कोरोना काल की सकारात्मक कहानियां-1-सर्जना शर्मा

सर्जना शर्मा

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए हम में से ज्यादातर लोग अपने घरों में बंद है । जब मन किया टीवी पर अपनी मनपसंद फिल्म देख ली , खबरें देख ली। जब मन किया अपने स्मार्ट फोन से फेस बुक पर लफ्फाज़ी कर ली । श्रमिकों की चिंता , सरकार कहां कहां नाकामयाब है , सरकार को क्या करना चाहिए था । प्रधानमंत्री का देश के नाम संबोधन हो या फिर आर्थिक पैकेज की घोषणा ,टीवी चैनलों से ज्यादा हर विषय़ के विशेषज्ञ फेसबुक पर मिलेंगें । ऐसी विवेचना की पूछो मत । नित नए पकवानों की फेसबुक पर नुमाईश कर ली । (कोई भी व्यक्तिगत रूप से ना ले प्लीज़ ये सब मुझ पर भी लागू होता है सिवाए पकवानों की नुमाईश के ) । और फिर हम अकसर ये भी कहते सुने जाते हैं घर में बोर हो गए । जो लोग अपनी सुख सुविधा , ऐशो आराम त्याग कर समाज सेवा में जुटे हैं उनके पास हमारी तरह चौचलेबाजियों के लिए समय ही नहीं है । उनकी चिंता केवल ये हैं कि लॉक डॉऊन में कोई भूखा प्यासा ना रहे । आप भी अपने आसपास ऐसे बहुत से कोरोना योद्धाओं को जानते होंगें जो अपनी जान की परवाह किए बिना दिन रात समाज की सेवा कर रहे हैं । उनके पास ना पकवानों की नुमाईश का टाईम है ना सरकार की आलोचना का ।

वागीश ईस्सर दिल्ली विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष हैं । दिन रात वंचित , रेहड़ी पटरी वालों . कुलियों सैक्स वर्करस् के इलाकों में ज़रूरत का सामन पहुंचा रहे हैं । भोजन सामग्री , दवा , हैंड सेनिटाइज़र मास्क आदि बांट रहे हैं । अप्रैल के पहले सप्ताह में ही उन्होनें अपने घर में केवल एक दाल या सब्जी के साथ सादा भोजन बनाने का आदेश जारी कर दिया । गरीब बस्तियों में लोगों की बदहाली देख कर वे इतने व्यथित हुए कि उन्होनें स्वयं भी सादा भोजन बनवाना और खाना शुरू कर दिया । उन्होनें बताया कि जब वो अपने घर लौट कर आते तो अपने घर के विभिन्न व्यंजनों वाले भोजन से उनको अपराध बोध होने लगा । दिल्ली के संपन्न पंजाबी परिवारों में वैसे भी बहुत गरिष्ठ भोजन बनता है । दो दिन पहले उनसे बात हो रही थी तो उन्होनें बताया कि अब तक उन्होनें अपने घर का एसी भी नहीं चलाया है ।

डॉ अंजलि भट्टाचार्य

नोएडा की डॉ अंजलि भट्टाचार्य ( phd in chemistry ) भी दिन के 12 से 14 घंटे समाज की सेवा में बिता रही हैं । स्वयं हाई डॉयबिटिक मरीज़ हैं । कभी कभी उनका शुगर लेवल 400 भी पहुंच जाता है । भारत के सबसे बड़े महिला संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेविका समिति की नोएडा विस्तारिका अंजिली भट्टाचार्य के साथ पहले समिति की 8 महिलाएं जुड़ीं । हम लोग बाहर नहीं निकलते लेकिन उनके सेवा कार्यों में हर संभव सहायता करते हैं । फंड जुटाना ,कभी कभी सौ रोटियां बना कर देना और कभी किसी और परिवार से बनवा कर देना । लेकिन डॉ अंजलि तो सुबह साढ़े सात बजे से रात के नौ दस बजे तक हर उस व्यक्ति के पास पहुंचती है जिसको उनकी ज़रूरत है । अब उनकी टीम भी बड़ी हो गयी है बहुत से लोग उनका सेवाभाव देख कर उनसे जुड़ गए हैं । नोएडा में बहुत से गांव पड़ते हैं यहां जिन लोगों का दूध का काम है या जिन्होनें अपनी गाय भैंस पाल रखी है उन्होनें आगे बढ़ कर दूध देना शुरू किया । सोयायटी में रहने वाले लोगों ने दूध के पैकेट देने शुरू किए । जो लोग सौ रोटी नहीं बना कर दे सकते वो ब्रेड बिस्किट दे रहे हैं । अंजलि जी सुबह बच्चों को दूध ब्रेड बिस्किट और केले बांटती है । दोपहर और रात को भोजन के पैकेट । राशन के किट भी बांटती हैं । मैनें जिस किसी का भी नाम, पता और फोन नंबर दिया वो स्वयं वहां गयीं और पहुंचा कर आयीं । हमारे संगठन की मोनिका अग्रवाल ने उन्हें अपनी कार दे रखी है जिसकी वजह से वो समिती की टीम के साथ एक कोने से दूसरे कोनें में सेवा करते घूमती रहती हैं । हम लोग फंड जुटाने में सहायता करते रहते हैं । लेकिन सब घर बैठे । इस गर्मी में और संक्रमण के डर को दरकिनार कर गरीब बस्तियों में जाना बहादुरी का काम है । 27 मार्च से लेकर अब तक नोएडा राष्ट्र सेविका समिति अंजलि भट्टाचार्य के नेतृत्व में 9500 परिवारों को राशन किट ( जिसमें आटा , चावल , चीनी , चाय पत्ती ,नमक, रिफाइंड , कपड़े धोने की साबुन आदि शामिल है ) , 18000 परिवारों को पके हुए फूड पैकेट , 2000 रोटी , 300 बच्चों को पिछले एक महीने से दूध , ब्रेड ,बिस्किट और केले बांट रही हैं ।


कितनी बार पूछती हूं उनसे दीदी थकती नहीं हो आप तो खुद बीमार हो । उनका एक ही जवाब होता है देखो ना कितना बड़ा संकट है हम कुछ कर सकें तो बहुत अच्छा। आप को जान कर हैरानी होगी कि उनका दिमाग कई महीने आगे की योजना बना रहा है । वे दिल्ली एनसीआर के बंगाल महासंघ की कार्यकारिणी की सदस्य हैं उन्होनें मुझे बताया कि इस बार हम दुर्गा पूजा में कोई भव्यता , फालतू खर्चा गीत संगीत नहीं करेगें । विधि विधान से सादे तरीके से दुर्गा स्थापना करेंगैं और पंप एंड शो पर खर्च होने वाले पैसे से गरीब परिवारों के बच्चों की फीस , वर्दी , जूता कॉपी किताब देंगें । और मैनें कभी भी उनको फेसबुक पर अपनी समाज सेवा की तस्वीरें साझा करते या सरकार को ज्ञान बांटते नहीं देखा । सरकार ही सब कुछ करेगी तो समाज का क्या दायित्व है ? सेवा भारती , विश्व हिंदू परिषद राष्ट्रसेविका समिति दिन रात पूरे भारत में सेवा कार्य कर रही है ।

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