गोड्डा जिले में खदान धंसी, 40 मजदूर दबे, ठंड और कोहरे से राहत कार्य में हो रही मुश्किल

गोड्डा/बोआरजोर (झारखंड) : झारखंड के गोड्डा जिले के इसीएल की राजमहल कोल परियोजना के ललमटिया स्थित भोड़ाय साइट में गुरुवार रात आठ बजे खदान धंसने से 35 से 40 लोग 300 फीट खाई में दब गये. अभी भी ये लोग खदान में फंसे हुए हैं. खदान में 20 वोलबो, एक डोजर, छह पोकलेन वोलबो, एक बोलेरो भी धंस गया. आशंक़ा जतायी जा रही है कि इस दुर्घटना में खदान में फंसे लोगों की मौत हो गयी होगी. कल रात कोहरे और ठंड के कारण राहत कार्य व्यापक पैमाने पर शुरू नहीं हो सका है. स्थानीय स्तर पर राहत कार्य जारी है. एनडीआरएफ की टीम आज यहां पहुंचने वाली है, उसके बाद राहत और बचाव कार्य व्यापक पैमाने पर शुरू होंगे.
बताया जाता है कि परियोजना के इंजीनियर ने तीन दिन पहले इसीएल के सीजीएम और सर्वेयर को इस खदान में दरार आने की सूचना दी थी, लेकिन उसपर कोई संज्ञान नहीं लिया गया. उधर देर रात केंद्रीय कोयला मंत्री जिले के उपायुक्त से घटना की जानकारी ली.
घटना की सूचना फैलते ही अासपास के इलाकों में हाहाकार मच गया. बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जुट गये . इसीएल के सभी पदाधिकारी व एसडीपीओ आर मिश्रा के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल खदान के पास पहुंचा . राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है. हालांकि बिजली नहीं रहने के कारण राहत कार्य में बाधा आ रही है. बताया जाता है कि बिजली के सारे खंभे जमींदोज हो गये हैं. इससे बिजली कट गयी है. घटनास्थल के आसपास चारों ओर अंधेरा पसरा हुआ है. नीचे दबे लोगों के परिजनों के चीख-पुकार से माहौल गमगीन हो गया है.
खनन कार्य में ललमटिया के आसपास के भादो टोला, भोराईं, नीमा व ललभुटवा आदि गांव के मजदूर व कर्मचारी लगे थे. इस खदान को इसीएल ने महालक्ष्मी खनन कंपनी को लीज पर दे रखा था.
वहीं सुखदेव एंड कंपनी का भी सामान लगा है. गुरुवार को काम के दौरान ही अचानक ही खदान धंस गयी. इस घटना से वहां के कर्मचारियों व मजदूरों में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है. हालांकि एक ओवर मैन हेमनारायण यादव को जख्मी हालत में वहां से निकाला गया है. उसका इलाज अस्पताल में किया जा रहा है. केंदुआ गांव का चालक शहादत अंसारी ने फोन पर बताया है कि खदान में जहां मलवा गिरा है, वहां 300 फीट गहरी खाई है.
काेहरे व ठंड से रेस्क्यू में परेशानी
ललमटिया थाना प्रभारी गोपाल सिंह ने बताया कि बड़ी संख्या में हाइवा व लोगों के दबे होने की सूचना मिल रही है. लगातार मलबे को हटाने का काम किया जा रहा है. मगर ठंड और कोहरे के कारण काम में दिक्कत आ रही है. बताया जाता है दो दर्जन से अधिक कर्मी चालक-खलासी वाहन के साथ दफन हैं.
पहले भी हो चुकी है दुर्घटना
करीब छह माह पहले इसी खदान में एक ड्रील मशीन डूब गयी थी. कंपनी ने उस घटना से सबक नहीं लिया और पूर्व की तरह काम चालू रखा. घटना के बाद से वहां के मजदूर आक्रोशित हैं.
सीएम ने डीसी से कहा राहत कार्य तेज चलायें
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने घटना को लेकर दुख जताया है. उन्होंने फोन पर गोड्डा के उपायुक्त से बात की और घटना की जानकारी ली. बचाव और राहत कार्य तेज चलाने का निर्देश दिया. वरिष्ठ अधिकारियों को घटनास्थल पर रहने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और डीजीपी को भी राहत कार्य को लेकर आवश्यक िनर्देश िदये हैं.
10 साल पुरानी थी भोड़ाय साइट
इसीएल राजमहल परियोजना की ललमटिया की भोड़ाय साइट में पिछले 10 सालाें से खुदाई का काम चल रहा था. इस कारण इसे डीप माइनिंग के नाम से जाना जाता है. खदान में पहले ही काफी खनन कार्य हो चुका था. चारों ओर से खदान धंसने लगी थी. बता दें कि दो दिन पहले इसीएल के सीएमडी आरआर मिश्रा राजमहल परियोजना को निरीक्षण करने आये थे. उन्होंने भोड़ाय साइट का भी निरीक्षण किया था. यहां से अधिक उत्खनन का निर्देश दिया था. साथ ही भोड़ाय गांव को भी हटाने का निर्देश दिया था. इधर, प्रबंधन तेजी से खनन कार्य में जुटा ही था कि खदान धंस गयी.

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