बिहार में कलक्टरों का एक गांव, नई पीढ़ी के लिए बना प्रेरणास्रोत

बिहार के शिवहर जिले के कमरौली गांव की खास पहचान है। 90 फीसद साक्षरता दर के साथ ही गांव से छह आइएएस अधिकारी निकले हैं । वर्तमान में बिहार सरकार के मुख्य सचिव दीपक कुमार और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार इसी गांव के हैं। इसके अलावा कई लोग वैज्ञानिक, डॉक्टर और बैंक में अधिकारी बन भी नाम रोशन कर रहे हैं।  जिसके चलते इसका नाम ही ‘कलेक्टरों का गांव’ पड़ गया है।  इनसे प्रेरणा लेकर भावी पीढ़ी भी आगे बढ़ रही है।

जिला मुख्यालय से महज चार किलोमीटर पूरब स्थित कमरौली पर विद्या की देवी सरस्वती की विशेष कृपा है। यहां के सियाराम प्रसाद सिन्हा उर्फ सीताराम प्रसाद को प्रथम आइएएस अधिकारी बनने का सौभाग्य मिला। इसके बाद किसान के पुत्र लक्ष्मेश्वर प्रसाद को सफलता मिली। वे भारत सरकार के मानव संसाधन विभाग में निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। फिर अरुण कुमार वर्मा, दीपक कुमार, चंचल कुमार और अपूर्व वर्मा ने आइएएस बन गांव का गौरव बढ़ाया। सियाराम व लक्ष्मेश्वर की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई।

अन्य क्षेत्र में भी छोड़ रहे छाप

आइएएस के अलावा अन्य प्रतिभाएं भी कम नहीं हैं। रंधीर कुमार वर्मा इसरो में वैज्ञानिक हैं। डॉ. रमेश कुमार वर्मा मेडिकल कॉलेज रांची में व्याख्याता होने के साथ प्रसिद्ध चिकित्सक हैं। इनके सरीखे करीब आधा दर्जन डॉक्टर देश के कई कोने में सेवा दे रहे हैं। वहीं अरुण कुमार वर्मा के अलावा दर्जन भर से अधिक लोग बैंक अधिकारी हैं.

जिलाधिकारी अरशद अजीज कहते हैं

यह खुशी की बात है कि इस छोटे से जिले के एक गांव के आधा दर्जन लोग आइएएस अधिकारी बने हैं। नई पीढ़ी को इससे प्रेरणा लेने की जरूरत है।

कमरौली गांव एक नजर

आबादी : 3000

स्कूल : एक प्राथमिक एवं एक मध्य विद्यालय

अतिरिक्त स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र : एक

साक्षरता : 90 प्रतिशत

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