छूना है आसमां, खास मुलाकात हैरी टांगरी से

अभिनेता हैरी टांगरी से दीपक दुआ की ख़ास बातचीत

दीपक दुआ
लेखक वरिष्ठ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज से घुमक्कड़। सिनेमा विषयक लेख, साक्षात्कार, समीक्षाएं व रिपोर्ताज लिखने वाले दीपक कई समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज़ पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखते हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।

हैरी टांगरी को नाम से न पहचानें लेकिन उन्हें उनके चेहरे से बखूबी पहचाना जा सकता है। सुशांत सिंह वाली सुपरहिट फिल्म ‘एम.एस. धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी’ में वह क्रिकेटर युवराज सिंह के किरदार से अच्छी-खासी पहचान पा चुके हैं। पंजाब के लुधियाना में जन्मे और बैंक में नौकरी करने वाले पिता की संतान हैरी ने अपनी शुरूआत 2010 में आई दिवाकर बैनर्जी की फिल्म ‘लव सैक्स और धोखा’ से की और अब वह 2 जून को रिलीज होने जा रही फिल्म ‘बहन होगी तेरी’ में नजर आएंगे। प्रस्तुत हैं उनसे हुई एक बातचीत के प्रमुख अंश-

-लुधियाना के एक बैंकर का बेटा अचानक मुंबई जाकर एक्टर बनने का फैसला कैसे ले लेता है?
-यह सब अचानक नहीं हुआ। असल में मुझे बचपन से ही एक्टिंग, डांस, गाने वगैरह का बहुत ज्यादा शौक था। सब मुझे ड्रामेबाज कहा करते थे। स्कूल और कॉलेज में मैंने बहुत सारे स्टेज शोज किए, गाने गाए, मॉडलिंग भी की। इसके बाद मैंने पुणे में मास मीडिया का कोर्स किया और फिर मुंबई आ गया।

-इरादा एक्टर बनने का ही था या कुछ और करना चाहते थे?
-शुरूआत तो मेरी डायरेक्शन से हुई थी। मैं यहां निर्देशक एजाज खान को असिस्ट कर रहा था लेकिन साथ ही यह भी मन में था कि एक्टिंग करनी है तो उस तरफ भी कोशिशें चल रही थीं।

-मुंबई आने का इरादा किया तो आपके माता-पिता का क्या रिएक्शन था?
-उन्होंने कभी भी मुझे कोई चीज करने से रोका नहीं। उनका कहना था कि जो अंदर से महसूस करो, उसी को करने की कोशिश करो तो कामयाबी जरूर मिलती है।

-क्या फिल्म इंडस्ट्री में कोई ताल्लुक थे जिनके दम पर आपने यहां आने का इरादा किया?
-नहीं, बिल्कुल नहीं। मुझे बस खुद पर भरोसा था कि जो भी करूंगा, पूरे मन से करूंगा।

-‘लव सैक्स और धोखा’ आपको कैसे मिली? दिवाकर बैनर्जी जैसे निर्देशक, एकता कपूर जैसी प्रोड्यूसर की फिल्म पाना आसान नहीं होता।
-ऐसा कोई बड़ा स्ट्रगल नहीं करना पड़ा था मुझे यह फिल्म पाने के लिए। कहीं सुना कि दिवाकर सर को इस फिल्म के लिए सारे न्यूकमर चाहिएं तो मैंने भी जाकर ऑडिशन दे दिया और कुछ दिन बाद मुझे कॉल आ गया कि आप सलैक्ट हो गए हैं। और बस, उसके बाद गाड़ी चलने लगी। ‘लव शव ते चिकन खुराना’, ‘मौसम’, ‘भाग मिल्खा भाग’, ‘ऑल इज वैल’, ‘एम.एस. धोनी’ जैसी कई फिल्में मैंने कीं और मैं लगातार एक्टिंग को एन्जॉय कर रहा हूं।

-‘बहन होगी तेरी’ के बारे में बताएं?
-यह एक रोमांटिक कॉमेडी है जिसमें मेरा एक बहुत ही अहम रोल है। मैं इसमें एक हरियाणवी परिवार का लड़का बना हूं। ये लोग लखनऊ में रहते हैं और दूध का कारोबार करते हैं। मैं इस रोल को लेकर काफी खुश हूं क्योंकि पहली बार मैं इसमें अपने असली रूप में नजर आऊंगा वरना अभी तक मैं हर बार किसी न किसी गैटअप में ही दिखा हूं। पहली बार लोग देखेंगे कि हैरी टांगरी असल में कैसा दिखता है। गुलशन ग्रोवर इसमें मेरे पिता बने हैं और रणजीत मेरे ताऊ के रोल में हैं। राजकुमार राव इसमें मेरे बैस्ट फ्रैंड गट्टू के किरदार में हैं जो श्रुति हासन से प्यार करता है। राज और मेरा कैरियर एक साथ ‘लव सैक्स और धोखा’ से शुरू हुआ था और अब सात साल बाद हम फिर एक साथ आ रहे हैं।

-हीरो बनने का इरादा नहीं है या जो कर रहे हैं, उसी में खुश हैं?
-जो अब तक किया है उससे खुश तो हूं क्योंकि उससे मेरी पहचान बनी है, मुझे सीखने को मिला है लेकिन हीरो बनने की तमन्ना तो हर किसी की होती है और मेरी भी है। पर मैं बता दूं कि मुझे हीरो बन कर हीरोइन से प्यार करने और उसके साथ नाचने-गाने की बजाय लीड रोल करने की तमन्ना है। ऐसे रोल जिनमें लोग मुझे पहचानें, पसंद करें और याद रखें। फिर चाहे वह निगेटिव रोल हों, पाॅजिटिव या कॉमिक।

-कभी डायरेक्शन की तरफ भी जा सकते हैं?
-वह ख्वाहिश अब दब चुकी है। अब मेरा इरादा खुद को एक्टर के तौर पर ही स्थापित करने का है। हो सकता है, कुछ साल बाद उस तरफ सोचूं।

-आपकी अगली फिल्म कौन-सी होगी?
-इसके बाद मैं ‘वोदका डायरीज’ में आऊंगा जो एक मर्डर मिस्ट्री होगी। इसमें वोदका डायरीज एक क्लब है मनाली में जिसमें कुछ कत्ल हो जाते हैं और एक पुलिस अफसर उसकी तफ्तीश के लिए आते हैं जो किरदार के.के. मैनन निभा रहे हैं। कुशल श्रीवास्तव इसके निर्देशक हैं जो जे.पी. दत्ता जी के असिस्टेंट रह चुके हैं। इस फिल्म में भी मेरा एक बहुत ही अहम रोल है और मुझे यकीन है कि इसमें भी मेरे काम को पसंद किया जाएगा।
-दीपक दुआ

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