मे.ज.(से.नि.) सुनील चंद्र, सोनू निगम,सन्नी देओल, कंगना रनौत, संग्राम सिंह,उपासना अरोड़ा ने देशवासियों से किया चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान

बिहार अपडेट, नई दिल्ली :- सीमा पर की जा रही चीन की हरकतों व भारतीय सैनिकों के हुए बलिदान के कारण देश में चीन के खिलाफ समाज प्रबुद्धजनों ने कड़ी प्रतिक्रियाएं देते हुए चीनी सामान के बहिष्कार की अपील की है।

सुप्रसिद्ध गायक सोनू निगम ने चीन को जवाब देने के लिए देशवासियों से अपील करते हुए कहा चाइनीज प्रोडक्ट का बहिष्कार किया जाना बहुत आवश्यक है। अपने फौजी भाइयों और देश के लिए इतना तो हम सब कर ही सकते हैं। एक ओर सेना के जवान सीमा पर जाकर देश के लिए अपना खून बहा रहे हैं दूसरी ओर हम इतना भी नहीं कर सकते कि चाइनीज प्रोडक्ट का इस्तेमाल बंद कर दें। कुछ चीजों को त्यागना शायद बड़ा मुश्किल होगा लेकिन अगर हम यह सब आपस में ठान लें तो यह संभव है। जैसे जूम काल हम इस्तेमाल करते हैं, मैं भी अब इसका इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर रहा हूं। हम सभी अपनी तरफ से पूरा जोर लगाएं कि हमारे स्वयं की ओर से चीनी एप का  इस्तेमाल जीरो पर आ जाए। जो चाइनीज प्रोडक्ट हमने खरीद रखे हैं उनको तोड़ने की जरूरत नहीं है। इससे हमारा ही नुकसान है, हमारे देश का नुकसान है। पर जो हम नई चीजें लेने वाले हैं उसमें उसका मेड इन जरूर चैक करें कि वह मेड इन कहां का है।

सुप्रसिद्ध अभिनेता सन्नी देओल ने #अब_चीनी_बंद हैशटैग के साथ अपने ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्मनिर्भर अभियान को शक्ति देने के लिए स्वदेशी अपनाएं और भारत को आत्मनिर्भर बनाएं। ज्यादा से ज्यादा भारत के सामान को खरीदें, भारत में लघु उद्योगों की पुनः स्थापना हो और भारत आत्मनिर्भर बने।

सुप्रसिद्ध अभिनेत्री कंगना रनौत ने #अब_चीनी_बंद हैशटैग के साथ अपने ट्वीट में भारतीय जवानों पर चीन के हमले का विरोध किया। कंगना ने देशवासियों से शहीद हुए उन जवानों के बलिदान को कभी न भुलाने की अपील करते हुए बताया कि जैसे कोई हमारे हाथ की उंगलिया काटे तो कैसा कष्ट होगा वैसा ही कष्ट चीन ने लद्दाख पर अपनी लालची नजरें गढ़ाकर हमें पहुँचाया है। सरहदों पर होने वाले युद्ध में क्या हमारा कोई योगदान नहीं होना चाहिए, क्या हम महात्मा गाँधी जी के स्वदेशी के सन्देश को भूल गए हैं कि अगर अंग्रेजों की रीढ़ तोड़नी है तो उनके बनाए हर उत्पाद का बहिष्कार करना होगा। लद्धाख हमारी हथेली है, जो देश के नागरिक वहां जाकर देश के लिए चीन के विरुद्ध युद्ध नहीं कर सकते वह चीन के बने हर सामान, जिन कम्पनियों में उसने इन्वेस्ट कर रखा है, जहाँ जहाँ से उसको रेवेन्यू प्राप्त होता है उन सब कम्पनियों के प्रोडक्ट का बहिष्कार कर सकते हैं। इस तरह भी भारत के नागरिक सीमा पर जाए बिना भी शहीद हुए सैनिकों का प्रतिशोध चीन से ले सकते हैं।

भारत के सुप्रसिद्ध कुश्ती पहलवान संग्राम सिंह ने कहा कि शरीर और राष्ट्र को अगर ठीक रखना है तो चीनी बंद कर दो शरीर के लिए देशी गुड़ खाओ और राष्ट्र के लिए देशी गुड्स। यानि जो भी चाइनीज आइटम हैं, सामान हैं उनको बंद कर दें। जिस तरह से चीन की सीमा पर हमारे जवान शहीद हुए हैं उससे जाहिर है चीन हमारा दोस्त नहीं दुश्मन है। 1962 से देखा जा रहा है चीन अब तक पाकिस्तान को ही समर्थन करता आ रहा है न कि भारत को, चाहे वीटो पावर का मामला हो। चीन की सीमा पर जो सैनिक लड़ रहे हैं उनकी आपस में कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। हम जो यहां सुरक्षित बैठे हुए हैं चीन को जवाब देने के लिए इतना तो कर ही सकते हैं कि चीन के सामान पर रोक लगाएं,  इनके सभी एप को अनइन्स्टाल कर के इंडियन एप को अपनाएं। जवानों तथा देश के लिए जितना हो सके स्वदेशी समान ही अपनाएं।

मेजर जनरल (से.नि.) सुनील चन्द्र ने चीनी समान का बहिष्कार करते हुए कहा कि वर्तमान में जो कुछ भी चीनी सीमा पर हो रहा है, उसमें एक ओर जहाँ हमारी साहसी सेना चीन की सेना का डटकर सामना कर रही है, वहीं दूसरी ओर हर भारतीय का कर्तव्य हो जाता है कि वह चीन की आर्थिक व्यवस्था को कमजोर करने में सहायक बने, साथ ही साथ अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अपना योगदान दे। उन्होंने सभी व्यापारी बंधुओं से अनुरोध किया कि जहां तक हो सके चीन की बनी वस्तुओं को न खरीदें और न ही बेचें, और करबद्ध तरीके से चीन में बने सामान का बहिष्कार करें। तभी हम चीन पर दो तरफा प्रहार करने का संकेत देंगे और चीन की सेना को हरा पाएंगे।

यशोदा हॉस्पिटल की निदेशक उपासना अरोड़ा ने देशवासियों से आह्वान किया कि चीन में बने हुए हर सामान, हर एप का बहिष्कार करें। चीन हमारे देश में अपना सामान बेचता है उससे वह समृद्ध होता जा रहा है और उन पैसों का उपयोग वह हमारे ही विरुद्ध करता है। हमारे देश के वीर सैनिकों को वह शहीद करता है। अब हम ऐसा होने नहीं देंगे। चीन को दिखाना है कि उसके विरुद्ध सारा भारतवर्ष एक है। हम स्वदेशी अपना कर देश की आर्थिक व्यवस्था मजबूत करेंगे। इससे हमारे यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। हम चाणक्य नीति से उसकी चाल का जवाब देंगे, जिससे अपने आप ही चीन समाप्त होने लगेगा।

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