नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष ने 28 को किया भारत बंद का ऐलान, जंतर-मंतर पर ममता बनर्जी का धरना शुरू

नोटबंदी को लेकर विपक्ष के हमले झेल रही केंद्र सरकार के खिलाफ बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी मोर्चा खोल दिया. ममता बनर्जी ने मोदी सरकार की नोटबंदी के फैसले के खिलाफ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया और सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की. नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष ने 28 नवंबर को भारत बंद का ऐलान किया है.इस बीच, सरकार ने नोटबंदी के मामले पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए बातचीत की पहल की है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को सुबह 10 बजे सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है.बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी पर नोटबंदी को लेकर बुधवार को सदन के बाहर से हमला किया. उन्होंने कहा कि जब पीएम ने इतना अच्छा काम किया है तो वह संसद आने से क्यों घबरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रपति से गुजारिश करती हूं कि प्रधानमंत्री को तलब करें और नोटबंदी के बाद जनता को हुई परेशानी का समाधान निकालें. इस बीच हंगामे के बाद लोकसभा को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.

मायावती ने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी संसद आकर विपक्ष की सुनें. उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी में गड़बड़झाला हुआ है. उन्होंने कहा कि हम भी काले धन के खिलाफ सरकार के साथ हैं. लेकिन बिना तैयारी के लिया गया ये कदम अगर सोच समझकर लिया जाता तो हम सरकार का समर्थन करते.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. हमलावर अंदाज में उन्होंने कहा कि विपक्ष की केवल यही मांग है कि पीएम संसद में आकर जवाब दें. वह आ क्यों नहीं रहे हैं. उन्हें किस बात की घबराहट है.इतना ही नहीं राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ने नोटबंदी पर अपने वित्त मंत्री तक से बात नहीं की. ये फैसला वित्त मंत्री का नहीं केवल प्रधानमंत्री का था. उन्होंने जो किया वो बिना तैयारी के किया गया एक सबसे बड़ा वित्तीय परीक्षण था.

वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री को संसद में उपस्थित होने का निर्देश दें. पहले ऐसे पीएम हैं जो संसद आने से डर रहे हैं.शीतकालीन सत्र की शुरुआत से नोटबंदी पर विपक्ष के हमले झेल रही मोदी सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. यूनाइटेड अपोजिशन फ्रन्ट ने बुधवार सुबह 9.30 बजे सांसदों की बैठक के बाद संसद परिसर में महात्मा गांधी के स्टैच्यू के पास विरोध प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में 12 राजनीतिक पार्टियों के करीब 200 एमपी शामिल हुए.अनुमान है कि बीएसपी के 7, सपा के 24, कांग्रेस के 95, एनसीपी के 10, टीएमसी के 45, आरजेडी के 6, जेडीयू के 18, वाईएसआर के 12, जेएमएम के 2, डीएमके के 4, सीपीएम के 20, सीपीआई के 1 सांसद प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे. सभी एमपी सुबह 10 बजे प्रदर्शन के लिए पहुंचे.

नोटबंदी पर केंद्रित रहने के लिए सभी पार्टी एक ही झंडे (तिरंगा) का इस्तेमाल करेगी और पार्टियों का अपना-अपना झंडा इस्तेमाल नहीं होगा. सभी पार्टी के सांसद कॉमन नारे भी लगाएंगे. मोदी जी की मन की बात, गरीबों के पेट में लात, जैसे नारे लगाए जाएंगे. पहले से ही हिन्दी और अंग्रेजी में अलग-अलग नारों को तैयार किया जा रहा है.

मिली जानकारी के अनुसार प्रदर्शन के बाद 11 बजे सभी सांसद राज्यसभा और लोकसभा में चले जाएंगे. राज्यसभा और लोकसभा में भी सांसद अपनी मांगों को दोहराएंगे. विपक्ष का तीन प्रमुख मांगों पर फोकस रहेगा. विपक्ष की मांग है कि नियम 156 के तहत चर्चा हो, पीएम मोदी भी नोटबंदी पर हो रही बहस के दौरान मौजूद रहें और नोटबंदी की जानकारी लीक करने के आरोप पर जेपीसी जांच शुरू हो. विपक्ष ने चेतावनी दी है कि मांगे नहीं माने जाने पर संसद को बाधित किया जाएगा.

नोटबंदी के मुद्दे पर कांगेस ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है. समय मिलने पर विपक्ष प्रणव मुखर्जी से मिलने जा सकता है. समय मिलने के बाद राष्ट्रपति भवन तक नोटबंदी के खिलाफ संयुक्त प्रदर्शन निकालने पर भी विचार किया जाएगा. राष्ट्रपति से मुलाकात कर नोटबंदी से आम जनता को हो रही दिक्कतों की जानकारी दी जाएगी.विपक्ष के नेताओं ने ये भी साफ किया कि एनडीए सरकार की प्रतिक्रिया को देख हर कुछ घंटे पर विपक्षी नेता अपनी रणनीति की समीक्षा भी करेंगे.

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