पाकिस्तान को एक बार फिर हार्ट ऑफ एशिया में अलग-थलग करेगा भारत

नयी दिल्ली : आतंकवादियों की पनाहगाह बन चुके पाकिस्तान को दुनिया भर में अलग-थलग करने की मुहिम के तहत भारत एक बार फिर शनिवार से पंजाब के अमृतसर में शुरू हो रहे हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में आतंकवाद और पाकिस्तानी करतूत को उजागर करेगा. भारत के पास संयुक्त राष्ट्र महासभा के बाद हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे पर घेरने का बेहतरीन मौका है. उम्मीद यह जाहिर की जा रही है कि आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग करने की इस मुहिम में भारत को अफगानिस्तान का साथ मिलेगा.

उड़ी हमले के बाद ही भारत ने छेड़ दिया है अभियान

जम्मू-कश्मीर के उड़ी में सैन्य ठिकाने पर पाकिस्तान की ओर से हमला करने के बाद से भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर कूटनीतिक तरीके से उसे अलग-थलग करने का आह्वान कर चुका है. भारत के इस अभियान के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सितंबर महीने में भारत के खिलाफ आग उगले थे. इसके जवाब में संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी करारा जवाब देते हुए कूटनीतिक प्रयास किये थे. आतंकवाद के मसले पर भारत अमृतसर में आयोजित होने वाले हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भी अपने अभियान को जारी रख सकता है.

क्षेत्रीय आतंकवाद की रोक के लिए बनाया जा सकता है दबाव

आतंकवाद और क्षेत्रीय आतंकवाद के खिलाफ भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर चलाये गये कूटनीतिक अभियान में उड़ी हमले के बाद भी अफगानिस्तान का साथ मिला था. उम्मीद यह भी जाहिर की जा रही है कि हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भी भारत की इस कोशिश में अफगानिस्तान का भी पूरा साथ मिलने की उम्मीद है. इस कारण यह है कि वह भी खुद पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से काफी त्रस्त है. इस समय पाकिस्तानी जमीन से आतंकवादी संगठनों ने अफगानिस्तान पर हमले तेज कर दिये हैं. उम्मीद यह भी है कि अफगानिस्तान इस सम्मेलन में हार्ट ऑफ एशिया के इस्तांबुल प्रक्रिया की सालाना बैठक में बाध्यकारी प्रतिबद्धता के साथ क्षेत्रीय आतंकवाद निरोधक ढांचे के लिए गहरा दबाव बना सकता है. हार्ट ऑफ एशिया- इस्तांबुल प्रक्रिया युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान को बदलाव के दौर में उसकी मदद के लिए गठित किया गया है. इसके लिए चौदह सदस्य देशों के शीर्ष अधिकारी आतंकवाद समेत इस क्षेत्र के समक्ष मौजूद अहम चुनौतियों पर चर्चा करने तथा अफगानिस्तान में स्थायी शांति एवं स्थायित्व लाने के तौर तरीके ढूढ़ने के लिए बैठक करेंगे.

प्रधानमंत्री मोदी करेंगे मुख्य सम्मेलन का उद्घाटन

प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को संयुक्त रूप से मुख्य सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे. विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के बीमार होने के कारण उनकी अनुपस्थिति में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुआई वित्तमंत्री अरुण जेटली करेंगे. वहीं, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज भी इस सम्मेलन में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करेंगे. अजीज रविवार को यहां पहुंचेंगे और उसी दिन उनके लौट जाने की भी संभावना है. सभी की निगाहें इस बात पर होगी कि इस मौके पर भारत-पाक द्विपक्षीय वार्ता होती है या नहीं.

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