विवेक रंजन अग्निहोत्री कृत ‘ द कश्मीर फाइल्स’ की सफलता ने एक बात तो सिद्ध कर दी है कि मेरा भारत बदल रहा है। अभी हुए पांच राज्यों के चुनावों में जिस तरह से चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापिस लौटी है और जिस तरह से ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने सफलता बॉक्स ऑफिस पर अर्जित की है उससे देश की जनता की बदलती सोच जिसमें अब राष्ट्र भक्ति मुखर होकर झलकती है स्पष्ट दिखाई दे रही है।
विवेक रंजन अग्निहोत्री की इस फिल्म को ना तो ठीक से थियेटर मिले, ना ही कपिल शर्मा जैसे मंचीय भांडों ने उन्हें अपनी फिल्म को प्रचारित करने के लिए अपने सेट पर बुलाया। लगभग पांच सौ स्क्रीन्स पर रिलीज की गई इस फिल्म का मुकाबला बाहुबली प्रभास की 350 करोड़ की लागत से बनी फिल्म ‘राधे श्याम’ से था। कई वैचारिक फिल्म समीक्षकों ने ‘द कश्मीर फाईल्स’ को सिरे से नकारते हुए ‘राधे श्याम’ की सफलता को आश्वस्त किया। लेकिन कहते हैं ना कि जिसमें दम होता है, मुकाबला भी वही जीतता है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ के कंटेंट की ताकत के आगे प्रभास की ‘राधे श्याम’ हिंदी बेल्ट में दम तोड़ गई।
कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन के हालात पर रोशनी डालती इस फिल्म को सिने दर्शकों ने इस तरह पसंद किया कि पहले दिन मात्र साढ़े तीन करोड़ का कलेक्शन करने वाली इस फिल्म ने दूसरे दिन लगभग साढ़े आठ करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया। इसके मुकाबले में ‘राधे श्याम’ ने दूसरे दिन हिंदी बेल्ट में मात्र साढ़े चार करोड़ रुपये कमाये।
‘द कश्मीर फाइल्स’ को रोकने के, उसे फ्लाप करने के जितने भी प्रयास किए गए वह सिने दर्शकों ने अपनी ताकत, अपने प्रेम से सब विफल कर दिए। समीक्षकों ने इस फिल्म के बारे में या तो नाकारात्मक लिखा या फिर नहीं लिखा। लेकिन इस फिल्म को देख कर निकले हर दर्शक ने इस फिल्म के बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। आज सोशल मीडिया पर जिस तरह से दर्शक इस फिल्म का समर्थन कर रहें है ऐसा लगता है कि ये फिल्म विवेक रंजन अग्निहोत्री की नहीं उसकी है।फिल्म जिन थियेटर पर रिलीज़ हुई वहां वह ठीक से दिखाई जा रही है या नहीं इसकी भी चिंता दर्शक कर रहें हैं। कई ऐसे दृश्य दिखाई दिए जहां दर्शक सिनेमा संचालकों से फिल्म को ठीक से दिखाने की बात कर रहें हैं।
कश्मीर छोड़कर भागने को मजबूर कश्मीरी पंडितों की दुखभरी यादों को ताजा करती ये फिल्म उन कारणों की पड़ताल करती है साथ ही उन कारणों को भी सामने लाती है जिनके कारण उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा। आज पलायन के इतने वर्षों बाद कश्मीरी पंडितों के दुख को ना केवल आवाज़ मिली है वहींं दूसरी ओर देश की जनता के सामने भी ये सच सामने आया है। इस फिल्म को देशभर से मिल रहा समर्थन ये बताता है कि देश की जनता आज कश्मीरी पंडितों के दुख में शामिल है।
आज हम कह सकते हैं जिस तरह से भाजपा नीत सरकारों के साथ देश का हिंदू खड़ा है उसी तरह से वह ‘द कश्मीर फाइल्स’ के साथ खड़ा है। ये वामपंथी एजेंडे पर काम करने वाले बॉलीवुड पर करारा तमाचा है। अब भारतीय सत्य, भारतीय कहानियों पर सिनेमा बन रहा है। उसको दर्शकों का समर्थन भी मिल रहा है। ये उन फिल्म निर्माताओं को चेतावनी भी है कि अब बदलते भारत के तेवरों का ध्यान रखें और उन निर्माताओं को ये ताकत भी मिल रही है कि अगर वह देश हित में सिनेमा का निर्माण करते हैं तो उनकी फिल्म भी सौ करोड़ का कारोबार कर सकती है। ये बदलते भारत की आवाज़ है इसे अनसुना करना महंगा पड़ सकता है।
आज ‘द कश्मीर फाइल्स’ को देश की राष्ट्र भक्त सरकार भी अपना समर्थन दे रही हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने फिल्म के निर्माता-निर्देशक के साथ मुलाकात करके उन्हें प्रोत्साहित किया। सबसे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने फिल्म को टैक्स फ्री घोषित किया, उसके बाद गुजरात और मध्य प्रदेश सरकार ने फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया। विवेक रंजन अग्निहोत्री को धन्यवाद की उन्होंने कश्मीरी पंडितो के दर्द को आवाज़ दी।