बिहार में कोरोना के चलते अगर टले चुनाव तो किसको होगा फायदा?

बिहार विधानसभा 2020 का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, राजनैतिक दलों की तैयारियां जोरों पर है, हालांकि कोविड-19 महामारी ने पूरे विश्व को हर तरीके से प्रभावित किया है, ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव पर भी इसका प्रभाव पड़ना निश्चित है। बिहार के कई राजनैतिक दलों ने कोविड- 19 के महाप्रकोप के मद्देनजर चुनाव टालने का आग्रह किया है, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव ने जहां सरकार पर लाशों के ढेर पर चुनाव कराने का आरोप लगाया है वहीं लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान भी चुनाव टालने के पक्ष में है। उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने जहां इनकी मांग को कमजोर विद्यार्थी कहकर खिल्ली उड़ाया है, वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय पासवान ने भी इन्हें आड़े हाथों लिया है।

बिहार अपडेट ने इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार रवि पराशर, अनिता चौधरी एवं सोशल मीडिया एक्सपर्ट मनीष वत्स के साथ विस्तृत चर्चा की है।

कोविड-19 से बचाव और उससे उपजे संकट को दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने अपने स्तर पर कई कार्य कर रही है। चुनाव में उसका फायदा सरकार को मिलने की सम्भावना है, इसके अलावा केंद्र की नीतियों का भी प्रभाव इस चुनाव में देखने को मिलेगा।
इस विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भूमिका भी अति महत्वपूर्ण होने वाली है।

तेजस्वी यादव द्वारा चुनाव को आगे बढ़ाने या टालने की बात कहना, जरूर किसी ना किसी रणनीति की ओर इशारा कर रहा है। तेजस्वी यादव भले ही बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे हैं पर कहीं ना कहीं आज भी वो चुनावी प्रचार, रैलियों इत्यादि पर लालू यादव पर निर्भर रहते हैं। वो आज भी जनता से उस लेवल पर कनेक्ट नहीं हो पाए हैं जिस स्तर पर लालू यादव कनेक्टेड रहे, चूंकि तेजस्वी को उम्मीद है कि इस साल के अंत तक लालू यादव को जमानत मिल जाएगी इसलिए वो चुनाव टालने की बात कर रहे हैं।

जून महीने में चुनाव आयोग की राजनैतिक दलों के साथ हुई बैठक में कोविड-19 का हवाला देते हुए सत्ता पक्ष ने एक चरण में आयोग से चुनाव कराने का आग्रह किया। चुनाव आयोग भी अपनी तैयारियों में लगा हुआ है। लगभग 34 हजार नए बूथों की स्थापना की बात हो या कर्मचारियों को बूथ पर पीपीई किट उपलब्ध कराने का फैसला हो, चुनाव आयोग ने तय किया है कि 65 साल उम्र के ऊपर मतदाता पोस्टल बैलेट का उपयोग कर मतदान करेंगे। ये सारी तैयारियां चुनाव को समय पर कराने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

कुल मिलाकर चुनाव आयोग ही निर्णय करेगा कि आसन्न विधानसभा चुनाव समय पर होंगे या नहीं।

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