पटना सेक्स स्कैंडल : निखिल ने पहाड़ियों में फेंक दिया था मोबाइल

पटना : पूर्व मंत्री की बेटी के यौन शोषण के आरोपित निखिल प्रियदर्शी को गिरफ्तारी की भनक पहले ही लग चुकी थी. उसे एहसास हो गया था कि पुलिस उसके काफी करीब आ चुकी है. उसे इस बात की भी जानकारी थी कि उसके तीनों दोस्त कुमार गौरव, प्रेम पांडेय और प्रकाश कुमार और भाई मनीष प्रियदर्शी को पुलिस द्वारा पकड़ा जा चुका है. उन सभी को इसकी जानकारी थी कि वह कौन-सा मोबाइल नंबर उपयोग कर रहा है और वह कहां है. उसे लगा कि अब उस इलाके से फरार होने में ही उसकी भलाई है. इसके बाद वह पौढ़ी गढ़वाल के इलाके को छोड़ने के लिए अपने पिता के साथ ऑडी कार से निकल चुका था.

सूत्रों के अनुसार वह जिस रेस्ट हाउस में ठहरा हुआ था और वहां से जैसे ही वह निकला, वैसे ही निखिल ने बीच में गाड़ी रोक कर मोबाइल फोन फेंक दिया और कुछ ही देर बाद वह पकड़ा गया. उसके रेस्ट हाउस से निकलने तक की जानकारी पटना पुलिस को हो चुकी थी और इस संबंध में पौड़ी गढ़वाल एसपी एम मोहसिन को जानकारी एसएसपी मनु महाराज ने दी थी. उत्तराखंड पुलिस ने जब दोनों बाप-बेटे को पकड़ा, तो उन लोगों के पास कोई भी मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस नहीं था. पूछताछ के बाद उसने उसे पहाड़ियों से फेंकने की जानकारी दी. जहां से मोबाइल निकालना संभव भी नहीं है. उसने मोबाइल तो फेंक दिया, लेकिन लोकेशन उसका उत्तराखंड में पटना पुलिस को आसानी से दिख रहा था. इसके बाद दोनों को वाहन चेकिंग में पकड़ा गया.

पौड़ी गढ़वाल एसपी एम मोहसिन ने बताया कि निखिल और उसके पिता को जब पकड़ा गया, तो उसके पास से कार के अलावा कुछ भी बरामद नहीं किया गया. उसके पास न तो मोबाइल फोन था और न ही कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस.

पटना : ऑटोमोबाइल करोबारी और पूर्व मंत्री की बेटी के यौनशोषण मामले में आरोपित निखिल प्रियदर्शी व उसके पिता कृष्ण बिहारी सिन्हा की गिरफ्तारी की जानकारी मिलने के बाद पटना पुलिस की एक टीम बुधवार की अहले सुबह उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल पहुंची. इस टीम ने गढ़वाल जिले के एसपी एम मोहसिन से मुलाकात की, जिसके बाद उत्तराखंड पुलिस ने निखिल व उसके पिता को पटना पुलिस के हवाले कर दिया. इसके बाद कड़ी सुरक्षा में दोनों को वहां के न्यायालय में पेश किया गया. न्यायालय ने दोनों को तीन दिनों के ट्रांजिट रिमांड पर दे दिया. अब तीन दिनों के अंदर पटना पुलिस को उन दोनों को पटना के न्यायालय में उपस्थित करना होगा और फिर न्यायालय का जैसा आदेश होगा, उस अनुसार आगे की कार्रवाई की जायेगी. हालांकि यह पूरी संभावना है कि पटना पुलिस के साथ ही एससी-एसटी थाना पुलिस दोनों को रिमांड पर लेने के लिए आवेदन कर सकती है.

क्योंकि उसके ऊपर लगे तमाम आरोपों की जांच उक्त मामले में गठित एसआइटी को करनी है. इधर, ट्रांजिट रिमांड पर दोनों के मिलने के बाद पटना पुलिस की टीम उत्तराखंड से कड़ी सुरक्षा में लेकर पटना के लिए रवाना हो चुकी है और संभावना जतायी जा रही है कि गुरुवार की देर शाम या शुक्रवार की सुबह दोनों को लेकर पटना पहुंच सकती है. गढ़वाल एसपी एम मोहसिन ने बताया कि दोनों को तीन दिनों के ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पटना पुलिस वापस लौट गयी है.

न्यायालय में चेहरा छिपा रहा था निखिल
पटना. निखिल प्रियदर्शी सोशल साइट पर अपनी तसवीर नये-नये लुक में डालता था. लेकिन, देहरादून कोर्ट में जब उसे पेशी के लिए पटना पुलिस ले गयी और वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने जब तसवीर लेना शुरू किया, तो बाप-बेटे ने अपने चेहरे को छिपाने का प्रयास किया. निखिल ने रूमाल से अपने चेहरे को छिपाने का प्रयास किया. इसके बाद बाप-बेटे को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया और फिर तुरंत ही पटना पुलिस की टीम उसे लेकर वहां से निकल गयी. कोर्ट से बाहर निकलने के दौरान भी निखिल ने अपने चेहरे पर रूमाल रख कर छिपाने का भरसक प्रयास किया.

निखिल के पास से मिले कागजात से उठ रहे सवाल उत्तराखंड की पुलिस ने पौड़ी गढ़वाल इलाके में जब निखिल प्रियदर्शी व उसके पिता व पूर्व आइएएस कृष्ण बिहारी सिन्हा को पकड़ा तो उन लोगों के पास से एक ऑडी कार व केस से संबंधित तमाम कागजात बरामद किये गये. अब इस मामले में यह सवाल उठ रहे हैं कि उसे केस से संबंधित कागजात कौन भेज रहा था.

फिलहाल निखिल से इस संबंध में पूछताछ नहीं हुई है, लेकिन यह तय है कि उक्त कागजात उसे किसी ने इमेल से भेजे थे. इमेल को खंगालने के बाद यह स्पष्ट हो जायेगा कि किसने सारे कागजात भेजे थे. उसके पास से एफआइआर की कॉपी, पीड़िता के बयान की कॉपी व अन्य दस्तावेज बरामद किये गये हैं. पुलिस यह भी संभावना जता रही है कि निखिल का नेटवर्क पूरे देश में था. इस कारण उसे उसके ठिकाने तक भी दूसरे के इमेल आइडी से भेज कर पहुंचाया जा रहा था. उत्तराखंड पुलिस हालांकि इस मामले कुछ ज्यादा पूछताछ नहीं की.

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