रिलायंस फाउंडेशन ने किसानों को लाभदायक खेती के तरीको के लिए सलाहकार समिति बनाई

नई दिल्ली: रिलायंस फाउंडेशन ने देश के विभिन्न राज्यों के किसानों से मीडिया को रूबरू करवाया एवं बताया कि उनकी सलाहकार समिति कैसे हर राज्यों के गावो में जाकर किसानों को खेती के नए नए तरीको को बताती है एवं उसके लिए संसाधन भी जुटाती है।
इस दौरान रिलायंस कि तरफ से श्री सुनील श्रीवास्तव ने मीडिया के सवालो का जवाब दिया। इस अवसर पर महाराष्ट्र से भरत भोसले, देवघर (झारखंड) से श्रीमति सत्योश्री सिंह, जमवारामगढ़ (राजस्थान) तोफन राम मीणा, कदैया शाह गांव, बेरासिया ब्लॉक, भोपाल, मध्य प्रदेश से विशाल सिंह मीणा जी एवं कई अन्य लोग उपस्थित हुए एवं अपनी अपनी बाते बताई।

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भरत भोसले, महाराष्ट्र

भरत भोसले, जो सिरकलस, पूर्णा तालुका से आने वाले एक प्रगतिशील किसान हैं, ने रिलायंस फाउंडेशन द्वारा प्रसारित सलाह और प्रबंधन प्रक्रियाओं का पालन किया। रिलायंस फाउंडेशन के इन परामर्शों से, उन्‍होंने सिर्फ अपनी सहजन (शेवगा) की फसल से 2 लाख रूपये से अधिक की आय अर्जित की।

भारत ज्ञानोबा भोसले के पास 25 एकड़ की कृषि भूमि है जिसमें से 15 एकड़ सिंचित है। उनके परिवार में 12 सदस्य शामिल हैं। वह कपास, सोयाबीन, गन्ना, हल्दी और टमाटर उगाते हैं।

किसानों को कई समस्याएं आती हैं; और उचित मार्गदर्शन की कमी उनकी समस्याओं को और बढ़ा देती है। इसके समायोजन के लिए, रिलायंस फाउंडेशन ने 1,500 की आबादी के उनके गांव में कई कार्यक्रम आयोजित किए।

भरत भोसले ने रिलायंस फाउंडेशन के सभी कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने ऑडियो कॉन्फ्रेंस, मृदा परीक्षण और रिलायंस फाउंडेशन के अन्य कार्यक्रमों में भाग लिया।

उन्‍होंने कपास की खेती के लिए, भूमि को तैयार करने से लेकर, बुवाई, सिंचाई, उर्वरक और कीट प्रबंधन तक सभी परामर्शों का पालन किया। इससे उन्हें प्रति एकड़ 20 क्विंटल कपास और प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल सोयाबीन की उपज मिल पायी। उनकी हल्दी की उपज भी संतोषजनक थी – सुखाने के बाद, 25 क्विंटल प्रति एकड़ की सीमा तक।

उन्होंने 4 एकड़ में शेवगा (सहजन) उगाया। उन्होंने शेवगा को जून-जुलाई के मध्‍य लगाया; आर्द्र जलवायु से फसल के विकास में तेजी आई। उन्होंने टमाटर और हल्दी की अंतर-फसर भी उगाई। सहजन का बाजार मूल्‍य 50 रुपये से 60 रुपये प्रति किलो है। इसके अलावा, उनके पास इस फसल के ओडिशा किस्म बीज स्टॉक भी हैं। एक सहायक व्यवसाय के रूप में, उनके पास लगभग 50 बकरियां भी हैं। इस पशुधन की मिंगनी का उपयोग खेत में एक प्रभावी उर्वरक के रूप में भी होता है।

उन्हें अपनी सभी फसलों – कपास, सोयाबीन और हल्दी से उत्कृष्ट उपज मिली। वह रिलायंस फाउंडेशन से प्राप्‍त सामायिक इनपुट और सलाह का आभार व्‍यक्‍त करते हैं। इससे उन्हें उपज को बढ़ाने और अन्‍ततोगत्‍वा उसकी आय को बढ़ाने में सहायता मिली। वह रिलायंस फाउंडेशन की परामर्शदात्री का समर्थन करते हैं और अन्‍य किसानों को इसका लाभ उठाने के लिए कहते हैं।

सत्‍यश्री सिंह

टिटमोह, देवघर, झारखंड

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विलेज एसोसिएशन (वीए) के सदस्‍य से लेकर स्‍वास्‍थ्‍य संगिनी बनने और फिर त्रिकूट कृषक प्रोड्यूसर कंपनी के बोर्ड ऑफ डॉयरेक्‍टर (बीओडी) में शामिल होने तक का सत्‍याश्री का सफर टिटमोह, देवघर, झारखंड की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है। वह सबसे मुखर महिला सदस्‍यों में से एक रही हैं – शराब और घरेलू हिंसा जैसे सामाजिक मुद्दों के खिलाफ अपने गांव की महिलाओं को संगठित करने में उनकी भूमिका महत्‍वपूर्ण रही है।

सत्‍यश्री, जो त्रिकूट कृषक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सात डॉयरेक्‍टर्स में से बोर्ड ऑफ डॉयरेक्‍टर्स की एक महिला है, का कहना है – मैं टिटमोह में एक बहू के रूप में आयी थी लेकिन अब में इस गांव की बेटी बन गयी हूं। मैंने खुद की, अपने परिवार की देखभाल करना सीखा और अब मैं मेरे गांव की देखभाल कर रही हूं। जब मैं प्रोड्यूसर कम्‍पनी के बोर्ड ऑफ डॉयरेक्‍टर के रूप में चयनित हुई, तो यह एक अकल्‍पनीय अनुभव था। वीए सदस्‍यों के समर्थन ने मेरा विश्‍वास दृढ़ किया। बीओडी के रूप में, मैंने 19 गांवों में धान संग्रह में मदद की है। इससे पूर्व हम बाहर से चावल खरीदते थे, लेकिन अब रिलायंस फाउण्‍डेशन के सहयोग से हम अपने उत्‍पादन को सही दामों पर बेचने में सक्षम हैं। प्रत्‍येक दिन में लिए सीखने का एक नया अनुभव लाता है।‘’

सत्‍यश्री एक 10वीं कक्षा की पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने वाली महिला है, जो लोखी सिंह के साथ विवाह के पश्‍चात अर्ध शहरी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में आकर बसीं। उनके पति एक सर्कस में डेथ वैल (मौत के कुंआ) में मोटरसाइकिल चलाते हैं और इसीलिए उन्‍हें अक्‍सर गांव से बाहर ही रहना पड़ता है। उन्‍हें एक्‍जीक्‍यूटिव कमेटी के एक सक्रिय सदस्‍य के रूप में वीए तथा वीमेन थिफ्ट कोऑपरेटिव (डब्‍ल्‍यूटीसी) द्वारा स्‍वीकार किया गया है।

वह साहसी हैं और स्‍वयं पर विश्‍वास रखती हैं तथा नई चीजों को सीखने के लिए सदैव तैयार रहती हैं। आरएफ के मदर एण्‍ड चाइल्‍ड हैल्‍थ (एमसीएच) के सक्षम प्रोजेक्‍ट के दौरान वीए द्वारा उन्‍हें संगिनी के रूप में चुना गया था। कुछ ही महीनों में उन्‍होंने एमसीएच कार्यक्रम को बेहतर स्थिति में ला दिया। उन्‍होंने विलेज एसोसिएशन, हैल्‍थ सब कमेटी और विभिन्‍न सहायता समूहों के साथ कुपोषण पर गहनता से काम किया जिससे कि समस्‍याओं की पहचान और प्राथमिकताओं के निर्धारण तथा स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं और उनके कारणों के प्रति जागरूकता पैदा करने में उनकी मदद की जा सके। चूंकि अधिकांश महिलाएं अशिक्षित होने के कारण, सामुदायिक जागरूकता के लिए खेलों, मूवी दिखाने, प्रदर्शन और नुक्‍कड़ नाटकों का इस्‍तेमाल किया जा रहा है।

अपनी यथा सक्रियता से उन्‍होंने कार्यक्रम के पहले चरण में पांच वर्ष से कम आयु के 53 बच्‍चों का परीक्षण किया, उसमें से 22 बच्‍चे कुपोषित पाये गये। हालांकि, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के एक वर्ष के लंबे हस्‍तक्षेप के पश्‍चात सभी 22 कुपोषित बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार आया। माता पिता के साथ सत्‍यश्री के नियमित परामर्श, आंगनवाड़ी और एनआरसी केन्‍द्रों के साथ एमएएम और एसएएम बच्‍चों के जुड़ाव के साथ ही यह संभव हो सका।

स्‍वास्‍थ्‍य मुद्दों पर समुदाय को शिक्षित करने शिक्षा से कोई फर्क नहीं पड़ता हालांकि स्‍वयं की रूचि महत्‍व रखती है। सत्‍यश्री कहती हैं, ‘’कुपोषण कोई बीमारी नहीं हैं यह बीमारियों की जड़ है और मैं टिटमोह गांव में इसे जड़ से खत्‍म करके रहूंगी।‘’

 

सफलता की दिशा में एक कदम आगे

तोफन राम मीणा, जमवारामगढ़, राजस्थान

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तोफन राम मीणा (38) का जन्म और परवरिश जयपुर जिले की जमवारामगढ़ तहसील के सामरेद खुर्द गांव के एक  गरीब कृषक परिवार में हुई थी। उनके परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। वह विलेज एसोसिएशन (वीए) के एक जीवंत और सक्रिय सदस्य हैं तथा वर्तमान में गांव के साथ-साथ उनकी प्रोड्यूसर कंपनी के लिए भी एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। उनके पास 1.0 हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिसमें से 0.5 हेक्टेयर भूमि सिंचित है और शेष 0.5 हेक्टेयर भूमि सिंचित जल की अनुपलब्धता के कारण विषम और बंजर है। हालांकि खरीफ की ऋतु में वह अपनी पूरी कृषि भूमि पर बाजरे की खेती करते थे जिससे उन्‍हें प्रत्‍येक ऋतु में मात्र 15-20 हजार रूपये की आमदनी हो रही थी। इसी प्रकार रबी की ऋतु में वह गेहूं, जौ, सरसों और चने की खेती अपनी सिंचित भूमि पर करते हैं जिससे वे अपनी उपज को बेचकर 40-50 हजार रुपये कमाते हैं।

वर्ष 2012 में, रिलायंस फाउंडेशन ने उनके गांव में अपने कार्य शुरू किए; बिना समय गंवाये उन्होंने इस अवसर का लाभ उठाया और ‘वीर तेजाजी ग्राम स्वराज समिति- सामरेद खुर्द’ नामक वीए के सदस्य बन गये। उन्होंने कहा, “मैं वीए का पहला सदस्य था और मैंने पहले दिन से वीए सदस्यों को समुदाय को व्‍यवस्थित करने और विश्‍वास बढ़ाने के लिए समर्थन प्रदान किया। एक अभिनव किसान के रूप में, सबसे पहले उन्होंने अपनी कृषि भूमि को समतल करने का कार्य शुरू किया और इसके पश्‍चात, मृदा में सूक्ष्म नमी को बचाने के लिए आरएफ की बंडिंग पहल को अपनाया। वर्ष दर वर्ष वह अपने खेत को बेहतर बना रहे थे; वीए के मृदा स्वास्थ्य सुधार पहल के तहत, उन्होंने अपने खेत की भूमि पर तालाब की मिट्टी और एफवाईएम लगाया और परिणामस्‍वरूप बंजर मिट्टी उपजाऊ मिट्टी में परिवर्तित हो गई। जंगली जानवरों से खेत की रक्षा के लिए उन्होंने वीए के सहयोग से बाड़ लगाने का काम किया। उन्होंने बताया, “खेत की बाड़ लगाना मेरे लिए एक सपना था क्योंकि मेरी आय तार और खंभों को खरीदने जितनी नहीं थी। बाड़ लगाने के कारण, मैं कई गुना ज्‍यादा लाभ प्राप्त करने में सक्षम हूं; अब मैं अपने खेत में सब्जियां पैदा कर रहा हूं और पहले की तुलना में अधिक आय प्राप्त कर रहा हूं।”

उनके अनुसार, वीए के बाड़ लगाने की पहल का सीधा संबंध परिवार के स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित है क्योंकि बाड़ लगने से पहले मेरे परिवार के किसी सदस्य को फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेत पर सोना पड़ता था। इससे वे प्रभावित होते थे; और अक्सर बीमार पड़ जाते थे। इसके अलावा, जब भी जंगली जानवरों द्वारा मुख्‍य फसल को नष्ट कर दिया जाता था, तो पर्याप्‍त पैसा नहीं मिलता था, बच्चों के स्कूल की फीस भरने जितना भी नहीं। तोफन राम मीणा ने गर्व से कहा, “आरएफ पहल से पहले मैं प्रतिवर्ष केवल 1.25 लाख रूपया कमा रहा था लेकिन वर्तमान में मैं और मेरा परिवार कृषि और सहायक गतिविधियों जैसे पशुपालन और बकरी पालन से प्रतिवर्ष 2.80 लाख रूपयो से अधिक कमा रहा हूं।”

श्री तोफन राम मीणा न केवल वीए में अपनी मुख्य भूमिका का योगदान दे रहे हैं, बल्कि “जेकेपीसीएल (जमवारामगढ़ कृषक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड)” नाम पीसी को सुदृढ़ और समर्थन प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनके नेतृत्व में जेकेपीसीएल ने सरकार और अन्य मार्केट प्‍लेयर्स द्वारा कई पुरस्कार और सम्‍मान प्राप्‍त किए हैं।

रिलायंस फाउंडेशन ने विशाल मीणा को एक सफल उद्यमी बनाने में सहायता की  विशाल सिंह मीणा

कदैया शाह गांव, बेरासिया ब्लॉक, भोपाल, मध्य प्रदेश

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विशाल सिंह मीणा को उनके जुनून और समर्पण ने उन्‍हें आज एक सफल उद्यमी बना दिया है। एक संघर्षशील किसान से ताजा फूलों के एक सफल निर्यातक तक, वह अपनी सफलता का श्रेय रिलायंस फाउंडेशन (आरएफ) के सूचना आधारित मार्गदर्शन और परामर्श को देते हैं। अपने चार एकड़ की कृषि भूमि को पुनर्जीवित करने की उनकी आकांक्षा के साथ, उन्होंने आरएफ सूचना सेवा हेल्पलाइन को कॉल किया और आरएफ टीम से सहायता मांगी। उन्हें गेहूं, टमाटर, धनिया और लहसुन के अलावा फूल उगाने के लिए मागदर्शित किया गया था। आज, विशाल मुंबई और दुबई तक अपने ग्लैडियोलस फूल बेचते हैं। विशाल सिंह मीणा एक आदर्श उदाहरण हैं कि कैसे रिलायंस फाउंडेशन की सूचना सेवाओं ने ज्ञान  जिज्ञासुओं को ज्ञान प्रदाताओं से जोड़कर उनकी आजीविका को रूपान्‍तरित किया है।

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