ईशा और नीता अंबानी मेहमानों के साथ पहुंची ‘स्वदेश बाजार’

neeta and isha ambani
रिलायंस फाउंडेशन की एक पहल ‘स्वदेश बाजार’ में श्रीमती नीता अंबानी अपनी बेटी ईशा अंबानी और पूर्व फर्स्ट लेडी हिलेरी क्लिंटन के साथ। स्वदेश बाजार पारंपरिक शिल्पकारी को बढावा देता है ।

उदयपुर: आनंद पीरामल और ईशा अंबानी के विवाह-पूर्व कार्यक्रमों के दौरान एक नया रंग देखने को मिला। रिलायंस फाउंडेशन की अध्यक्ष नीता अंबानी और ईशा अंबानी ने विवाह में शामिल होने आए देशी, विदेशी मेहमानों के साथ ‘स्वदेश बाजार’ का दौरा किया। ‘स्वदेश बाजार’ में 108 पारंपरिक भारतीय शिल्प और कलाओं का प्रदर्शन किया गया है।

स्वदेश बाजार पारंपरिक भारतीय कारीगरों की शिल्प कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए रिलायंस फाउंडेशन की एक अनोखी पहल है। खासतौर पर ऐसे स्वदेशी शिल्पों के लिए जिन्हें संरक्षण और पुनरुद्धार की आवश्यकता है। रिलायंस फाउंडेशन वर्षों से इन कलाओं और शिल्पियों का समर्थन करता रहा है।

Smt Nita Ambani with master blaster Sachin Tendulkar and Anjali Tendulkar at Swadesh Bazar an initiative of Reliance Foundation celebrating 108 traditional crafts of India.
Smt Nita Ambani with master blaster Sachin Tendulkar and Anjali Tendulkar at Swadesh Bazar an initiative of Reliance Foundation celebrating 108 traditional crafts of India.

पारंपरिक शिल्प को जीवित रखने वाले खास कारीगरों और शिल्पकारों की अनूठी कृतियां यहां रखी गई हैं। कला और संस्कृति के इस अनोखे प्रदर्शन का देशी और विदेशी मेहमानों ने खूब लुत्फ उठाया। मेहमानों में बिजनेस, आर्ट और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महारत हासिल करने वाले दुनिया के कई प्रभावशाली व्यक्तिव, नेता और अभिनेता शामिल थे।
पश्चिम बंगाल की जामदानी, गुजरात की पटोला, कश्मीर से पश्मीना, मध्य प्रदेश से कोटा बुनाई, चंदेरी बुनाई और महेश्वरी और असम की मेखला चादर सहित देश की कई बेहतरीन बुनकारी ने प्रर्दशनी में रंग बिखेर दिए। इसके अलावा विभिन्न राज्यों की कई महीन बुनकारी कलाओं को भी शामिल किया गया।
दुनिया भर में प्रसिद्ध कंजीवारम, चंककारी, बंधेज और लेहेरिया के अलावा बागरु दाबू, बाग, कलमकारी और अज्रक जैसी लोकप्रिय छापे वाले कपड़े भी प्रदर्शनी का हिस्सा थे।
स्वदेश बाजार ने परंपरागत भारतीय शिल्प की सुंदरता को उकेरा है जिसे रिलायंस फाउंडेशन वर्षों से अपना समर्थन देता आया है।
स्वदेश बाजार एक शिल्पकला के लिए एक ऐसा स्थान बनना चाहता है जिसमें न केवल हजारों कारीगरों को आजीविका मिले बल्कि वे अपनी दुर्लभ शिल्पकारी को दुनिया के कोने कोने में पहुंचा सकें।

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