क्या होगा बिहार में गठबंधनो का स्वरूप- मनीष वत्स

मनीष वत्स

बिहार की चुनावी राजनीति में क्या संभावनाएं बन रही हैं? मांझी के एनडीए के पाले में आने से क्या बदलेगा ? कांग्रेस-राजद एवं वामदलों के महागठबंधन में कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा ? क्या लोजपा एनडीए का ही हिस्सा रहेगा, इन तमाम मुद्दों पर बिहार अपडेट से अतुल गंगवार ने वरिष्ठ पत्रकार रवि पाराशर, अनिता चौधरी एवं सोशल मीडिया एक्सपर्ट मनीष वत्स से चर्चा की

जीतन राम मांझी के एनडीए में आना ना केवल लोजपा को असहज स्थिति में डाल दिया है बल्कि भाजपा के भी कई नेता असहज महसूस कर रहे हैं, हालांकि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने मांझी का स्वागत किया है। दरअसल मांझी दलित-महादलित की राजनीति करते रहे हैं और लोजपा एवं भाजपा के ये नेता भी उसी वर्ग की राजनीति के प्रतिनिधि हैं, ऐसे में इनका विरोध जायज हो सकता है। दूसरी ओर, लोजपा की 7 सितम्बर को संसदीय दल की बैठक होने वाली है, इस बैठक में बिहार चुनाव से सम्बंधित चर्चा होगी। खबर ये आ रही है कि लोजपा जदयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी, अगर ऐसा होता है तो गठबंधन की राजनीति में एक मोड़ आनेवाला है।
दूसरी तरफ महागठबंधन ने भी अपनी स्थिति लगभग तय कर ली है, यदि खबरों पर ध्यान दिया जाए तो यह स्पष्ट होने लगा है कि महागठबंधन में राजद सबसे बड़े दल के रूप में 145-155 सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा करेगा, वहीं कांग्रेस की 50-55 सीटें मिलने की उम्मीद है, रालोसपा और वीवीआइपी को क्रमश: 22 एवं 10 सीटें लड़ने को मिल सकती है, बाकी सीटें वामदलों को ऑफर की जाएंगी।

सीट बंटवारे की खबरों के अलावा एक खबर झारखंड की राजधानी रांची से है, जो बिहार से ही जुड़ी है। लालू यादव रांची जेल में अपनी सजा काट रहे हैं, और इलाज के लिए उन्हें रिम्स में भर्ती किया गया है,बिहार चुनाव के मद्देनजर वहां उनसे मिलने वालों का तांता लगा हुआ है। हाल ही में कांग्रेस के अखिलेश सिंह, लालू के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव और राजद एवं कांग्रेस के कई नेता और विधायक उनसे मिले। इसी क्रम में राजद नेत्री और गया कि बाराचट्टी से दलित विधायक समता देवी भी उनसे मिलने पहुंची, जिन्हें रांची प्रशासन ने क्वारणटाइन कर दिया। जदयू और भाजपा ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है और राजद पर जोरदार हमला बोला है। उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने तो इसे दलितों का अपमान तक बताया है।

कुल मिलाकर बिहार की राजनीति में नित्य नए रंग देखने को मिल रहे हैं। देखना यह होगा कि कब चुनावों की घोषणा होती है और जनता किसके सिर पर ताज पहनाती है।

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