अलग राह पर लोजपा…

मनीष वत्स

बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी तेज होते ही लोजपा ने अलग राह अपनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। लोजपा की दिल्ली में हुई संसदीय दल की बैठक में चिराग पासवान ने 143 विधान सभा सीट पर प्रत्याशियों की सूची बना कर जल्द केंद्रीय संसदीय बोर्ड दे को देनी की बात कही है। बैठक में एलजेपी के सभी सांसदों ने चिराग पासवान को पार्टी के गठबंधन पर फ़ैसले, और आगे के सभी फैसलों के लिए अधिकृत किया है। बता दें, मंगलवार को ही चिराग पासवान ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।
जेडीयू नेता और मंत्री ललन सिंह उर्फ राजीव रंजन के पीएम मोदी को लेकर दिए गए बयान के खिलाफ एलजेपी की बैठक में निंदा प्रस्ताव पास हुआ। साथ ही जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी के बयान का एलजेपी ने स्वागत किया। दरअसल केसी त्यागी ने कहा था कि जेडीयू का गठबंधन बीजेपी के साथ है, एलजेपी से कोई गठबंधन नहीं है।

बिहार में कोविड-19 लॉकडाउन से पहले से ही लोक जनशक्ति पार्टी/एलजेपी (Lok Janshakti Party/LJP) के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं। कभी वो नीतीश कुमार पर नरम तो कभी गरम रुख़ अख्तियार कर ले रहे हैं।

चिराग पासवान लगातार बिहार सरकार की खामियों को उजागर करने में लगे हुए हैं। रोजगार और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर नीतीश पर हमलावर रुख अपना रखा है। चिराग के इस रवैये से एनडीए के भीतर स्थिति असहज हो रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कई पत्र लिखा है, जिसमें बिहार में कोरोना की रोकथाम में कुव्यवस्था, स्वास्थ्य विभाग की अकर्मण्यता और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है। हाल ही में चिराग ने प्रधानमंत्री को भी एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने बिहार की राजनीतिक स्थितियों के बारे में जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक पासवान ने कहा कि बिहार सरकार की कार्यप्रणाली से लोग खुश नहीं है और इसका असर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है। पत्र में उन्होंने जमीनी स्तर पर कोविड-19 की स्थिति और सरकार के काम करने के तरीकों का जिक्र किया है।इतना ही नहीं चिराग पासवान ने मंगलवार को नड्डा से मुलाकात की और उन्हें यह सुझाव दिया कि भाजपा को नीतीश नीत जनता दल (यूनाइटेड) से एक सीट अधिक पर चुनाव लड़ना चाहिए।

बिहार सरकार की कार्यशैली को लेकर चिराग पासवान अक्सर निशाना बनाते रहे हैं। लोजपा संसदीय दल नेताओं की बैठक में नीतीश के शासन की काफी आलोचना की गई, जबकि राज्य के लिये कई विकास परियोजनाएं पेश करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की गई।

उधर लोजपा के संस्थापक और चिराग पासवान के पिता केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान खुलकर चिराग के सपोर्ट में खड़े हैं, उन्होंने हाल ही में ट्वीट करके कहा है कि चिराग जो भी करेंगे ठीक करेंगे, उन्हें चिराग पर पूरा भरोसा है।

कुल मिलाकर बिहार की राजनीति एक नए मोड़ पर जा रही है। चिराग पासवान की संसदीय दल की बैठक में143 सीटों पर चुनाव लड़ने के फैसले के बाद यह तय हो गया है कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं है। आने वाले विधानसभा चुनाव में कौन बिहार की गद्दी पर आसीन होगा यह तो वक्त बताएगा पर यह तो निश्चित कहा जा सकता है कि चिराग के इस फैसले से जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के माथे पर बल अवश्य पड़ेगा।

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