बिहार में राजग का झगड़ा शांत? मिलकर लड़ेंगे चुनाव

मनीष वत्स

बिहार चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर है। चुनाव तैयारियों की समीक्षा के लिए निर्वाचन आयोग की टीम आज पटना पहुंच रही है। एक-दो दिन में चुनावों का ऐलान हो सकता है। बिहार की राजनैतिक हालात कैसे हैं ? गठबंधन की राह किसके लिए कितनी आसान होगी ? कौन कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगा ? इन तमाम विषयों पर बिहार अपडेट से अतुल गंगवार ने वरिष्ठ पत्रकार रवि पाराशर और सोशल मीडिया एक्सपर्ट मनीष वत्स से चर्चा की है।

राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के पश्च्यात बिहार की राजनैतिक स्थिति काफी बदल गई है। रघुवंश बाबू राजद के समर्पित कार्यकर्ता रहे । 32 वर्षों तक राजद की सेवा निःस्वार्थ भाव से करते रहे परंतु आखिरी समय में राजद ने उन्हें एक लोटा पानी का दर्जा दे दिया, फलस्वरूप रघुवंश बाबू ने आईसीयू में रहते हुए राजद से इस्तीफा दे दिया, इतना ही नहीं उन्होंने गांधी-जेपी-लोहिया के विचारों पर परिवारवाद और जातिवाद की मानसिकता को हावी होने का भी आरोप राजद के नेतृत्व पर लगाया। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अपनी कुछ मांगे भी रखी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए उनकी इच्छाओं को पूरा करने का आश्वासन दिया। कुल मिलाकर रघुवंश बाबू जाते-जाते राजद के परिवारवाद की मानसिकता पर गहरी चोट करके गए ।

बिहार में चुनाव को देखते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ब्राह्मण कार्ड खेलने का कुत्सित प्रयास किया है और सुशांत सिंह राजपूत की कथित हत्या और ड्रग्स से जुड़े मामले में गिरफ्तार रिया चक्रवर्ती का समर्थन करते हुए भाजपा पर बंगाली ब्राह्मण युवती से अन्याय करने का आरोप लगाया है, हालांकि ये आरोप कहीं कांग्रेस को ही हानि ना पहुंचा दे, जिस तरह से क्षेत्रवाद की राजनीति बढ़ रही है, राजनैतिक दल अपने चुनावी फायदे के लिए देश को भाषा और क्षेत्र के आधार पर बांटने की फिराक में हैं, ऐसे में एक देश-एक चुनाव की मांग को बल मिलने लगा है।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई बैठक के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि एनडीए एकजुट है, चिराग पासवान ने भी कहा है कि भाजपा जो तय करेगी, उसे हम मानेंगे वहीं राजद का एक पोस्टर सामने आया है जिसमें लालू प्रसाद यादव की फोटो गायब है और उसमें नारा छपा है, ‘नई सोच नया बिहार युवा सरकार अबकी बार”

नारे और पोस्टर से स्पष्ट है कि राजद लालू के शासन को भूलना चाहती है, पार्टी सवर्ण वोटरों को लुभाने का प्रयास कर रही है।

कुल मिलाकर बिहार की राजनीति में दिन प्रतिदिन नए मुद्दे और नई बातें सामने आ रही है, देखना यह होगा कि चुनाव आयोग कब तारीखों का ऐलान करता है और रघुवंश प्रसाद सिंह की मृत्यु और सुशांत सिंह राजपूत के मामले से इस चुनाव पर कितना असर पड़ता है।

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