क्या हैं इस बार बिहार के प्रमुख चुनावी मुद्दे?

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आता जा रहा है, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप बढ़ता जा रहा है, विपक्षी दल जहां कोरोना और बाढ़ को लेकर सत्ता पर आक्रामक हैं, वहीं सत्ता पक्ष 15 वर्षों में किए गए कामों को गिनाने में लगा है, इस बीच बिहार में फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को भी चुनाव में भुनाने का खेल शुरू हो चुका है। बिहार अपडेट बिहार के इन राजनीतिक मुद्दों को लेकर लगातार चर्चा कर रहा है।

आज बिहार अपडेट ने बिहार की राजनीति और खास कर बिहार के बड़े गैंगस्टर शहाबुद्दीन के इलाके की चर्चा वरिष्ठ पत्रकारों से की है। चर्चा में आज बिहार अपडेट के अतुल गंगवार के साथ वरिष्ठ पत्रकार रवि पाराशर, अनिता चौधरी, सोशल मीडिया एक्सपर्ट मनीष वत्स और सिवान से वरिष्ठ पत्रकार दीनबंधु सिंह शामिल हैं।

चर्चा की शुरुआत सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद उनकी महिला मित्र रिया चक्रवर्ती द्वारा एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार के साथ हुई । जिस तरह से सोशल मीडिया पर उस इंटरव्यू को प्रायोजित कहा जा रहा है, उससे टीवी मीडिया के एक बड़े भाग पर सवाल उठने लाजिमी है। जिस तरह के प्रश्न रिया चक्रवर्ती से पूछे गए, उन तमाम सवालों को देखकर लगता है कि इस साक्षात्कार को पहले से सुनियोजित करके किया गया है, ताकि रिया चक्रवर्ती को बचाया जा सके। खैर, सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सीबीआई के हाथों में है, और उम्मीद है कि इन तमाम तरह के हथकंडे के बावजूद दोषी जांच एजेंसी से बच नहीं पाएंगे।

सिवान की धरती भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जन्मभूमि रही है, पर अफसोस, जिस धरती नर डॉ साहब जैसे महान पुत्र को जन्म दिया, उसी धरती ने शहाबुद्दीन जैसे बड़े अपराधी को भी पैदा किया। कहा जाता है कि सिवान में राष्ट्रीय जनता दल का पत्ता शहाबुद्दीन के इशारों के बगैर नहीं हिलता है, यही कारण है कि आज तक जब भी वहां प्रत्याशी चुनने की बात हुई है, राजद ने शहाबुद्दीन से विमर्श करके ही अपना उम्मीदवार तय किया है। लोकसभा चुनावों में राजद से यहां से या शहाबुद्दीन या फिर उनके जेल जाने के बाद उनकी बेगम ही उम्मीदवार रही हैं, जनता दल यू ने भी यहां बाहुबलि पर ही भरोसा जताया है, तभी तो 2019 के लोकसभा चुनाव में अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह को टिकट दिया, जो कि यहां से सांसद हैं।
सिवान लोकसभा क्षेत्र में कुल 6विधानसभा हैं, जिसमें एक पर भाजपा, एक CPIML, दो जदयू, एक राजद और एक निर्दलीय विधायक हैं।
संगठन की दृष्टि से देखा जाए तो भाजपा ने यहां अपना संगठन मजबूत बना रखा है, भाजपा अगर अकेले भी चुनाव लड़ती है, तो उसे उम्मीदवार उतारने में सोचना नहीं पड़ेगा, वहीं संगठन की दृष्टि से जदयू ने भी यहां अच्छा पकड़ बनाया है, राजद थोड़ी कमजोर है, और शायद उसका बड़ा कारण राजद का शहाबुद्दीन से लंबे समय तक जुड़ाव माना जा सकता है।

कुल मिलाकर सिवान की राजनीति हालांकि शहाबुद्दीन के इर्द गिर्द घूमती है, पर उसके जेल जाने के बाद से जनता में राजद की पकड़ ढीली पड़ गई है। उसका फायदा बीजेपी ने सांगठनिक तौर पर मजबूत होकर उठाया है, जनता भी जागरूक हो गई है, चुनावों में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी बढ़ा जिसके फलस्वरूप लोगों ने अपराधियों को नकारना शुरू किया है, तभी तो आज की तारीख में सिवान में अपना वर्चस्व दिखाने वाले शहाबुद्दीन लगातार परास्त हो रहे हैं।

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