एवं जातिवाद की राजनीति से उबर कर विकास और प्रशासन पर ही ध्यान देना चाहिए.’

उनसे जब पूछा गया कि सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़ रहे है और अगर यह दोनो पार्टियां 2019 का चुनाव साथ मिलकर लड़ें. इस पर योगी ने कहा, ‘कोई असर नही पड़नेवाला. मैं तो चाहता था कि यह उपचुनाव सपा बसपा और कांग्रेस साथ मिलकर लड़ते, तो और अच्छा परिणाम आता.’ भारतीय जनता पार्टी ने गोरखपुर से उपेंद्र दत्त शुक्ला, समाजवादी पार्टी ने प्रवीण निषाद और कांग्रेस ने सुरीथा करीम चुनाव मैदान में उतारा है.

निर्वाचन कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, फूलपुर में तीन बजे तक फाफामऊ में 31 प्रतिशत, सोरांव में 26 प्रतिशत, फूलपुर में 33.4, इलाहाबाद पश्चिम में 25.4 और इलाहाबाद उत्तर में 15.4 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. फूलपुर लोकसभा के अंतर्गत कुल पांच विधानसभा क्षेत्रों में 2,155 बूथों पर मतदान हो रहा है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कर्मभूमि फूलपुर लोकसभा का यह तीसरा उपचुनाव है. उनके निधन के बाद 1964 में इस सीट पर पहला उपचुनाव हुआ और उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित ने कांग्रेस से जीत दर्ज की थी. इसके बाद विजयलक्ष्मी पंडित के 1969 में संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि बनने के बाद इस्तीफा देने से रिक्त हुई सीट पर दोबारा उपचुनाव हुआ और तब कांग्रेस ने केशव देव मालवीय को मैदान में उतारा. हालांकि, वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार जनेश्वर मिश्र से हार गये थे.

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