13 अप्रैल से भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु राष्ट्रव्यापी जन अभियान

 

नई दिल्ली : भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु राष्ट्र स्तरीय एक जन अभियान का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पावन अवसर पर, १३ अप्रैल २०२१ को होगा।  इस जन अभियान को कृषि एवं पर्यावरण क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं ने संकल्पित किया है। अभियान का मुख्य उद्देश्य, भारतीय कृषि चिंतन, भूमि सुपोषण एवं संरक्षण इन संकल्पनाओं को कृषि क्षेत्र में पुनःस्थापित करना, यह है।  जन अभियान में प्राधान्यतः भूमि सुपोषण, जन जागरण एवं  भारतीय कृषि चिंतन एवं भूमि सुपोषण को बढ़ावा देने संबंधित कार्यक्रम रहेंगे ।  अभियान के प्रथम चरण की कालावधि तीन माह याने आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा, २४ जुलाई २०२१ तक होगा।

आधुनिक कृषि मे भूमि का स्थान मात्र एक आर्थिक स्त्रोत है। परिणामतः इस आधुनिक कालखंड मे हमने भूमि का सतत शोषण  किया है। बहुत कम मात्रा मे हमने भूमि से निकाले हुए पोषण तत्वों का पुनः भरण किया है। वर्तमान मे हमारे देश मे ९६.४० दशलक्ष हेक्टेयर भूमि अवनत है। यह हमारे कुल भौगोलिक क्षेत्र का  ३०% है। भारत के अनेकों किसानों के अनुभव कहते हैं कि कृषि में लागत मूल्य निरंतर बढ़ रहा है, भूमि की उपजाऊ क्षमता घट रही है, ओर्गनिक कार्बन की मात्रा भी निरंतर घट रही है जिसके कारण उत्पादन भी घट रहा है| भूमि की जल धारण क्षमता  और जल स्तर अधिकांश स्थानों पर घट रहा है| कुपोषित भूमि के कारण मानव भी विभिन्न रोगों का शिकार हो रहा है। आधुनिक कृषि के गत वर्षों में भूमि सुपोषण संकल्पना की हमने अनदेखी की है।

अभी उचित समय है कि हम भारतीय कृषि चिंतन एवं उसमें स्थित भूमि सुपोषण संकल्पना को पुनः स्थापित करें। भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु राष्ट्र स्तरीय जन अभियान इसी दिशा में उठाया गया प्रथम चरण है। भारतीय कृषि चिंतन में भूमि को धरती माता ऐसे संबोधित किया है। हमारे प्राचीन ग्रंथो में इस के उदाहरण सहजता से पाए जाते है। अथर्वेद के भूमि सूक्त मे कहा गया है, ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः।’ इस का भावार्थ है कि भूमि हमारी माता है एवं हम उस के पुत्र। तात्पर्य, भूमि के पोषण कि व्यवस्था करना हमारा कर्तव्य है।

यह जन अभियान गत चार वर्षों से किए जा रहे व्यापक परामर्श प्रक्रिया का परिणाम है। किसानों के साथ, कृषि वैज्ञानिकों के साथ परामर्शी बैठकें, कृषक अनुभव लेखन कार्यशालाएँ, कृषकों के हित में एवं कृषि क्षेत्र में कार्यान्वित संस्थाओं से परामर्श, २०१८ में भूमि सुपोषण राष्ट्रीय संगोष्ठी इत्यादि से जन अभियान संकल्पित हुआ है। वर्तमान में जन अभियान के संचालन का दायित्व ३३ संस्थाओं ने मिलकर लिया है।

भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु राष्ट्र स्तरीय जन अभियान का प्रारंभ भूमि पूजन विधि से होगा। यह विधिवत भूमि पूजन संपूर्ण राष्ट्र मे, राज्यों में, जिलों में, ग्रामों में एवं नगरों में किया जाएगा। सभी जगहों पर विधिवत भूमि पूजन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पावन अवसर पर, १३ अप्रैल २०२१ को होगा। हमारी भूमि का सुपोषण करना यह मात्र कृषकों का उत्तरदायित्व नहीं है। इस जन अभियान की मुख्य संकल्पना है कि भूमि सुपोषण एवं संरक्षण यह हम सभी भारतीयों का  सामूहिक उत्तरदायित्व है।= अतः  यह जन अभियान ग्रामों में और नगरों में भी कार्यान्वित होगा।

अभियान के प्रथम चरण मे भूमि सुपोषण को प्रत्यक्ष साकार करनेवाले कृषकों को सन्मानित करना, भूमि सुपोषण की विविध पध्दतियों के प्रयोग आयोजित करना, जो कृषक इस दिशा में बढना चाहेंगे उन को प्रोत्साहित करना, नगर क्षेत्रों में विविध हाउसिंग कालोनी में जैविक-अजैविक अपशिष्ट को अलग रखना एवं कालोनी के जैविक अपशिष्ट से कंपोस्ट (जैविक खाद) बनाना आदि गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इस से अतिरिक्त सेमीनार, कार्यशाला, कृषक प्रशिक्षण, प्रदर्शनी आदि गतिविधियाँ का भी आयोजन होगा।

भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु राष्ट्र स्तरीय जन अभियान के क्रियान्वयन के लिए नई दिल्ली में कार्यालय स्थापित किया है। अभियान के लिए एक राष्ट्र स्तरीय मार्गदर्शक मंडल है और इस अभियान की संचालन समिति में ऐसे कृषक हैं जो  भारतीय कृषि चिंतन एवं भूमि सुपोषण संकल्पना को प्रत्यक्ष धरातल पर क्रियान्वित कर रहे है।

 

 

 

 

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