14 राज्‍यों में पेट्रोल और डीजल 5 रुपए प्रति लीटर हुआ सस्ता

देश में पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे थे, लेकिन अब पेट्रोल और डीजल की कीमत थमी है साथ ही सरकार इन कीमतों को लेकर बड़ा कदम उठाया हैं। वहीं सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2.50 रुपए प्रति लीटर कम किेए है।

केंद्र सरकार के ऐलान के बाद बीजेपी शासित अधिकतर राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य स्तरीय टैक्स को कम किया हैं। इसके साथ ही इन राज्यों में सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों में पांच रुपए तक की कमी की है। वहीं दूसरी तरफ अन्य राज्‍यों में तेल की दामों में ढाई रुपए की कटौती की हैं।

इंटरनेश्नल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में लगतार तेजी बनी हुई थी, जिसकी वजह से देश में डीजल पेट्रोल के दाम काफी बढ़ गए थे। ग्राहकों को राहत देने के लिए सरकार ने डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 1.50 रुपये की कटौती की है और साथ ही पेट्रोलियम का खुदरा काम करने वाली सरकारी कंपनियों को भाव एक-एक रुपये प्रति लीटर की कमी की है।

बीजेपी के साथ राज्य सरकार ने अपने यहां वैट टेक्स में कटौती की है। इसके साथ ही सरकार ने ऐलान किया हैं कि गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर, उत्‍तराखंड, गोवा, महाराष्‍ट्र और हरियाणा में वैट में 2.50 रुपये की कमी की जाएगी।

इसके कारण इन राज्यों में पेट्रोल और डीजल के दाम में पांच रुपए की कमी आएगी।

अगर महानगर में पेट्रोल और डीजल के दाम की बात करें तो महाराष्ट्र में पेट्रोल पर वैट में 2.50 रुपये की कमी की है, जिससे वहां डीजल के देम सिर्फ 2.50 रुपए और पेट्रोल की कीमत में 5 रुपए की कमी आई है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 84 रुपए प्रति लीटर हैं और जब्कि डीजल की कीमत 75.45 रुपए प्रति लीटर है।

इसके साथ ही कर्नाटक में तेल की कीमतों में कमी लाने को मना कर दिया हैं। वहां इसलिए तेल की कीमतें कम नहीं की गई हैं, क्योंकि पिछले महीने ही वहां पर तेल की कीमतों में कटौती की थी।

बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा हैं कि केंद्र सरकार ने तेल के दाम में 10 रुपए प्रति लीटर कम किए हैं। वहीं केरल के वित्त मंत्री टी. एम. थॉमस इसाक ने इसे राजस्थान और मध्यप्रदेश के चुनावों से प्रभावित फैसला बताया हैं।

बता दें कि सरकार की कंपनियों की आय पर इस एक रुपए प्रति लीटर कीमत वहन करने का सालाना बोझ 10,700 करोड़ रुपये हो जाएगा। इसके साथ ही यह आधा बोझ इंडियन ऑयल और हिस्सेदारी हिंदुस्तान पेट्रोलियम के साथ भारत पेट्रोलियम पर आ सकता है।

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