संविधान से उपर नहीं है पर्सनल लॉ बोर्ड, तीन तलाक महिलाओं के अधिकार का हनन : Allahabad HC

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज तीन तलाक को असंवैधानिक बताया और कहा है कि इससे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है. कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लेकर भी टिप्‍पणी की है और कहा है कि कोई भी पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं है. यहां तक कि पवित्र कुरान में भी तलाक को सही नहीं माना गया है. हाई कोर्ट ने तीन तलाक को लेकर दो मुस्लिम महिलाओं की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्‍पणी की. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को शरियत के खिलाफ बताया है. बोर्ड इस फैसले को बड़ी अदालत में चुनौती देंगे.

हाईकोर्ट ने बुलंदशहर की हिना और उमरबी द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही. 24 साल की हिना की शादी 53 साल के एक व्यक्ति से हुई थी जिसने उसे बाद में तलाक दे दिया. जबकि उमरबी का पति दुबई में रहता है जिसने उसे फोन पर तलाक दे दिया था. जिसके बाद उसने अपने प्रेमी के साथ शादी कर ली थी. जब उमरबी का पति दुबई से लौटा तो उसने हाईकोर्ट में कहा कि उसने तलाक दिया ही नहीं. उसकी पत्नी ने अपने प्रेमी से शादी करने के लिए झूठ बोला है. इस पर कोर्ट ने उसे एसएसपी के पास जाने को कहा था.
तीन तलाक को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड किसी भी आदेश को मानने को तैयार नहीं है. उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खां ने भी अपने हालिया बयान में कहा था कि नमाज कैसे पढ़ा जायेगा, निकाह कैसे होगी और तलाक कैसे होगा यह कोई अदालत नहीं तय करेगा.
सरकार ने भी तीन तलाक खत्म करने की राय दी है, लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मुद्दे पर झुकने को तैयार नहीं है. विभिन्न धर्मों में महिला विरोधी कुरीतियों को हटाने के मकसद से लॉ कमिशन ने आम नागरिकों की राय मांगी थी. इसमें तीन तलाक, बहुविवाह सहित और भी दूसरी प्रथाओं को लेकर 16 सवालों के जरिए जनता की राय मांगी गयी थी. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बात पर लॉ कमिशन से बेहद नाराज है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कहना है कि इस देश में कई धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं और सभी को सम्मान दिया जाना चाहिए.

Advertise with us