पटना: शरारी गुमटी के पास से 10 करोड़ रुपये मूल्य का 18.14 क्विंटल गांजा जब्त

पटना : डीआरआइ (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) की विशेष टीम ने पटना-बिहटा रोड पर दानापुर स्टेशन से कुछ ही दूरी पर शरारी गुमटी के पास नगालैंड नंबर के एक ट्रक को जब्त किया. देखने से यह बिल्कुल खाली नजर आ रहा था, लेकिन डीआरआइ के अधिकारियों को इसकी पक्की सूचना थी कि इसमें बड़ी मात्रा में गांजा लदा हुआ है. चार घंटे की मशक्कत भरी जांच के बाद गांजे की खेप बरामद हो पायी.
ड्राइवर के पीछेवाले केबिन में बनाये गये बेहद गुप्त चेंबर में 120 पैकेटों में 1814 किलो गांजा बरामद किया गया. इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 10 करोड़ से ज्यादा है. इसके साथ ही चालक समेत तीन तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है. इनसे पूछताछ में नगालैंड से लेकर बिहार में मौजूद गांजा तस्करी के पूरे नेटवर्क के बारे में जानकारी मिली है. पिछले एक दशक के दौरान देशभर में किसी जांच एजेंसी की तरफ से अवैध गांजा तस्करी के खिलाफ यह सबसे बड़ी कार्रवाई है.

ऐसे हुई गिरफ्तारी

नगालैंड नंबर के इस ट्रक पर दो लोग सुभाष और इनामुल ही सवार थे. बिहार में प्रवेश करने पर दोनों ने रामाकांत को बाइपास बुलाया. यहां से तीनों दानापुर-बिहटा होते हुए आरा जाने की फिराक में थे.

इस ट्रक का पीछा डीआरआइ की टीम कर रही थी. दूसरी टीम ने दानापुर स्टेशन के पास सभी तस्करों को दबोच लिया. डीआरआइ ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान सात टन गांजा जब्त किया है और 17 तस्करों को गिरफ्तार किया है. परंतु यह सबसे बड़ी कार्रवाई है. सुभाष क्षेत्री असम के गोला घाट का रहने वाला है. रामाकांत तिवारी आरा के मसाड़ का निवासी है.

इसी के पास गांजे की इस खेप की डिलेवरी होनी थी. मो इनामुल हक नगालैंड में रहता है और वहां के गांजा सिंडिकेट का प्रमुख सदस्य है. इससे नार्थ इस्ट से बिहार में होनेवाली तस्करी के बड़े रैकेट का खुलासा होने की संभावना है. नगालैंड समेत अन्य सभी पूर्वोत्तर राज्यों में ‘लंबू बाबा’ नामक व्यक्ति गांजे की तस्करी का पूरा रैकेट चलाता है और बिहार में ही यह पूरा सप्लाई करने का काम करता है. बिहार में इस रैकेट का मुख्य लिंक रामाकांत तिवारी ही है, जो यहां पैकेट रिसीव करने और फिर इसे अलग-अलग स्थानों पर सप्लाइ करने का काम करता था. इस रैकेट में कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी जल्द होने की संभावना है. इनामुल हक की गिरफ्तारी के बाद इसके असम और नगालैंड के नेटवर्क को खंगालने का काम भी डीआरआइ ने शुरू कर दिया है.

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