छठ – लोक आस्था का बेजोड़ पर्व, स्मिता मनोज


स्मिता मनोज

छठ एक पर्व से ज्यादा एक अनुभव है। यही वजह है कि मूल रूप से बिहार, झारखंड, यूपी का ये त्योहार दुनिया के हर हिस्से में अब जाना पहचाना जाने लगा है।
परंपरागत तौर पर इस पर्व की चाल अन्य त्योहारों से अलग रही है और सरोकार का दायरा सर्वव्यापी।
हिंदुओं में पुनीत महीने के रूप में स्थापित कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर षष्ठी तिथि तक व्रती थोड़े थोड़े अंतराल के साथ लगभग बहत्तर घंटे का उपवास करते हैं। ये कठिन है लेकिन उपवास के दौरान व्रतियों को पूरे समाज से जो सम्मान प्राप्त होता है वो अनमोल है।

कहते हैं कि महानता विरुद्धों के सामंजस्य से ही प्राप्त की जा सकती है। छठ अमीर-गरीब, आधुनिक-पुरातन और दोस्त-दुश्मन को एक ही घाट पर ला खड़ा करता है। बेहद विशिष्टता वाले इस त्योहार के आयोजन में सामान्य घरेलू वस्तुओं से पूजा सम्पन्न होती है, जैसे कि फल, सब्जी, दूध, अनाज इत्यादि। यहां जल में खड़े होकर प्रत्यक्ष देव सूर्य को सूर्योदय और सूर्यास्त की दो अलग अलग बेला में दो बार अर्घ्य दिया जाता है। डूबते सूर्य को छठ में अर्घ्य देने की सदियों पुरानी परंपरा को विद्वान एक विशिष्ट दर्शन का प्रमाण मानते हैं जो प्रकृति और मनुष्य के सामंजस्य को रेखांकित करता है।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि बिहार जैसे पारंपरिक समाज में ये व्रत समाज की दीवारों को विरल कर देने वाला एकमात्र पर्व है। छठ के घाट पर जाति, धर्म और नस्ल का भेदभाव आस्था की सरिता में तिरोहित हो जाता है। कई विदेशी नागरिक भी अब ये संपूर्ण अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं और बाकायदा छठ का अनुष्ठान करते हैं।
टीवी और डिजिटल मीडिया के प्रसार ने छठ के विहंगम दृश्य सर्वसुलभ कर दिए हैं, लेकिन छठ एक विस्तृत और गहन अनुष्ठान है जिसका असली मर्म इसमें शामिल होकर ही प्राप्त किया जा सकता है।


दादी पोते का छठ गीत
मने मने बोले परदेसिया कि सुनीं ए छठी माता, ये छठ गीत लाखों अनिवासी भारतीयों की करुण पुकार है, जिसे अभिजीत और स्मिता मनोज ने मिलकर खूबसूरत रूप दिया है। अभिजीत सिडनी में आईटी सेक्टर में काम करते हैं और अच्छे सिंगर भी हैं। उन्होंने इस गीत के माध्यम से ना सिर्फ अपनी और हम सब की दादी नानी की परंपरा को आगे बढ़ाया है बल्कि उसे नया रूप भी दिया है। इस पूरे आइडिया को अमली रूप दिया है स्मिता मनोज ने, जो अभिजीत की चाची हैं और नवी मुंबई में देसी स्वाद के प्रोमोशन के लिए काम करती हैं।

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