हस्तरेखा ज्ञान- आपके हाथों में है आपकी सेहत, किस्मत- हरीश शर्मा

हरीश शर्मा, लेखक
हस्तरेखा विज्ञान में विशेष रुचि

हस्तरेखा ज्ञान 

सामुद्रिक शास्त्र यानि हस्तरेखा वास्तव में समुद्र जितना गहरा है लिहाजा हमारा साथ लम्बा होने वाला है।

आज बात करते है हाथ की मुद्राओं की सरल आसान लाभदायक

अनामिका मुद्रा

अनामिका मुद्रा जिसे रवि मुद्रा भी कहते है। अनामिका यानि सबसे छोटी उँगली के बाद वाली उँगली उसको मोड़िये अँगूठे से दबाये हथेली के बीच मे जितनी देर आराम से दबा कर रख सके रखिये शेष उंगलियों को सीधा रखें । 

इसका लाभ होगा यदि आप tension, stress में है या मोटापा कम करना चाहते है आराम से बैठकर करिये जो लोग जमीन पर बैठ सकते है बैठकर करे नही तो जैसे कर सकते है करे जरूर, 1 मिनट 2,3,4,5,10 मिनट तक । कोशिश करे कि जिस स्थान पर करें गर्मी न हो। करने में दिक्कत महसूस हो तो न करे।

ईहा मुद्रा 

ईहा मतलब पृथ्वी भूमि जमीन मुद्रा, वज्रासन में करेंगे तो लाभ अधिक होगा नही बैठ पाये तो जैसे आसानी हो करे। अनामिका यानि सबसे छोटी के बाजू वाली उँगली और अँगूठे के tip को मिलाये बाकी उंगलियां सीधी रखे। जितनी देर आसानी से कर पाये करे लेकिन 15- 20 मिनट से अधिक न करे।

इस मुद्रा से तुतलाना, हकलाना, बोलने में संकोच होता हो, weakness हो lazy feel कर रहे हो,पाचन सही न हो में लाभ मिलता है।

जीवन मुद्रा 

जीवन यानि प्राण, life इस मुद्रा में आराम से बैठ जाये जमीन पर या जहाँ सुविधा हो। कनिष्ठ यानि सबसे छोटी और अनामिका मतलब उसके बाजू वाली अब इन दोनों उँगली को मिला ले और अँगूठे से दोनों उँगली के नाखून वाले भाग को हल्के से दबाये, बाकी दोनों उँगली सीधी रखे।

Heart blockage, आँखों के रोग, concentration करने में परेशानी हो, भूख पर नियंत्रण न हो तो यह मुद्रा करे तो लाभ मिलेगा।

Tip – 11 बार ॐ और अनुलोम करने करते हुए उसमे यह जोड़ लीजिये कि रात को दोनों प्रक्रिया करते समय वज्रासन में बैठ कर करिये इससे अतिरिक्त लाभ होगा पाचन क्रिया सही रहेगी साथ ही एकाग्रता में विकास होगा।

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