राष्ट्रवादी लेखक संघ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न । कानपुर । 10/11/12 अप्रैल 2021

‘राष्ट्रवादी लेखक संघ’ द्वारा  10, 11 व 12 अप्रैल 2021 (क्रमशः शनिवार, रविवार व सोमवार) को कानपुर में नारायणा विद्यापीठ, गंगागंज पनकी में राष्ट्रवादी लेखकों व शोध अध्येताओं का एक सम्मेलन व फिल्म निर्माण कार्यशाला सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में देश व उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के प्रतिनिधि के रूप में लगभग 100 लेखकों / अध्येताओं /शोधार्थियों ने भाग लिया ।
यह सही है कि कोरोना ने दुनिया की गतिविधियाँ प्रभावित की हैं, फिर भी दुनिया ठहरी नहीं है। कोरोना गाइडलाइन के अनुसार सावधानी रखते हुए जीवन गतिशील है।
इस अवसर पर अनेक महत्वपूर्ण एवं जरूरी विषयों पर आमंत्रित विद्वानों के द्वारा गंभीर चर्चा की गई ।
1.राष्ट्रीय विमर्श में लेखक व सोशल मीडिया- सुनियोजित प्रयास
2.पाठ्य सामग्री, पाठ्य विधियाँ एवम् मानवीय अवधारणाएं : भारतीय परिप्रेक्ष्य
3.स्वदेशी व आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में लेखकीय दायित्व*
4.भारतीय इतिहास की कालगणना की समस्याएं व समाधान
5.जोगेन्द्र नाथ मंडल की वैचारिकता, परिणाम और जातिव्यवस्था
6.भारतीय संस्कृति को क्षति पहुँचाता जनसंख्या परिवर्तन
7.प्राचीन भारत का गौरवपूर्ण खगोलीय ज्ञान
8.सम्पर्क भाषा के रूप में हिंदी: दशा दिशा
9.साहित्य और इतिहास बोध ,आधुनिक परिप्रेक्ष्य में भारत की प्राचीनतम विज्ञान परंपरा
10.आर्य आक्रमण का मिथक और सरस्वती नदी सभ्यता।
लघु पुस्तिका आंदोलन में शामिल होकर अपनी शोध अभिरुचि को नया आयाम दें ।
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इस अवसर पर सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि
‘राष्ट्रवादी लेखक संघ’अपने विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से युवाओं के बीच राष्ट्रवादी विचारों, साहित्य व शोध के प्रसार और विस्तार में जुटा है। राष्ट्रवादी लेखक संघ अपने प्रकल्प ‘राष्ट्रवादी पाठक मंच’ के तत्वावधान में आगामी नव संवत्सर 2078 से पूरे देश में ‘लघुपुस्तिका आंदोलन’ प्रारंभ करने जा रहा है।
यदि आपके लिए *राष्ट्र सर्वोपरि* है, और आप भाषा, संस्कृति और इतिहास के शोध अध्येता हैं तो आप भी इन लघुपुस्तिकाओं के *लेखक मंडल* में सम्मिलित हो सकते हैं। इच्छुक लेखक मुझ से संपर्क कर सकते हैं।
‘लघु पुस्तिका आंदोलन’ के अंतर्गत प्रथम चरण में प्रकाश्य लघु पुस्तिकाओं के विषय –
1. नव-बौद्धों की कुटिलताएँ
2. आर्य आक्रमण की अवधारणा को ध्वस्त करती सरस्वती नदी सभ्यता
3. सम्पर्क भाषा के रूप में हिंदी : दिशा व दशा
4. जोगेंद्र नाथ मंडल : जिद और हश्र
5. वामपंथ की आड़ में ईसाई मिशनरीज
6. प्राचीन भारत का चमत्कारिक खगोलीय ज्ञान
7. हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के युग विभाजन की पुनर्व्याख्या
8. आधुनिक कविता : जन साधारण की कविता या जन साधारण से दूर कविता
9. नव-शोध की प्रतीक्षा में सोशलमीडिया पर वायरल इतिहास
10. भारतीय इतिहास के कालक्रम की पुनर्व्याख्या
11. भारतीय इतिहास की राष्ट्रवादी पुनर्व्याख्या
12 भारत में विज्ञान की प्राचीनतम परम्परा के स्वर्णिम पृष्ठ
13. प्लासी युद्ध के विभिन्न पहलुओं की पुनर्व्याख्या
14. बख्तियार खिलजी का ध्वंस अभियान
15. स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारियों की सामाजिक पृष्ठभूमि
16. स्वतंत्रता व उसके पश्चात राज्यों व रियासतों का सम्मिलन व पुनर्गठन
17. छद्म धर्मनिरपेक्षता की शिकार भारतीय संस्कृति
18. जातिगत भेदभाव : कारण व निवारण
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इस कार्यक्रम का आयोजन यशभान सिंह तोमर राष्ट्रीय संयोजक राष्ट्रवादी लेखक संघ के द्वारा किया गया था ।
सनातन संस्कृति और इतिहास के प्रसिद्ध विद्वान अरुण कुमार उपाध्याय के साथ भारतीय चित्र साधना के ट्रस्टी अतुल गंगवार, सुप्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक आकाशआदित्य लामा, आशीष कंधवे, सुश्री कोमल एवं अन्य कई गणमान्य लोग उपस्थित थे ।

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