एनडीए का ‘चिराग’ बुझा, तो बढ़ सकता है ‘तेजस्वी’ का तेज- रवि पाराशर

 रवि पाराशर

बिहार चुनाव डायरी- 3 जुलाई

बिहार में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। अभी तक चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है, लेकिन राज्य में सियासी गहमा-गहमी बढ़ने लगी है। वहां जो घटनाक्रम चल रहा है, उससे साफ़ हो रहा है कि एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर सब कुछ ठीकठाक नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी ने तेवर गर्म कर रखे हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक राज्य विधानसभा में एलजेपी अपनी बड़ी हैसियत देख रही है और 43 सीटों के लिए दबाव बना रही है। लेकिन उन्हें ज्यादा से ज्यादा 25 सीटों का संकेत मिल रहा है। ज्यादा सीटों की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान इतने असहज नज़र आ रहे हैं कि उन्होंने एक बयान से क्रोधित होकर अपने मुंगेर जिलाध्यक्ष को पद से चलता कर दिया। जिलाध्यक्ष का कुसूर केवल इतना था कि उन्होंने मीडिया में बयान दे दिया कि बिहार में एनडीए अटूट है। साफ़ है कि अपने इस क़दम से चिराग ने ये संकेत देने में कसर नहीं छोड़ी है कि बिहार में एनडीए टूट भी सकता है। हमारे सियासी मित्र बता रहे हैं कि चिराग पासवान चाहते हैं कि बिहार में चुनाव से पहले ही एनडीए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम घोषित कर दे। इसमें एनडीए के सभी प्रमुख दलों अर्थात बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी के प्रमुख एजेंडे शामिल किए जाएं। हम जानते हैं कि आजकल चिराग का प्रमुख एजेंडा है- बिहार फर्स्ट-बिहारी फ़र्स्ट। हालांकि बीजेपी और जेडीयू नहीं चाहेंगी कि चिराग गठबंधन की गांठ को जला दें। उन्हें साथ रखने के लिए मेल-मिलाप के सिलसिले आजकल तेज़ हैं। चुनावी समय में मौक़ा ताड़ कर अपनी झोलियां भरने वाले इन अटकलों को भी हवा दे रहे हैं चिराग अगर एनडीए में बुझ गए, तो वे तेजस्वी का तेज बढ़ाने का काम कर सकते हैं। भाई लोग ये भी कह रहे हैं कि चिराग ने ये बात भी उड़वा दी है कि उनमें मुख्यमंत्री बनने का ज़बर्दस्त माद्दा है। इसका क्या अर्थ है, समझदार लोग जान ही गए होंगे, क्योंकि बीजेपी कह ही चुकी है कि विधानसभा चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।

क्या बीजेपी और जेडीयू में सब ठीक है?

चिराग अपने लिए ज्यादा घी और लंबी बाती के लिए एनडीए के कोपभवन में बैठ गए हैं, तो भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के बीच भी सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान चल रही है। नीतीश कुमार ने पिछला विधानसभा चुनाव लालू यादव के साथ मिलकर लड़ा और मुख्यमंत्री बने। बिहार के लालू परिवार की महत्वाकांक्षाएं बढ़ीं और भ्रष्टाचार के आरोपों के नए पिटारे खुले, तो नीतीश ने लालू यादव की लालटेन से किनारा कर बीजेपी के दिव्य कमल को अपना लिया। अब शासन के लंबे अनुभव के बाद नीतीश कुमार को लगता है कि कम से कम बिहार में वे सुशील मोदी के बड़े भाई की हैसियत रखते हैं। लिहाज़ा उनकी पार्टी को ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। लेकिन भारतीय जनता पार्टी का दबाव इस बात को लेकर है कि सहयोगियों को देने के बाद जितनी सीटें बच जाएं, उनमें 50-50 का फ़ार्मूला लगाकर ज्यादा माथापच्ची से बचा जाए। सियासी मित्र बता रहे हैं कि बिहार मामलों के बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बाक़ायदा बातचीत शुरू हो गई है। चर्चा है कि जेडीयू सवा सौ सीटें चाहती है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के लिए 75 विधानसभा सीटें ही बच जाती हैं। लगता नहीं है कि सीटों के बंटवारे का पेंच आसानी से सुलझेगा। देखिए ऊंट किस करवट बैठता है!

आरजेडी परिवार में अब ‘साली’ पर खुला नया मोर्चा
लालू यादव बहुत दुखी होंगे कि उनके कुनबे के सदस्यों में दरार लगातार बढ़ती जा रही है। तेजस्वी यादव ने अपनी भाभी ऐश्वर्या राय की चचेरी बहन करिश्मा राय को आरजेडी में शामिल कर बड़े भाई तेज प्रताप को गुस्सा होने का एक और अवसर दे दिया है। हांलाकि कुछ सियासी मित्र कह रहे हैं कि तेज प्रताप इससे नाराज़ नहीं हैं। लेकिन तेज प्रताप ने बाक़ायदा ट्वीट कर कह दिया है कि- हमें उस परिवार के किसी भी सदस्य पर भरोसा नहीं है, जिसने हमारी ज़िंदगी ख़राब की है। वहीं करिश्मा ने कहा है कि लालू यादव उनके आदर्श हैं। बता दें कि शादी के बाद से ही तेज प्रताप यादव और उनकी पत्नी ऐश्वर्या यादव के बीच अनबन की ख़बरें देश के मीडिया में सुर्ख़ियां बनती रही हैं। अब ऐश्वर्या यादव अपने परिवार के साथ रह रही हैं और दोनों का मामला कोर्ट में चल रहा है। करिश्मा राय ऐश्वर्या राय के पिता चंद्रिका राय के बड़े भाई विधानचंद्र राय की बेटी हैं। वे पेशे से डेंटिस्ट हैं और अब देखना होगा कि उनके आरजेडी में आने से बिहार में जेडीयू के दांत कितने खट्टे होंगे? या वे लालू कुटुंब से दांत काटे रिश्तों को हिलाने का ही कारण बनेंगी!

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