काँग्रेस महज सत्ता में बने रहने के लिए गलत कुरीतियों को बढ़ावा देती रही है और गंगा को उल्टी दिशा में बहाने का काम करती रही है -आरिफ मो.खान

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अनीता चौधरी

ट्रिपल तलाक़ कानून 2019 पूरे देश मे लागू हो चुका है । अब तलाक़-ए-बिद्दत, इंस्टेंट तलाक़ कानूनन ज़ुर्म होगा जिसमें सजा के कड़े प्रावधान हैं । तलाक़ बिद्दत यानि वह तलाक़ जो क़ुरान के अनुसार नहीं बल्कि परंपरा के अनुसार इस्लाम में एक नया इज़ाफ़ा है। चूंकि ट्रिपल तलाक़ को ले कर क़ानून सख्त है इसलिए इस पर करवाई को लेकर मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग विशेष के बीच विरोधी स्वर लगातार सुनाई दे रहे हैं । मुस्लिम राजनेताओं की बात करें तो चाहे  ग़ुलाम नबी आज़ाद हों या असोवद्दीन ओवैसी या सलमान ख़ुर्शीद, विपक्ष के ये सभी नेता इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं। इसे मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं । लेकिन मुस्लिम महिलाओं के बीच खुशी की ज़बरदस्त लहर है ।  ट्रिपल तलाक़ से लेकर मुस्लिम समुदाय को लेकर इस मसले पर मैं ने बात की जाने माने स्कॉलर आरिफ़ मुहम्मद साहब से । आरिफ साहब ने ट्रिपल तलाक को न सिर्फ भारत के कानून के लिहाज़ से बल्कि इस्लाम के लिहाज से भी गैर कानूनी बताया । उनका कहना है कि हज़ारों साल से चली आ रही इस प्रथा का कुरान में कहीं ज़िक्र नहीं है और इस कुरीति की नुमाइंदगी करने वाला ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जिसकी आवाज़ हैं असुव्उद्दीन ओवैसी साहब वो अपने ज़रा ज़रा से फायदे के लिए कुरान के खिलाफ काम करते हैं । जो लोग खुद तलाक़ को हराम मानते हैं वही लोग महज़ अपने फायदे के लिए ट्रिपल तलाक़ की वकालत कर रहे हैं ।

आरिफ़ मोहम्मद साहब ने काँग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि काँग्रेस महज सत्ता में बने रहने के लिए गलत कुरीतियों को बढ़ावा देती रही है और गंगा को उल्टी दिशा में बहाने का काम करती रही है । महज़ चंद वोट और सत्ता पर काबिज रहने के लिए कांग्रेस आज से नहीं बल्कि 1986 से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करती रही है । 1986 के शाह बानो केस का हवाला देते हुए आरिफ साहब ने बताया कि काँग्रेस मुस्लिम महिलाओं के विरोध में काम करती रही है ,कोर्ट का अवमानना करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार कर मुस्लिम विरोधी कानून बनाती है और शाहबानो जैसी मज़लूम मुस्लिम महिलाओं के मुंह का निवाला छीनती रही है । इसलिए ट्रिपल तलाक को लेकर इस नए कानून से काँग्रेस के पेट मे दर्द लाज़मी है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को एक गैर जिम्मेदार संस्था करार देते हुए आरिफ साहब का कहना है कि देश भारत सरकार के कानून के मुताबिक़ चलेगा न कि शरीयत और मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के हिसाब से ।

मुस्लिम भावनाओं को लेकर देश के मौजूदा माहौल पर तल्ख टिप्पणी करते हुए आरिफ मुहम्मद साहब ने कहा कि बीजेपी तो महज़ एक बहाना है । भारत का मुसलमान आज से नहीं बल्कि 1947 से भय के महौल में हैं । आज अगर बीजेपी की वजह से इनकी पहचान को खतरा है तो तब कौन लोग थे, 1947 में इनका नारा था “हम अलग हैं, हमारी कौम अलग” है ।

1986 में ये बोल रहे थे कि “हम अलग, हमारी पहचान अलग” तब तो बीजेपी नहीं थी तब क्यों खतरे में थे। सब बड़े बड़े आंदोलन चला रहे थे ।  आज ओवैसी हैं, तब ओवैसी के पिता जी थे जो इंडियन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ मिल कर कुछ नकारात्मक लोगों के साथ मिल कर इस तरह का माहौल बनाते थे और काँग्रेस उसको हवा देती थी । आरिफ साहब ने बातचीत के दौरान मुस्लिम समुदाय के अंदर पाई जाने वाली कुंठा पर बोलते हुए कहा कि देश में लिंचिंग आज से नहीं बल्कि कई दशकों से हो रही है और लिंचिंग सिखाने वाले भी मुस्लिम समुदाय के यही लोग हैं । सरकार की जिन नीतियों को ये कोसते हैं उनमें से कोई एक ऐसी नीति बताए जो मुस्लिम विरोधी है । जिसका इस्तेमाल मुसलमानों के खिलाफ हो रहा हो । विचारधारा अगर नहीं मिल रही हो तो लिंच करने की शुरुआत ही इन्ही लोगों ने की है । इनकी दिक्कत ये नहीं कि पालिसी क्या है, ये इस बात से परेशान हैं कि कोई दंगे क्यों नहीं हो रहे , हिंसा क्यों नही फैल रहा ताकि इनकी अपनी रोटियां सिंकती रहे । ये पहला मौका है जब 5 साल की किसी सरकार में कोई दंगा नहीं हुआ है । इसलिए भारत के मुसलमान आश्वस्त रहें कि जो भारत का भविष्य होगा वही उनका भी भविष्य होगा ।

अनिता चौधरी

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