बिहार के प्रवासी मजदूर वापसी के बाद रोजगार क्षेत्र में रच रहे हैं नया इतिहास

अनीता चौधरी

16 मज़दूरों ने गांव में ही शुरू किया पेवर ब्लॉक डिज़ाइन का काम 30 और को दिया स्थायी रोजगार

लॉकडाउन में जब लोगों का रोजगार गया तो प्रवासियों ने घर की तरफ रूख किया वहीं अनलॉक में कुछ ने वापसी की तो कुछ ने खुद ही रोजगार का रास्ता निकाल लिया और आत्मनिर्भरता की राह चल पड़े। कुछ ऐसा देखने को मिला बिहार के पश्चिमी चंपारण में। जहां कोरोना से हुये लॉकडाउन में श्रीनगर से घर पहुंचे श्रमिकों ने अपने हुनर के दम पर रोजगार शुरू कर दिया।

दरअसल पश्चिमी चंपारण के माधोपुर गांव के कुछ मजदूर पेवर ब्लॉक डिज़ाइन की ईंट बनाते थे। कोरोना के मुश्किल दौर में प्रवासी अपने गांव लौट आये। लेकिन गांव लौटने पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी बल्कि 16 प्रवासियों ने मिलकर यहीं रह कर ये खास ईंट बनाने का काम शुरु कर दिया। खास बात ये है कि इसके लिये उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा लोन से काफी मदद मिली। उनके इस प्रयास को व्यापारी प्रतिनिधियों का भी समर्थन मिला।

बिहार के सीएम नीतीश कुमार को जब प्रवासी मजदूरों के आत्मनिर्भर कदम के बारे में पता चला तो गांव पहुंचे सीएम ने भी काफी खुशी जताई और उनकी कोशिश की सराहना की। जिला प्रशासन भी इनके काम में जरूरी सुविधा मुहैया करा रहा है। फिलहाल इन्हें 10 लाख रुपये आंबटित किया गया है, जिससे इनका रोजगार गति पकड़े। अभी इस काम में 16 मजदूर लगे हुये हैं।

इन मजदूरों का कहना है कि अब एक दिन का करीब 300-400 रूपये कमा लेते हैं और परिवार से दूर भी नहीं हैं। इतना ही नहीं काम शुरू करने के बाद करीब 30 लोग अन्य इस रोजगार से जुड़ गये। पेवर ब्लॉक डिज़ाइन में ईंट, गमले, बेंच आदि को खास तरह के छोटे पत्थरों और सीमेंट से बनाया जाता है। इनका प्रयोग अक्सर रोड के किनारे, पार्क आदि में चलने के लिये और सुंदरता के लिये किया जाता है।

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