भारत ने निभाई दोस्ती, म्यांमार के खिलाफ प्रस्ताव में नहीं लिया हिस्सा

भारत ने अंतराराष्ट्रीय मंच पर म्यांमार का साथ देते हुए उसके खिलाफ पारित प्रस्ताव से खुद को अलग रखा। गुरुवार को बाली के नुसा डुआ में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया था।
इस घोषणा पत्र में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को लेकर म्यांमार की आलोचना की गई है। बता दें कि रोहिंग्या मुसलामानों के खिलाफ रखाइन प्रांत में फैली हिंसा के चलते यहां से लगभग 125,000 मुसलमानों को देश छोड़कर भागना पड़ा है।

लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के नेतृत्व में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल इन दिनों इंडोनेशिया की यात्रा पर है। इसी दौरान यहां रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर ‘बाली घोषणा पत्र’ पेश किया गया।

सुमित्रा महाजन के नेतृत्व में गया यह प्रतिनिधिमंडल वर्ल्ड पार्लियामेंट्री फोरम में हिस्सा लेने पहुंचा है। गौरतलब है कि रोहिंग्या मुलसमान अब तक जिस म्यांमार को अपना मुल्क मानते आए थे अब वहां से उन्हें भगाया जा रहा है। पिछले दस सालों में दो लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यामांर से भागकर पड़ोसी बांग्लादेश, भारत, नेपाल और खाड़ी के मुल्कों में पनाह ली है।

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