क्या तेजस्वी का आर्थिक न्याय, लालू के समाजिक न्याय की पुनरावृत्ति होगा?

कोरोना और बाढ़ के बिगड़ते हालात के बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कई सवाल किए हैं। ये सवाल उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से किया है। ये सवाल बिहार के शिक्षा की बदहाल स्थिति, रोजगार, पलायन, उद्योग आदि से सम्बंधित हैं। इन सवालों के माध्यम से लालू यादव ने नीतीश सरकार से 15 सालों का हिसाब मांगा है।

वहीं ट्विटर पर लालू के सुपुत्र तेजस्वी ने मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच से कोरोना मरीज के गायब होने और फिर अपने बेड के नीचे ही मृत पाए जाने पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।

इन सब विषयों पर बिहार अपडेट के अतुल गंगवार ने वरिष्ठ पत्रकार रवि पाराशर, अनिता चौधरी और सोशल मीडिया एक्सपर्ट मनीष वत्स से चर्चा की है।

बिहार में कोरोना और बाढ़ के बीच होने जा रहे विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर राजनीति की गर्मी बढ़ने लगी है। इसी बीच पटना में गांधी सेतु के पश्चिमी लेन का जीर्णोद्धार कार्य पूरा हो चुका है, हो सकता है आगामी दिनों में नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इसका उद्घाटन करें। कोरोना काल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रखी है, ऐसे में देखना यह होगा कि गांधी सेतु के पश्चिमी भाग के उदघाटन में वो दिखते हैं या नहीं।

लालू यादव ने जो सवाल पूछे हैं, उसका जवाब उन्हें जनता ही फेसबुक पर दे रही है।उनके शासन काल में जिस तरह से बिहार असमाजिक तत्वों का चारागाह बना था, उससे सारा देश परिचित है। एक विशेष वर्ग और समुदाय का शोषण जिस तरह से लालू यादव के 15 साल में हुआ था, किस तरह से बिहार उनके शासन में गर्त में समाता चला गया । ये सारे जवाब उन्हें उनके पोस्ट पर मिल रहे हैं।

दूसरी तरफ तेजस्वी यादव उनकी पार्टी के शासन में हुई गलतियों पर माफी मांग रहे हैं। हालांकि तेजस्वी यह भी कह रहे हैं कि उनके पिता ने सामाजिक न्याय किया था, और उनको जब मौका मिलेगा तो वे आर्थिक न्याय करेंगे।
सामाजिक न्याय में उनके पिताजी ने बिहार के विकास रथ को रोककर अपने परिवार के विकास को प्राथमिकता दिया था।
सवाल ये उठता है कि कहीं तेजस्वी आर्थिक न्याय में भी कुछ इसी तरह की नई पारिवारिक हिसाब-किताब की योजना तो नहीं बना रहे ?

बहरहाल जो भी हो। इस कोरोना काल में राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धताएं जनसेवा और लोगों की चिंता को छोड़कर चुनाव की तरफ शिफ्ट होता जा रहा है। बिहार की जनता एक तरफ कोरोना महामारी से पीस रही है तो दूसरी तरफ बाढ़ ने जीना मुहाल कर रखा है।

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