बड़ा दिलचस्प और शानदार रहा ओमपुरी का फिल्मी सफ़र

मुंबई : बॉलिवुड के मशहूर अभिनेता ओम पुरी अब इस दुनिया में नहीं रहे. 66 साल के ओम पुरी का निधन दिल का दौरा पड़ने से आज सुबह हुआ. ओम पुरी का किरदार हमेशा से ही हर फिल्म में मजबूत अलग नजर आया. ओमपुरी की शानदार फिल्मों में ‘आक्रोश’, ‘अर्धसत्य’, ‘जाने भी दो यारो’, ‘घायल’, ‘अवारा पागल दीवाना’ और ‘चुपके चुपके’ जैसी फिल्में हैं जिनमें उनके डायलॉग को आज भी फैंस दुहराते हैं. आइए नजर डालते ओम पुरी के कुछ खास डायलॉग पर…
फिल्म: आवारा,पागल दीवाना
मरने से पहले मेरे बाल डाई कर देना, आई वॉन्ट टु डाई यंग..

हीरा…क्या गाय थी गांव में…10 लीटर दूध देती थी,,,जब ठुमक-ठुमक कर चलती थी तो सारे गांव के बैल उस पर मरते थे…उसका स्मारक बनाना..
जैसे ही मैंने उसकी कनपटी पर यह गनपट्टी रखी…उसका चेहरा बिना दूध की चाय जैसा पड़ गया…
अगर मैं मर गया, मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा…
फिल्म: नरसिम्हा
मुझे कोई नहीं मार सकता…न आगे से, न पीछे से…न दाएं से, न बाएं से…न आदमी, न जानवर…न अस्त्र, न शस्त्र…
हर जूती यह सोचती है कि वह पगड़ी बन सकती है..मगर जूती की किस्मत है कि उसे पैरों तले रौंदा जाए…और पगड़ी का हक है कि उसे सर पर रखा जाए…
मैं जब भी करता हूं, इंसाफ ही करता हूं…
फिल्म: ओह माई गॉड
मजहब इंसानों के लिए बनता है, मजहब के लिए इंसान नहीं बनते…
फिल्म: जाने भी दो यारो
द्रौपदी तेरी अकेले की नहीं, हम सब शेयरहोल्डर हैं…
शराबी तो शराबी की मदद करेगा..
फिल्म: चुप चुप के
ये मूंछ तेरे बाप के खेत पर नहीं उगाई है…
फिल्म : मेरे बाप पहले आप
सुना है आजकल छोटी-छोटी लड़कियों को हम जैसे बड़े लोग पसंद हैं…मेरे साथ ऐसा पहली बार हो रहा है…
ये बगीचे इतने बड़े क्यों होते हैं, एक फूल-एक फब्बारा…बात ख़त्म…इतने ताम-झाम की क्या जरूरत..
कुंडली से यारी तो क्या करेगी फौजदारी…
फिल्म : मरते दम तक
हमारे धंधे में आंसू के साथ कोई रिश्ता नहीं होता..
खून जब खौलता है तो मौत का तांडव होता है…
फिल्म : चक्रव्यूह
मैं ऐसे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता…जो गरीबों की इज्जत करना नहीं जानता…
फिल्म : अग्निपथ
जिस दिन पुलिस की वर्दी का साथ पकड़ा, उस दिन डर का साथ छोड़ दिया….
फिल्म : कुर्बान
यकीन को हमेशा वक्त के पीछे चलना चाहिए…आगे नहीं।
फिल्म : गुप्त
समाज की गंदगी साफ़ करने का कीड़ा है मेरे अंदर…

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