बिहार की बदहाल शिक्षा, किसकी जिम्मेदारी


शरत सांकृत्यायन

नालंदा, विक्रमशिला, चाणक्य और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की विरासत के गीत गाने वाले बिहारवासियों के लिए आज शर्म से डूब मरने का दिन है….सत्ता की भूख से बिलबिलाए नेताओं ने शिक्षा के स्तर को किस रसातल में पहुंचा दिया है, यह देखकर आज रोना आ रहा है….और सत्ताधारी दल के दलालों की बेशर्मी की हद देखिए कि पिछले साल तक नकल की खुली छूट थी इसलिए परिणाम अच्छे आ रहे थे…इसबार सरकार ने कदाचारमुक्त परीक्षा करवाई जिसके कारण 12वीं में मात्र 36 फीसदी बच्चे पास हो पाए….घिन आती है सरकार की ऐसी सोच पर….कुछ तलवे चटोरों का बेशर्मी भरा कुतर्क भी दिख रहा है की मुफ्त jio के चक्कर में बच्चों ने पढ़ाई नहीं की….ये उन्हीं नीतीश कुमार और लालू का पिछवाड़ा चाटने वाले लोग हैं जो पिछले 28 सालों से सत्ता पर काबिज हैं….लालू ने अपने जंगलराज में शिक्षा को भैंस के चारागाह में बिठा दिया था, फिर भी ऐसी दुर्दशा नहीं हुई थी….नीतीश उसी जंगलराज को खत्म करने श्वेत तुरंग पर सवार होकर आए थे और लंबी लंबी हांकते रहे….शिक्षा में सुधार के नाम पर अनपढ़ गंवारों को शिक्षक बना दिया….जो अपना नाम तक शुद्ध नहीं लिख सकते थे ऐसे घसियारों के हाथ में बिहार का भविष्य सौंप दिया….आज आया 12वीं का परिणाम उन्हीं मानसपुत्रों द्वारा दी गयी शिक्षा का नतीजा है….यदि नीतीश कुमार में रत्ती भर भी शर्म बाकी होगी तो….

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