बोल युवा क्या मांग है तेरी- लाइब्रेरी, लाइब्रेरी! रंग ला रही है ग्राम पाठशाला मिशन की मुहिम

गौतमबुद्ध नगर, 3 अगस्त। जिले के तीन गांवों इमलिया, हतेवा और चचूला में जल्द ही पुस्तकालय खुलेंगे। यह आश्वासन तीनों गांवों के प्रबुद्ध लोगों ने ग्राम पाठशाला मिशन के कार्यकर्ताओं को दिया है। मिशन के कार्यकर्ताओं ने तीनों गांवों में जन-जागरण के लिए पदयात्रा निकाली, तो युवाओं का जोश देखते ही बना।
ग्राम मिशन पाठशाला की टीम सबसे पहले सुबह इमलिया गांव पहुंची। हल्की बूंदाबांदी के बीच गांव में करीब दो किलोमीटर की पदयात्रा निकाली गई। गांव के जोशीले युवा नारा लगा रहे थे-
बोल युवा क्या मांग है तेरी,
गांव में हमारे हो लाइब्रेरी !
बोल युवा क्या मांग है तेरी,
लाइब्रेरी, लाइब्रेरी, लाइब्रेरी, लाइब्रेरी!
ग्राम पाठशाला मिशन हर गांव में पुस्तकालय के लक्ष्य के लिए हर रविवार कुछ गांवों में जन-जागरण अभियान चला रहा है। मिशन से राजधानी दिल्ली, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जिलों में रहने वाले प्रबुद्ध लोग जुड़े हैं। यह मिशन गांव-गांव में संपर्क अभियान चला रहा है। जिन गांवों के लोग लाइब्रेरी के लिए सहमत हो जाते हैं, वहां ग्राम पाठशाला अभियान से जुड़े लगभग 100 कार्यकर्ता पहुंचते हैं और जन-जागरण मुहिम चलाते हैं। मिशन के तहत अभी तक सबसे ज्यादा पुस्तकालय गौतमबुद्ध नगर जिले में बने हैं।
मिशन का उद्देश्य देश के हर गांव में पुस्तकालय बनाना है। मिशन का मानना है कि अगर गांव में ही लाइब्रेरी की सुविधा हो जाए, तो ग्रामीण इलाकों के युवाओं को उज्जवल भविष्य की राह बनाने में सुविधा होती है। वे खाली समय लाइब्रेरी में बिताते हैं और प्रतियोगी माहौल बनता है। युवा एक-दूसरे से प्रेरणा लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। मिशन की सबसे खास बात यह है कि लाइब्रेरी की स्थापना के लिए वह केवल प्रेरणा देता है, आर्थिक मदद नहीं। पुस्तकालय की स्थापना गांव वाले आपसी सहयोग से ही कराते हैं।
ग्राम पाठशाला अभियान से हजारों लोग जुड़ते जा रहे हैं। खास तौर पर लाल बहार, संजय बैसला, अजयपाल नागर, मनोज बैसला, देवराज नागर, गिरीश नागर, राजेश कुमार, मिंटू, हरेंद्र, प्रवीण एडवोकेट, योगेंद्र नागर, अमर चौधरी, परमानंद कौशिक, रविंद्र रौसा, संदीप नागर, अमित भाटी, सतेंद्र भाटी, पुनीत नागर और कृष्ण नागर इत्यादि सदस्य इस मिशन को आगे बढ़ाने में लगे हैं। यह गैर-राजनैतिक मिशन किसी एनजीओ का हिस्सा नहीं है। सभी सदस्यों का मानना है कि रविवार के अवकाश को व्यर्थ नहीं जाने देना है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकले सभी सदस्य सरकारी, निजी नौकरियां करते हैं या अपने व्यवसाय चला रहे हैं। सभी लोग अपने खर्चे पर गांव-गांव जाकर पुस्तकालय स्थापना की मुहिम चलाने में जोरशोर से जुटे हैं।

 

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