जन-जन से जुड़ता अनोखा फिल्मोत्सव

चौथा खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह
चौथा खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह

 दीपक दुआ

-दीपक दुआ

 

देश भर में होने वाले किस्म-किस्म के फिल्म समारोहों से परे ‘खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’ इस मायने में खास है कि यह यह खजुराहो जैसी उस जगह पर होता है जहां कोई थिएटर, कोई ऑडिटोरियम तक नहीं है और इस समारोह के लिए खासतौर से ‘टपरा टॉकीज’ यानी टैंट से बने अस्थाई थिएटर बनाए जाते हैं।

चौथा खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह

चौथा खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह चौथा खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह

इसकी दूसरी खासियत यह है कि इस समारोह में हर साल बड़ी तादाद में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के नामी कलाकार और निर्देशक न सिर्फ हिस्सा लेते हैं बल्कि इस आयोजन की तमाम गतिविधियों में भी शिरकत करते हैं। अभिनेता-निर्देशक राजा बुंदेला और उनकी अभिनेत्री पत्नी सुष्मिता मुखर्जी के प्रयासों से होने वाले इस समारोह में बीते वर्षों में जहां शेखर कपूर और प्रकाश झा जैसे बड़े निर्देशक आए वहीं इस साल ‘बरफी’ और ‘जग्गा जासूस’ जैसी फिल्में दे चुके डायरेक्टर अनुराग बसु न सिर्फ आए बल्कि उन्होंने यहां के युवाओं से भी फिल्ममेकिंग पर संवाद किया।

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साथ ही ‘बेताब’, ‘अर्जुन’, ‘डकैत’ जैसी फिल्में दे चुके वरिष्ठ निर्देशक राहुल रवैल भी यहां कई दिन तक डेरा डाले रहे। इनके अलावा अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा, रजा मुराद, रोहिताश्व गौड़, कई रंगकर्मी, निर्देशक, साहित्यकार, कहानीकार, फिल्म-आलोचक आदि भी यहां आए और इन्होंने फिल्में देखने के साथ-साथ यहां विभिन्न विषयों पर होने वाली मास्टर-क्लास और परिचर्चायों में भी भाग लिया। अपने चौथे साल में इस समारोह में 17 से 23 दिसंबर, 2018 तक तकरीबन दो सौ छोटी-बड़ी फिल्में दिखाई गईं। समारोह का फोकस फ्रांस की फिल्मों पर रहा।

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राजा बुंदेला कहते हैं कि हमारा यह आयोजन इसलिए अलग है कि हम सिनेमा के माध्यम से किसान-मजदूरों, आम ग्रामीण महिलाओं सहित आखिरी पायदान पर खड़े आदमी के पास भी इसे ले आए हैं। हम आने वाली हर फिल्म को सलेक्ट करते हैं ताकि यहां के लोग हर किस्म के सिनेमा से वाकिफ हों और उनमें सिनेमा के प्रति
चेतना विकसित हो।

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इस समारोह में स्थानीय युवाओं के लिए फिल्ममेकिंग, स्क्रिप्ट-राइटिंग आदि
की वर्कशॉप्स भी आयोजित की जाती हैं जिनमें से निकले कई युवा अब उम्दा काम कर रहे हैं। खजुराहो और आसपास के ग्रामीण इलाकों में सात ‘टपरा टॉकीज’ बनाए गए हैं जिनमें कोई भी जाकर बिना टिकट, बिना रजिस्ट्रेशन के दिन भर फिल्में देख सकता है।

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फिल्मों के प्रदर्शन के साथ-साथ यहां फैशन शो, साहित्य-सिनेमा संवाद, कथक वर्कशॉप, पेंटिंग प्रदर्शनी, बॉडी-बिल्डिंग शो, मास्टर- क्लास, फूड-फेस्टिवल, हैल्थ-कैम्प जैसे ढेरों अन्य आयोजन भी किए जा रहे हैं। राजा बुंदेला कहते हैं कि इस साल मध्य प्रदेश मंे हुए सत्ता परिवर्तन के बाद इस समारोह को कुछ आर्थिक तंगी का सामना भी करना पड़ा लेकिन हमने हिम्मत न हारते हुए इसे सफलतापूर्वक आयोजित किया।

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