कुंभ के दौरान संपन्न हुई ब्रह्मसरसी (ब्रह्मसरसोवर) की परिक्रमा

कुरुक्षेत्र में कुंभ महोत्सव के दौरान ऐतिहासिक ब्रह्मसरोवर की वृहत परिक्रमा निकाली गयी। यह परिक्रमा द्वादश कुंभ पुनर्जागरण के प्रेरणा पुरूष करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज की अगुआई में यह निकाली श। लगभग एक किलोमीटर लंबी इस परिक्रमा में महामंडलेश्वर डा स्वामी शाश्वतानंद जी महाराज, हरियाणा के लाडवा के विधायक पवन सैनी जी, स्वामी चिदानंद जी (रवींद्र जी ब्रह्मचारी), प्रयाग पीठाधीश्वर स्वामी माधवानंद जी, हरिद्वार पीठाधीश्वर स्वामी गंगानंद जी, जैन विवि, राजस्थान के पूर्व कुलपति और पूर्व सांसद प्रो रामजी सिंह जी, अयोध्या से पधारे चारों वेदों के भाष्यकार डा देवी सहाय पांडे जी, वृंदावन से आए आचार्य योगेश प्रभाकर जी, काशी हिन्दू विवि के धर्मागम विभाग के वरिष्ठ आचार्य डा कमलेश झा जी, बरौनी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा घनश्याम झा जी, अखिल भारतीय श्री रामचरित मानस प्रचार संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य सत्यनारायण मिश्रा जी, हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ सोमेश्वर दत्त जी, डीएवी कालेज पिहोवा के प्राचार्य डा कामदेव झा जी और देश भर से आए संत के साथ हजारों लोग इस परिक्रमा में शामिल हुए।

स्वामी जी ने की द्वादश कुंभ की विवेचना

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परिक्रमा वीआईपी गेट के पास स्थित दुर्गा मंदिर धर्मशाला पर आकर एक सभा में बदल गयी। इस सभा में स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने द्वादश कुंभ की शास्त्रोक्त विवेचना की। उन्होंने बताया कि द्वादश कुंभ का उल्लेख हर शास्त्र में है। अंतर इतना है कि चार कुंभों को धरती पर, चार को पाताल लोक और चार को देव लोक में बताया गया है। उन्होंने प्रदशर्न किया कि
कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहते हैं यह ब्रह्मा जी की तपस्थली है तो क्या यह देवलोक नहीं है। उन्होंने कहा कि आकाश की ऊंचाई और समुद्र की गहराई को कौन माप पाया है तो क्या समुद्र के तट पर वर्णित चार कुंभ क्या पाताल लोक के कुंभ नहीं हैं। स्वामी जी ने शास्त्रों में वर्णित कुंभ योग का ज्योतिषीय महत्व भी बताया।

महामंडलेश्वर डा स्वामी शाश्र्वतानंद जी ने कहा मैं व्याख्या से संतुष्ट हू़ं

whatsapp-image-2018-12-06-at-7-06-28-pm-1उनकी इस व्याख्या पर महामंडलेश्वर डा स्वामी शाश्र्वतानंद जी महाराज ने कहा कि मैं स्वामी जी के श्रीमुख से द्वादशकुंभ की व्याख्या सुनना चाहता था और उनकी व्याख्या को सुनकर मैं गर्व का अनुभव कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि आज तक उन्होंने ब्रह्मसरोवर की परिक्रमा नहीं  की थी लेकिन सर्वाभीष्ट जी के साथ आज उन्होंने भी परिक्रमा की।

 

 

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