विधानसभा चुनाव 2020 – नहीं है आसान बेगूसराय से पटना की राह-अनीता चौधरी

अनीता चौधरी

बिहार चुनाव् की सरगर्मियां तेज हो चुकीं हैं , कुल मिलाकर देखें तो सभी दलों के कई प्रत्याशी चुनावी दंगल में कूद चुके हैं | पार्टियों की टिकट बंटवारे को लेकर चर्चा तेज हो चुकी है | यैसे में टिकट बंटवारे को लेकर जरा सी भी चूक भी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है | टिकट बंटवारे को लेकर सभी पार्टियों. के लिए सबसे अहम् सीट बेगूसराय का माना जा रहा है | जहाँ के सांसद गिरिराज सिंह भले ही बीजेपी से हों लेकिन इस संसदीय क्षेत्र की सभी विधानसभा सीट पर महागठबंधन का कब्ज़ा है |

बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा में अब महज कुछ दिन शेष रह गए हैं। बहुत जल्द चुनाव आयोग कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। इस बीच बेगुसराय के सातों विधानसभा क्षेत्रों में भी राजनीतिक पारा ऊपर चढ़ गया है। सभी दल के साथ निर्दलीय प्रत्याशियों ने विभिन्न माध्यमों से जनता के दरबार में हाजिरी लगानी तेज कर दी है। विधायक उद्घाटन और शिलान्यास के साथ-साथ एक बार फिर से घोषणाओं की झड़ी लगा रहे हैं। कोरोना के कारण डिजिटल रूप से भी तमाम दल हर घर तक अपनी पहुंच बना रहे हैं। लेकिन इस चुनाव में बेगूसराय के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों से विजेता बनकर पटना पहुंचने की राह बड़ी लंबी और कठिन होगी।

महागठबंधन की हुई थी जीत

2015 के विधानसभा चुनाव में राजद, जदयू, कांग्रेस समेत अन्य दल महागठबंधन में थे जिसमें भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी और सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में महागठबंधन की जीत हुई थी। बेगूसराय नगर से कांग्रेस के अमिता भूषण, बछवाड़ा से कांग्रेस के रामदेव राय, मटिहानी से जदयू के नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह, चेरिया बरियारपुर से जदयू के मंजू वर्मा, बखरी (सुरक्षित) से राजद के उपेन्द्र पासवान, साहेबपुर कमाल से राजद के श्रीनारायण यादव तथा तेघड़ा से राजद के वीरेन्द्र कुमार को जनता ने अपना प्रतिनिधि बनाकर विधानसभा भेजा था। लेकिन इस बार गठबंधन का गणित और मतदाताओं का मूड बदला हुआ है जिससे इन लोगों के लिए फिर से विधानसभा पहुंचना बहुत ही मुश्किल लग रहा है।

मटिहानी से जदयू के बोगो सिंह तथा बेगूसराय से कांग्रेस के अमिता भूषण को छोड़कर किसी भी विधायक के फिर से प्रत्याशी बनने की संभावना बहुत ही कम है। सीट बंटवारे में विधानसभा सीटें अगर सीटिंग पार्टी के कब्जे में गईं भी तो तेघड़ा से राजद के वीरेन्द्र कुमार का टिकट कटना तय है। वहीं, साहेबपुर कमाल से राजद वर्तमान विधायक श्रीनारायण यादव की उम्र को देखते हुए उनके पुत्र पर भी दांव खेल सकती है। होगा वही जो आलाकमान तक सीधी पहुंच रखने वाले श्रीनारायण यादव चाहेंगे। बखरी से वर्तमान विधायक उपेन्द्र पासवान के बदले राजद में कई चेहरे क्षेत्र से लेकर आलाकमान तक वर्तमान विधायक से अधिक सक्रिय हैं तथा पार्टी नया दांव खेल सकती है।

चेरिया बरियारपुर से मंजू वर्मा को जदयू टिकट देगा यह कहना बहुत ही मुश्किल है। बछवाड़ा से कांग्रेस विधायक रामदेव राय खुद ही अपने पुत्र गरीबदास को टिकट दिलाने के लिए एंड़ी-चोटी एक किए हुए हैं। विधायक कोटे से क्रियान्वित होने वाली योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी विधायक पुत्र कर रहे हैं।
यैसे में इस बार सबकी निगाहें बीजेपी वाले NDA गठबंधन पर टिका हुआ है क्योंकि महागठबंधन का समीकरण इस बार बदला हुआ है | महागठबंधन की सत्तारूढ़ पार्टी जेडयू अब बीजेपी वाले गठबंधन में है और लालू प्रसाद यादव जिनके पास माना जाता है की चुनावी जादुई छड़ी होती है वो भी चारा घोटाला मामले में जेल में है | केंद्र की बीजेपी सरकार योजनाओं के उद्धघाटन की झड़ी लगायी हुयी है | मगर इस क्षेत्र में लेफ्ट का दबदबा अभी भी बरक़रार है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है |
बहरहाल देखना ये होगा की आखिर बेगूसराय पर इस बार किसका वर्चस्व रहता है |

कुल मिलाकर सभी दलों के कई प्रत्याशी चुनावी दंगल में कूद चुके हैं और पार्टियों की टिकट बंटवारे में होने वाली थोड़ी सी भी चूक पार्टी को रसातल में मिला सकती है। यहां सभी सीटों को लेकर तमाम दलों में मारामारी है। संभावित प्रत्याशी एक दूसरे को पछाड़ने के लिए क्षेत्र में सक्रिय होने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।

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