वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया, दिल्ली यूनिट के अगुआई में भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले पत्रकारो की मांगों को लेकर रफी मार्ग स्थित केंद्रीय श्रम मंत्रालय पर भारी प्रदर्शन किया।

नई दिल्ली, रफी मार्ग स्थित श्रमशक्ति मंत्रालय पर वर्किंग जॉर्नलिस्टस ऑफ इंडिया ने भारतीय मजदूर संघ से संबंधित दर्जनों संगठनों के साथ मिलकर हजारों की संख्या में प्रदर्शन किया।

मुख्य मांगें:-
1)मुंबई पुलिस द्वारा रिपब्लिक टी वी के पत्रकारों के साथ हीं देश भर में कोरोना संक्रमण के दौरान पत्रकारों पर दर्ज फ़र्ज़ी मुक़दमे वापिस लिए जाएं।2) लेबर कोड्स मे पत्रकारों के बेज़बोर्ड मे मूल स्वरुप को वापिस किया जाए
3) पत्रकारों के लिए मीडिया आयोग की स्थापना की जाए
4) प्रेस काउन्सिल को भंग कर मीडिया काउन्सिल बनाई जाए
मीडिया मे स्थाई नौकरी की व्यवस्था की जाए
4)डिज़िटल मीडिया के रजिस्ट्रेशन के लिए सरल नियम बनाएं जाए
5) ई -पेपर को मान्यता दी जाए

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इस प्रदर्शन पर भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेंद्रन जी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एम के सिंह, क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार राष्ट्रीय सचिव गिरीश आर्या, दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष प्रेम सिंह नागर एवं महामंत्री अनीश मिश्र, प्रदेश संगठन मंत्री ब्रजेश कुमार के साथ अन्य संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी एवम हजारों कार्य करता सामिल हुए। इस अवसर पर सुरेंद्रन जी ने कहा कि पत्रकार लोक तंत्र का चौथा स्तब्ध है अतः सरकार को इसे मजबूत बनाना चाहिए। पवन कुमार ने कहा कि वेज बोर्ड में कोई खिलवाड़ नही करना चाहिए। इस प्रदर्शन की अगुआई दिल्ली प्रदेश इकाई ने की। इस प्रदर्शन का नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी ने किया।इस अवसर पर राष्ट्रीय महामंत्री नरेंद्र भंडारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय उपाध्याय, राष्ट्रीय सचिव विपिन चौहान, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष संदीप शर्मा, प्रदेश महासचिव देवेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक धवन, प्रोमोद गोस्वामी, कोषाध्यक्ष नरेंद्र धवन एवम सचिव सुनील परिहार के साथ दिल्ली के सैकड़ों पत्रकारों ने उत्साह पूर्वक इस प्रदर्शन में भाग लिया।

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इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर पत्रकारों के खिलाफ हो रहे मुकदमों को वापस नही लिया गया तो देश भर के पत्रकार सड़कों पर आ जाएंगे। उन्होंने मीडिया में विदेशी विनिमेश को तत्काल रोक लगाने की मांग की।महासचिव नरेंद्र भंडारी ने वर्किंग जॉर्नलिस्ट एक्ट के मूल स्वरूप को यथा स्थिति कॉड्स में शामिल करना चाहिए। डिजिटल मीडिया के लिए बनाए जा रहे नियमो को सरल किया जाए जिससे कि गांव, जिले, और छोटे शहरों के पत्रकारों को लाभ मिले न कि विदेशी निवेशकों तथा बड़े मीडिया घरानों को। जिन मीडिया संस्थानों ने अभी तक पुरी तरह से मजीठिया वेज बोर्ड लागू नही किया है उनके सरकारी विज्ञापनों पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय उपाध्याय ने मीडिया कमीशन की गठन तथा पत्रकारों की सुरक्षा को सरकारों को अहमियत देना चाहिए। पत्रकारों के खिलाफ हुए मुकदमे खासकर कोरोना के दौरान और हाल में हुए रिपब्लिक टी वी के हजारों कर्मचारियों के विरोध किया गया एफ आई आर अराजकता की परिकाष्ठा है। आजादी के बाद से किए गए यह मुकद्दमे काले कानून के जैसे है। यह मौजूद दौर पत्रकारिता के इतिहास में काला कार्यकाल माना जाएगा। इसी कालखण्ड में हजारों पत्रकारों की नौकरियां गई है जिसमे राज्यसभा टी वी के 37 पत्रकारों की नौकरी भी गई है।

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