एक साथ उठीं अर्थियां, नम आंखों से विदाई

पटना सिटी : गम में डूबे चौकशिकारपुर मोहल्ले में एक के बाद एक शव आने का सिलसिला सोमवार की रात से ही आरंभ हो गया था. बीते देर रात बलदेव प्रसाद का शव आया. मंगलवार की दोपहर लगभग एक बजे दो दंपती मनोज साह उर्फ सोनू कुमार व पत्नी प्रेमलता देवी और विजय पंडित व पत्नी शकुंतला देवी का शव पहुंचा.

जहां पहले से ही अंतिम संस्कार की सारी तैयारी मोहल्ले के लोगों ने कर रखी थी़ थोड़ी ही देर बाद दोनों दंपती की अरथियां खाजेकलां घाट रवाना हो गयीं. हालांकि, मंगलवार की शाम को ही बैंककर्मी त्रिलोकी प्रसाद सिन्हा व पत्नी कुमकुम सिन्हा का शव भी आ गया. इधर, चौकशिकारपुर में राधिका देवी की व बेगमपुर में तारकेश्वर उर्फ मुन्ना महतो का शव आ गया. फिर शुरू हुआ एक-एक कर अरथी उठाने की तैयारी. मंगलवार को एक साथ 11 शवों का अंतिम संस्कार िकया गया.

अंतिम संस्कार में उमड़ पड़े लोग : विपदा की घड़ी में एकजुट हुए मोहल्ले वाले साथ निकले दोनों दंपती के अंतिम संस्कार में शामिल होने को उमड़ पड़े. खाजेकलां श्मशान घाट पर एक साथ पांच चिता सजायी गयी. जहां एक साथ मुखाग्नि की रस्म निभायी गयी. हालांकि, मंगलवार को तड़के ही महाराज घाट निवासी ब्रहमानंद प्रसाद व पत्नी कमला देवी का दाह संस्कार हुआ. फिर बलदेव प्रसाद का. इसके बाद तारकेश्वर उर्फ मुन्ना मेहता का दाह संस्कार हुआ. फिर राधिका देवी के साथ दोनों दंपती मनोज साह व उनकी पत्नी और विजय पंडित व उनकी पत्नी चिता एक साथ जली.

लोग घाट की ओर बढ़ते गये : लोग एक शव के साथ दाह संस्कार में निकलते, तभी पता चलता कि दूसरा शव भी आ पहुंचा. इसके बाद शव को शमशान घाट पहुंचा फिर वापस आते या फिर रास्ते से ही दूसरे के अंतिम संस्कार में शामिल हो जाते. यह सिलसिला मंगलवार की शाम तक बना रहा, जब तक बैंककर्मी त्रिलोकी प्रसाद सिन्हा व पत्नी कुमकुम सिन्हा का दाह -संस्कार नहीं हो गया.

विधायक व पूर्व पार्षद ने पोंछे आंसू : घटना से मर्माहत पटना साहिब के विधायक नंदकिशोर यादव भी खाजेकलां श्मशान घाट विपदा झेल रहे परिवारों को ढांढस बंधाने पहुंचे, इसके बाद वो मृतक के घर भी जाकर परिजनों से मिले. इधर, पूर्व पार्षद मनोज कुमार भी परिजनों से घर पर मिले और जनाजा में खाजेकलां घाट पर शामिल हुए.

गम में डूबे मोहल्ले में नहीं फूट रहे बोल : एक साथ 12 लोगों की मौत का गवाह बना चौकशिकारपुर, दुंदी बाजार,लाल इमली, बेगमपुर, संकट मोचन मार्ग मुहल्ला में रविवार को मिली मनहूस खबर के बाद से गम में डूब गया है.

तीन दिनों से मुहल्ले में फैला मातम व गमजदा लोगों के मुंह से बोल नहीं फूट रहे, निकल रहे हैं, तो आंखों से आंसू. आखिर ऐसा कैसे हो गया. किसी को भी इसका अंदाजा नहीं था कि एक साथ इतने घरों में मातम. विजय पंडित के कर्मचारी पप्पू, भगवान साह, अशोक कुमार ,संतोष बताते हैं कि समझ में नहीं आ रहा कि कौन- सी विपदा आ पड़ी. एक साथ हुई मौत के बाद खुशी छिन गयी है मुहल्ले से. हर एक के बीच अब परिवार का क्या होगा, यही चर्चा छायी हुई है. लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि कैसे बच्चों को हिम्मत बंधाएं.

बेटा-बहू का नहीं देख पायी मुंह : चौकशिकारपुर निवासी विजय पंडित मां फूला देवी व पत्नी शकुंतला देवी के साथ घर से शिरडी व महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में दर्शन करने गये थे. खुशी-खुशी दर्शन कर घर लौट रहे मां फूला देवी काल के गाल में समाते हुए बेटा व बहू को देखा, तो लेकिन मरने के बाद बेटा विजय व बहू शकुंतला का मुख नहीं देख सकी. देखती भी कैसे, वो तो खुद हादसे में अपना जीवन बचा अस्पताल के बेड पर पड़ी है. पोता विशाल व कर्मी पप्पू बताते हैं कि दादी का उपचार अभी कानपुर में ही चल रहा है.

पत्नी की अरथी का न दे सके कांधा : चौकशिकारपुर निवासी निजी कंपनी में काम करनेवाले अशोक कुमार की विपदा यह है कि वो हादसे में तो बच गये, लेकिन पत्नी राधिका देवी को खो दिया. गम में डूबे दोनों बेटाें में अमित व अश्विनी के साथ परिवार के लोग बताते हैं कि इससे बड़ी विपदा क्या होगी कि घटना का गवाह बना पति कानपुर में अस्पताल के बेड पर पड़ा है और पत्नी की अरथी उठ रही है, जिसे वो कांधा भी नहीं दे सके.

मददगार था मनोज : चौकशिकारपुर उपरि सेतु के पास कोयला टाल चलाने वाले मनोज साह उर्फ सोनू कुमार पत्नी प्रेमलता के साथ घर से दर्शन करने के लिए गये थे. मां-बाप के शव जैसे ही घर में आये, बेटी काजल व मुस्कान की चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया. बेटा कौशल फफक रहा है.

अब कौन बनेगा गरीबों का रहबर. रिश्ते के मामा अशोक साह बताते हैं कि मनोज ही पूरे घर को चलता था. बड़ी बेटी काजल प्रतियोगिता परीक्षा व छोटी बेटी मुस्कान 11 वीं की छात्रा है. बेटा नवम वर्ग में पढ़ता है. भीड़ एक ही बात दोहराती थी गरीबों की मदद में आगे रहनेवाले मनोज के बच्चों का अब क्या होगा.

पटना : इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसे के तीसरे दिन मंगलवार को भी रेलवे और जिला प्रशासन का हेल्प डेस्क कार्यरत था. रेलवे के दो व जिला प्रशासन के एक काउंटर पर अधिकारी तैनात थे.

ताकि, परिजनों को जंकशन पर असुविधा नहीं हो. काउंटर पर हेल्प लाइन नंबर के टेलीफोन भी थे. हालांकि, सुबह छह से दिन के 3:15 बजे तक हेल्प लाइन नंबर की न घंटी बजी और न ही काउंटर पर परिजनों की भीड़ दिखी. जबकि, शनिवार की रात 3:10 बजे हुए हादसे के बाद रविवार की सुबह से ही जंकशन के प्लेटफॉर्म नंबर-एक पर दो हेल्प डेस्क काउंटर के साथ-साथ तीन हेल्प लाइन नंबर भी जारी किये गये थे.
रविवार की सुबह सात बजे से जंकशन पर परिजनों का आना शुरू हो गया था और देर रात तक परिजन आते रहे. हेल्प लाइन नंबर की घंटी भी थम नहीं रही थी. सोमवार को भी हेल्प डेस्क पर इक्का-दुक्का परिजन दिन भर आते रहे और अपने भाई, चाचा, पड़ोसी और दोस्त का हाल पूछ रहे थे. घायल की सूची में नाम देखने के बाद हॉस्पिटल की जानकारी ले रहे थे.

डॉक्टर का शव पहुंचा

हेमजा गांव निवासी रिटायर्ड सिविल सर्जन डॉ भुवनेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ भूना बाबू का शव मंगलवार को मोकामा पहुंचा. शव के पहुंचने के बाद गांव में मातम पसर गया. लोगों ने नम आंखों से डॉक्टर भुवनेश्वर प्रसाद सिंह को अंतिम विदाई दी. डॉक्टर भुवनेश्वर प्रसाद सिंह का मरांची गंगा घाट में अंतिम संस्कार किया गया. परिजनों के अनुसार वे उज्जैन में महाकाल का दर्शन कर लौट रहे थे.

शव पहुंचते ही कोहराम

रेल हादसे में मारे गये नालंदा, बेगूसराय व शेखपुरा के लोगों का शव गांव पहुंचा. इसके बाद दाह संस्कार किया गया. नालंदा जिले के सरमेरा के सिंघौल निवासी पुरोहित 55 वर्षीय रामाकांत त्रिवेदी का शव मंगलवार को गांव पहुंचा. वहीं, शेखपुरा जिले के बरबीघा के अवकाश प्राप्त सिविल सर्जन डॉ भुनेश्वर प्रसाद सिंह का पार्थिव शरीर घर पहुंचा. शव पहुंचते ही घर में कोहराम मच गया.

अभिनव की भी हुई मौत

पटना-इंदौर एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना में गया के सीनियर डिप्टी कलेक्टर अनिल कुमार के बेटे अभिनव कुमार की मौत हो गयी है. उसका मृत शरीर देर शाम पटना लाया गया और गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. अभिनव कुमार इंजीनियरिंग का छात्र था. अंतिम संस्कार में जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल समेत कई अिधकारी भी शामिल हुए. इस मौके पर कई अन्य भी मौजूद थे.

मां और बेटी की मौत

लालगंज थाने के सिरसा विरण गांव की मां 47 वर्षीया पत्नी गीता सिंह और 27 वर्षीया पुत्री रागिनी की मौत हो गयी़ सिरसा विरण गांव निवासी केदारनाथ सिंह के बड़े पुत्र सत्येंद्र सिंह वर्षों से मध्यप्रदेश के भोपाल में रह कर कारोबार करते हैं. वे पत्नी और बेटी के साथ शादी समारोह में शामिल होने आ रहे थे. पटना-इंदौर ट्रेन हादसे में सत्येंद्र सिंह बुरी तरह घायल हो गये, जबकि पत्नी एवं पुत्री की मौत हो गयी़.

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